*आपके जिले भर में अधिकारियों का चल रहा है गोलमाल अपात्रों का बन रहा है BPL राशन कार्ड, पात्र काट रहे हैं सरकारी कार्यालयों के चक्कर/पढ़िए क्या है सच*
जिला सतना मध्य प्रदेश

*सतना जिला में चल रहा है अधिकारियों का गोलमाल अपात्रों का बन रहा है BPL राशन कार्ड, पात्र काट रहे हैं सरकारी कार्यालयों के चक्कर/पढ़िए क्या है सच*
(आइए पढ़ते हैं पूरा सच)
मध्य प्रदेश के सतना जिला अंतर्गत तहसील स्तरों पर बैठे हुए अधिकारी एवं बाबुओं से जिसकी पहचान है या फिर राजनीतिक नेताओं के पास पहुंच है या जिसके पास पैसा है वही बीपीएल राशन कार्ड बनवा पाते वरना गरीब तो बेचारा शासकीय कार्यालय के चक्कर काटते काटते (BPL राशन कार्ड बनवाने का उम्मीद ही खो देते हैं सूत्रों के द्वारा मिली जानकारी
यही मामला चल रहा है सतना जिला में अब एक बात लोगों के समझ में नहीं आती की राजनीतिक नेताओं का दबाव रहता है या फिर अपने स्वार्थ के लिए अधिकारी स्वयं ऐसे रास्तों को अपना रखें हैं
क्योंकि गरीबों के पास दो वक्त की रोटी कमाने एवं अपने बाल बच्चों के पालन पोषण से टाइम नहीं लगता और रिश्वत देने के लिए उनके पास पैसा भी नहीं होता इसलिए वह बेचारे बीपीएल राशन कार्ड बनवाने का अपना उम्मीद खो देते हैं लेकिन ग्राम पंचायतों में एवं तहसील स्तर पर बैठे हुए अधिकारी यह भूल जाते हैं
कि हमें गरीबों की सेवा करने के लिए ही बैठाया गया है और हमें तनख्वाह इसीलिए ही मिल रही है
लेकिन ऐसा अधिकारी नहीं सोचते और आज भी ऐसे कई ग्राम पंचायतों में पात्र अपना राशन कार्ड नहीं बनवा पा रहे और जो पात्र नहीं है जिनके पास फोर व्हीलर है कई एकड़ की जमीन है वह अपने पैसे के दम से सरकारी दफ्तरों में जाकर अपना बीपीएल राशन कार्ड बनवा कर आज भी शासकीय योजनाओं का लाभ ले रहे है
यदि उच्च अधिकारियों के द्वारा इसकी जनगणना करवाई जाए तो यह साबित हो सकता है सौ परसेंट में 20 परसेंट ही बीपीएल राशन कार्ड की पात्र मिलेंगे, बाकी अपात्र ही बीपीएल राशन का लाभ ले रहे हैं या तो कोई पार्टी का आदमी है या फिर किसी अधिकारी का खास रिश्तेदार या फिर पैसे वाला, ताकि ऐसा अब चलेगा नहीं क्योंकि केंद्र सरकार कई राज्यों में यह सच बहुत जल्दी लेकर आने वाली है
क्योंकि कुछ राज्यों में इसकी प्रक्रिया चालू होते हुए भी दिख रही है लेकिन प्रधानमंत्री एवं राज्यमंत्री की सरकार क्या करें आदेश तो जारी करती है लेकिन सही तरीके राजनीतिक नेता एवं उच्च अधिकारी अपनी जेब भरने के कारण अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाते यदि उनका चले तो हितग्राहियों को वह कुछ भी ना दें लेकिन क्या करें ज्यादा घोटाले करने से उन पर कार्यवाही हो जाएगी इसलिए अंदर अंदर ही कर रहे हैं और ऊपर तक है यह बात पहुंच नहीं पाती यदि कोई गरीब व्यक्ति आवेदन करता है तो उससे अधिकारियों के द्वारा इतने सबूत और इतने सवाल किए जाते हैं कि वह बेचारा दूसरी बार कोई भी शासकीय योजना का लाभ लेने के लिए उम्मीद ही खो कर घर पर बैठ जाता है,
और जो पात्र नहीं है उससे इतना सवाल नहीं करते हैं क्योंकि वह राजनीति नेताओं का सहारा लेकर जाता है या तो पैसे के दम पर काम करवाता है इसलिए
(अब जानिए अधिकारियों के कार्यवाही करने के नियम तरीके)
यदि किसी राजनीतिक नेता या फिर दबंग के द्वारा ग्राम पंचायत एवं नगर पंचायत में भ्रष्टाचार किया जाता है या फिर शासकीय योजनाओं का दुरुपयोग किया जाता है अपने पद एवं अधिकार का नाजायज फायदा उठाता है,
तो यदि कोई गरीब सोचे कि हम जाकर नागरिक होने के कारण जिम्मेदार अधिकारियों को आवेदन लगाकर जानकारी दे दे तो अधिकारी यह नहीं सोचेंगे कि चलकर निरीक्षण किया जाए और शासकीय योजनाओं का दुरुपयोग करने वाले या फिर अपने पद का दुरुपयोग करने वाले के फिलाफ हम कार्यवाही करें, लेकिन अधिकारियों की मानसिकता ऐसा नहीं है
उसी आवेदक से कहेंगे की हमें सबूत लाकर काउंटर पर दो क्योंकि निरीक्षण करने में मेहनत करनी पड़ेगी है और वह अधिकारी मेहनत करना नहीं चाहतें और आवेदक एक बार दो बार गया और तीसरी बार यह सोच कर चुप बैठ जाता है जब उच्च अधिकारी ही नहीं सुन रहे तो हम क्या कर सकते हैं और हम किसी से क्या उम्मीद कर सकते हैं
लेकिन अधिकारी ऐसा क्यों नहीं सोचते है कि बिना तनख्वाह वाला अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है, और हमें तो तनखा मिलती है हम इसी के लिए बैठाया जाता है हमें गाड़ी का डीजल गाड़ी मिलती है जब अधिकारी यह काम नहीं कर पाते हैं तो यह गरीब कहां से इतने सबूत लाएगा क्योंकि यह तो दो वक्त की रोटी कमाने खाने वाला व्यक्ति है चलो कम से कम शासन प्रशासन की ये गरीब व्यक्ति मदद कर रहा है और हम इसके सच्चाई जाकर देखें और उचित नियमों अनुसार कार्यवाही करें ताकि जनता को किसी भी तरह की परेशानियों का सामना ना करना पड़े
राजधानी एक्सप्रेस न्यूज़ हलचल आज की तरफ से जो खबर चलाई जा रही है मैं वर्तमान को देखते हुए सत्य है
(सही और गलत का जवाब जरूर दें)