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*चंदास नदी की यात्रा संपन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, लेखकों ने जाना नदी का हाल*

अनुपपूर जिला मध्य प्रदेश

चंदास नदी की यात्रा संपन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, लेखकों ने जाना नदी का हाल

सम्पूर्ण सर्वे में नदी में हो रहे अतिक्रमण, नदी को प्रदूषित करने वाले कारण का भी अध्ययन किया गया

रिपोर्टर – चंद्रभान सिंह राठौर

अनूपपुर –

मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ इकाई अनूपपुर के तत्वाधान में आयोजित चंदास नदी यात्रा आज 6 अप्रैल 2022 को संपन्न हो गई। पांच दिवसीय इस नदी यात्रा में विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओ, पत्रकारों, लेखकों की भागीदारी के साथ अपनी भागीदारी निभाई। यात्रा की शुरुआत नवरात्रि के के प्रथम दिवस पर 2 अप्रेल को की गई जिसमें यात्रा करने वाले सभी सदस्यो को शुभकामनाएं देने व यात्रा को प्रारंभ करने के लिए प्रसिद्ध साहित्यकार लेखक उदय प्रकाश सिंह तथा उनकी पत्नी कुमकुम सिंह उपस्थित रहे। यात्रा के संयोजक एवं प्रगतिशील लेखक संघ इकाई अनूपपुर के प्रमुख गिरीश पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि पांच दिवसीय चंदास नदी यात्रा का आरंभ 2 अप्रैल को किया गया था। यात्रा चंदास नदी के उद्गम स्थल लखनपुर गुलगुली के बीच स्थित पहाड़ से शुरू की गई थी जो 5 दिवस पश्चात चंदास सोन नदी के संगम पर जाकर संपन्न हुई।

चली 5 दिवसीय यात्रा

गिरीश पटेल ने बताया कि इस पांच दिवसीय यात्रा के दौरान यात्रियों ने नदी की परिस्थिति तंत्र को समझने का प्रयास किया यात्रियों ने जाना की नदी और उसके आसपास की परिस्थितियां कैसी हैं और संकट में पड़ी चंदास नदी को कैसे पुनर्जीवित किया जा सकता है। विदित हो की चंदास सोन में मिलने वाली छोटी-छोटी नदियों मैं से एक प्रमुख नदी है जो लगभग 22 किलोमीटर का सफर तय करते हुए सोन में मिल जाती है। पांच दिवसीय इस नदी यात्रा का प्रारंभ चंदास के उद्गम स्थल से किया गया था यात्रा इस दौरान लखनपुर, कर्रा टोला, पोट्ठा टोला, ताराडांड, दुलहरा, सकरिया, पुरानी बस्ती, अनूपपुर, परसवार, करहीवाह से होते हुए बाबा मढ़ी के पास सोन-चंदास संगम तक यात्रा को समाप्त किया गया। यात्रा के दौरान चंदास नदी पर बने विभिन्न स्टॉप डेमों की स्थिति को देखा गया साथ ही नदी के किनारे होने वाली खेती, जंगल, वनस्पति का अध्ययन करने के साथ-साथ इस यात्रा में नदी के किनारे वाले अतिक्रमण व शहरों से निकलने वाले सीवर लाइन और गंदगी वाली नालियों का प्रदूषित पानी सीधे नदी में मिलता हुआ देखा गया प्रदूषण की स्थिति का भी आकलन किया गया। इस यात्रा में फ़ोटोग्राफ़ी और वीडियोग्राफ़ी उमेश सिंह और ललित दुबे ने की । ललित दुबे ने नदी की स्थिति उसके अवरोध, नदी को बचाने में किए जा सकने वाले प्रयत्नों, अतिक्रमणों तथा नदी को प्रदूषित करने वाले तत्वों का बारीकी से अध्ययन करते हुए वीडियोग्राफ़ी की गई जिसकी मदद से इस नदी पर पूरी रिपोर्ट तैयार की जा सकेगी। जल विशेषज्ञ के रूप में सब इंजीनियर जल संसाधन विभाग के बी एल द्विवेदी उपस्थित रहे जिन्होंने जल संचय और प्रवाह व नदी को जीवित रखने की सारी संभावनाओं के बारे में गहन अध्ययन करते हुए अपनी महत्वपूर्ण सलाह दी । एक कर्मठ पत्रकार और प्रलेस अनूपपुर के सदस्य आनंद पाण्डेय ने यात्रा के प्रारंभ से लेकर समापन तक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा उन्होंने पॉंचो दिन अनवरत रह कर इस दल को प्रेरित किया। यात्रा के प्रमुख साथी भूपेश शर्मा तथा ललित दुबे ने बताया कि इस दौरान यात्रियों ने जो भी अनुभव किया है और जो भी आंकड़े और जानकारी प्राप्त हुई है उनकी एक अध्ययन रिपोर्ट बना कर जिला प्रशासन, मध्यप्रदेश सरकार व जनमानस को भी साझा की जायेगी और चंदास को पुनर्जीवित करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाकर चंदास के पुनरुत्थान का काम आगामी समय में किया जायेगा।

