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*जिला दण्डाधिकारी ने नरवाई जलाने पर लगाया प्रतिबंध स्ट्रॉरीपर मशीन से भूसा तैयार करवाने पर ही हार्वेस्टर से करवा सकेंगे फसल की कटाई*

पन्ना जिला मध्य प्रदेश

*जिला दण्डाधिकारी ने नरवाई जलाने पर लगाया प्रतिबंध स्ट्रॉरीपर मशीन से भूसा तैयार करवाने पर ही हार्वेस्टर से करवा सकेंगे फसल की कटाई*

(पढ़िए जिला पन्ना से ब्यूरो चीफ प्रदीप कुमार नायक की रिपोर्ट)

मध्य प्रदेश के अंतर्गत जिला पन्ना में 20 मार्च, 2022 को
जिला कलेक्टर एवं दण्डाधिकारी श्री संजय कुमार मिश्र ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत तत्काल प्रभाव से पन्ना जिले में गेहूं और अन्य फसलों के डंठलों (नरवाई) में आग लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।


इस संबंध मंे जारी आदेश में उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में गेहूं की फसल कटाई का कार्य मुख्यतः कम्बाइन्ड हार्वेस्टर द्वारा किया जाता है और कटाई के बाद बचे हुए गेहूं के डंठलों (नरवाई) से भूसा नहीं बनाकर इसे जलाया जाता है, जबकि भूसे की आवश्यकता पशु आहार के साथ ही अन्य वैकल्पिक रूप में की जा सकती है। ईंट भट्टा सहित अन्य उद्योगों में इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त भूसे की मांग अन्य जिलों और प्रदेश में रहती है। पर्याप्त मात्रा में भूसा-पैरा उपलब्ध न होने के कारण पशु अन्य हानिकारक पदार्थ जैसे पॉलिथीन इत्यादि खाकर बीमार होते हैं और अनेक बार मृत्यु के कारण पशुधन की हानि भी होती है।

नरवाई का भूसा कुछ माह बाद दोगुनी दर पर विक्रय होने के कारण किसानों को यही भूसा बढ़ी हुई दर पर क्रय करना पड़ता है।
डगमग में

उपरोक्त परिस्थितियों के अतिरिक्त नरवाई में आग लगाना कृषि के लिए नुकसानदायक होने के साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से भी हानिकारक है। इसके कारण गंभीर स्वरूप की अग्नि दुर्घटना होने से संपत्ति की हानि भी होती है। ग्रीष्मकाल में बढ़ते जल संकट में बढ़ोत्तरी का कारक होने के साथ ही कानून-व्यवस्था के लिए विपरीत परिस्थितियां निर्मित होती हैं। इसके अलावा खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जन, धनज संपत्ति, प्राकृतिक वनस्पति और जीव-जन्तु नष्ट होने से व्यापक नुकसान भी होता है। इसके अलावा नरवाई जलाने से खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु नष्ट होने के कारण खेत की उर्वरा शक्ति घट जाती है और उत्पादन प्रभावित होता है।
खेत में पड़ा कचरा, भूसा, डंठल सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते हैं। इन्हें जलाकर नष्ट करना ऊर्जा नष्ट करने जैसा है। आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन भी होता है। जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

जिला दण्डाधिकारी द्वारा उपरोक्त परिस्थितियों के दृष्टिगत जनसामान्य के हित, सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा, पर्यावरण की हानि रोकने तथा लोक व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है। इसके साथ ही प्रत्येक कम्बाइन्ड हार्वेस्टर के साथ भूसा तैयार करने के लिए स्ट्रा-रीपर अनिवार्य रूप से रखने के लिए निर्देशित किया गया है। इसी तरह संबंधित कृषक द्वारा स्ट्रा-रीपर से भूसा तैयार करने के लिए सहमत होने पर ही हार्वेस्टर से फसल की कटाई की जा सकेगी। आदेश के उल्लंघन पर भा.द.वि. की धारा 188 के तहत की जाएगी सख्त कार्यवाही

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