मकर संक्रांति की (पतंग-मांझा) ने लेली (मासुम) की (जान) त्योहार को ही मृतक घर में छाया मातम
धार जिला मध्य प्रदेश

मकर संक्रांति की (पतंग-मांझा) ने लेली (मासुम) की (जान) त्योहार को ही मृतक घर में छाया मातम
(पढिए राजधानी एक्सप्रेस न्यूज़ की सच्ची खबरें)
पानीपूरी खाने जा रहा था मासूम, नहीं दिखने वाली चीज ने काट दिया गला, मां की हालत सुन रो पड़ेंगे आप
धार में 14 जनवरी को दर्दनाक हादसा हो गया. यहां चीनी मांझे ने पिता के साथ बाजार जा रहे 7 साल के मासूम की गर्दन काट दी. पिता उसे आनन-फानन में अस्पताल ले गए, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी. इसके बाद उसके घर कोहराम मच गया.
धार. मध्य प्रदेश के धार जिले में एक परिवार पर वज्रपात हुआ है. खासकर, मां का तो रो-रोकर बुरा हाल है. वह काबू नहीं आ रही. उसे यकीन नहीं हो रहा कि उसका 7 साल का मासूम अब इस दुनिया में नहीं है.
दरअसल, धार में एक बच्चा पिता के साथ बाजार जा रहा था. इस दौरान चीनी मांझे ने उसकी गर्दन काट दी. पिता को जब तक कुछ समझ आता, तब तक वह बुरी तरह घायल हो गया था. पिता उसे अस्पताल ले गए, लेकिन वहां उसकी मौत हो गई. इसके बाद कोहराम मच गया. घटना 14 जनवरी की है. 15 जनवरी को परिजनों ने शहर के हटवाड़ा चौराहे पर जाम लगा दिया.
प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर जाकर उन्हें समझाइश दी और जाम खुल गया. कलेक्टर ने पीड़ित परिवार को 50 हजार की आर्थिक सहायता दे दी है.
जानकारी के मुताबिक, घटना धार के हटवाड़ा चौक में घटी. यहां 7 साल का मासूम कनिष्क चौहान अपने पिता के साथ बाइक पर पानीपूरी खाने जा रहा था.
वह बाइक पर आगे बैठा था. इस दौरान बीच रास्ते में चीनी मांझा लटका हुआ था. यह मांझा आसानी से दिखाई नहीं देता. यह मांझा जाकर बच्चे की गर्दन पर लगा और उसका गला कट गया. इस दौरान पिता को कुछ समझ नहीं आया और वे गाड़ी चलाते रहे.
इतने में बच्चे की गर्दन से खून बहता देख पिता के होश उड़ गए. वे उसे आनन-फानन में निजी अस्पताल ले गए. यहां बच्चे की हालत देखने के बाद डॉक्टरों ने उसे भोज अस्पताल रेफर कर दिया. यहां पहुंचने के बाद डॉक्टर ने कनिष्क को मृत घोषित कर दिया.
*बेसुध हो गई मां*
कनिष्क की मौत की खबर जैसे ही उसके घर पहुंची तो कोहराम मच गया. उसकी मां शीतल चौहान बेसुध हो गई. वह किसी तरह मॉर्चुरी रूम के बाहर पहुंची. उसका रो-रोकर बुरा हाल हो गया. उसने रोते-रोते कहा कि अब मैं बेटा कहां से लाऊंगी. अच्छा-खास पिता के साथ बाजार गया था.
ईश्वर को ये क्या मंजूर था. मेरा तो सब खत्म हो गया. परिजनों ने मां को संभालने की कोशिश की, लेकिन वह संभाले नहीं संभल रही थी