शहर में नदी हुई प्रदूषित

यात्रा करने वाली टीम ग्रामीण क्षेत्रो से जैसे ही पुरानी बस्ती के पुलिस कॉलोनी के पास पहुँची जहाँ से नदी के किनारे सैकड़ो मकान नदी का अतिक्रमण करके मकान बना लिए है शहरी इलाका में नदी के किनारे प्लास्टिक के ढेर लगे हुए मिले पुरानी बस्ती एवं सकरिया में बने शासकीय छात्रावास, बेतल मिशन स्कूल, स्मार्ट सिटी के अलावा आधा शहर का गंदा सीवर नाली का पानी सीधे नदी में मिल रहा हैं जिससे नदी पूरी तरह से प्रदूषित हो गयी है जब कि ग्रामीण क्षेत्रो में नदी पूरी तरह साफ नजर आयी अनूपपुर शहर में नदी के किनारे रहने गरीब लोग इसी प्रदूषित पानी का अपने रोजमर्रा के काम मे उपयोग करते देखे गए

बांध ने दिया नदी को जीवन

चंदास नदी के उद्द्गम स्थल पर जाकर जब हमारी टीम ने जब उस जगह का मुआयना किया तो उद्द्गम स्थल पर सतह पर बिल्कुल पानी नही मिला जिसके कारण उद्द्गम स्थल पर ही चंदास नदी दम तोड़ते हुए दिखी वहाँ से लगभग 40 मिनट पैदल चलने के बाद नदी में पानी के दर्शन हुए जहाँ पर प्राकृतिक स्रोतों से पानी निकलते दिखा, लखनपुर बांध और ताराडांड बांध के कारण बांध के आगे नदी में पर्याप्त पानी देखा गया जो निरंतर सोन नदी में मिलते तक पर्याप्त रूप से पानी नदी ने दिखा जिससे यह साबित हो जाता हैं चंदास नदी को कही न कही जीवन देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका है।

स्टॉप डेम में गेट नदारद

चंदास नदी के उद्द्गम स्थल से सोन नदी तक शासन की योजनाओं से कई स्टॉप डेम का निर्माण करवाया गया है मगर उन सभी स्टॉप डेम का सही रूप से रख रखाव न होने के कारण केवल स्टॉप डेम का महत्व केवल खानापूर्ति तक सीमित रह गयी है। गर्मी शुरू हो चुकी है उसके बाद भी सभी स्टॉप डेमो पानी रोकने के लिए गेट बंद नही किया गया है जिससे पानी बहकर व्यर्थ जा रहा हैं और आने वाले दिनों में पानी की काफी ज्यादा किल्लत हो सकती हैं। प्रशासन को चाहिए कि स्टॉप डेम का गेट जल्द से जल्द लगवाकर पानी को रोका जाए। और जगह जगह बोरी बधान के माध्यम से पानी को रोककर जहाँ जहाँ गर्मी शुरू होते ही पानी खत्म हो जाता हैं गर्मी के समय भी पानी उपलब्धता बनाई जा सकती हैं।

यात्रा में रहे शामिल

यात्रा मैं प्रगतिशील लेखक संघ अनूपपुर के गिरीश पटेल आनंद पाण्डेय ,राम नारायण पाण्डेय, बी एल द्विवेदी, उमेश सिंह, जिवेंद्र सिंह, बाल गंगाधर सिंह सेंगर के साथ साथ राष्ट्रीय युवा संगठन के भूपेश भूषण शर्मा, ललित दुबे, शिवकांत त्रिपाठी, चंद्रशेखर सिंह, इस्ताक शहड़ोली, सुषमा सिंह नेटी, राजेश मानव, संजय विश्वास, दीपक अग्रवाल, वन्य प्राणी प्रेमी एवं सर्प प्रहरी शशिधर अग्रवाल, सीताराम मिश्रा, ब्रजेन्द्र सोनी, डॉ करुणा सोनी आदि शामिल रहे।

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