असरानी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि हँसी के उस साधक की विदाई, जिसने पीढ़ियों की आँखों में बोई खुशियां
जिला कटनी मध्य प्रदेश

असरानी को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि
हँसी के उस साधक की विदाई, जिसने पीढ़ियों की आँखों में बोई खुशियां
(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)
भारतीय सिनेमा ने आज एक अमूल्य धरोहर खो दी।
हिंदी फिल्मों की दुनिया में सहज, शालीन और आत्मीय हास्य का पर्याय रहे असरानी अब हमारे बीच नहीं रहे। वह चेहरा, जिसने न जाने कितनी पीढ़ियों को हँसाया और जीवन के दर्द को हल्का किया — आज खामोश हो गया।
यह सिर्फ एक कलाकार का जाना नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की आत्मा का एक कोना बुझ जाने जैसा है।
असरानी सिर्फ कॉमेडियन नहीं थे, वे हँसी के एक गंभीर साधक थे।
“शोले” के अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हों या “चुपके चुपके”, “आँखें” जैसी फिल्मों में निभाए गए सादगी और आत्मीयता से भरे रोल — हर किरदार में उनका अभिनय चरित्र की गरिमा बढ़ाता था,
हल्का नहीं करता था। वे हँसी को कभी सस्ती दृष्टि से नहीं देखते थे, बल्कि उसे कला का शुद्धतम रूप मानते थे।
आज जब मनोरंजन की दुनिया में अश्लीलता और व्यंग्य का स्तर नीचे जा चुका है
असरानी जी की मुस्कान हमें सिखाती है कि असली कॉमेडी दिल को छूती है,
आत्मा को छूती है — वह किसी को चोट नहीं पहुँचाती। उन्होंने साबित किया कि किरदार में उतरकर हँसाना, गिरकर हँसाने से कहीं बड़ी कला है।
असरानी का जाना एक युग का अंत है, पर उनका असर अमर रहेगा।
आने वाली पीढ़ियाँ जब-जब किसी सरल, मासूम और मानवीय हास्य से भरे किरदार को देखेगी — वह मुस्कान असरानी की ही होगी।
श्रद्धांजलि हँसी के उस जादूगर को नमन, जिसने हर दुःख में भी उजाला खोजने का साहस दिया।
असरानी अमर रहेंगे — हर मुस्कान में, हर किरदार में, हर याद में।