बरही स्वास्थ्य केंद्र की कार्यशैली पर उठे सवाल सर्पदंश की दवाओं में गड़बड़ी का आरोप
जिला बरही जिला कटनी मध्य प्रदेश

बरही स्वास्थ्य केंद्र की कार्यशैली पर उठे सवाल
सर्पदंश की दवाओं में गड़बड़ी का आरोप
(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)
बीएमओ राममणि पटेल पर लगाया गया पद के दुरुपयोग एवं दवा कालाबाजारी का आरोप
मध्य प्रदेश जिला कटनी के बरही ब्लॉक मेडिकल ऑफिस की कार्यप्रणाली एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। बरही स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (BMO) डॉ. राममणि पटेल पर एक महिला मरीज ने सर्पदंश की दवाओं में कालाबाजारी और कमीशनखोरी के गंभीर आरोप लगाए हैं।
कुठिया मुहगवां निवासी
माला दुबे, पिता प्रदीप दुबे (उम्र 27 वर्ष) ने बताया कि **सर्पदंश की शिकायत पर जब वह इलाज हेतु बरही स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, तो बीएमओ ने स्वास्थ्य केंद्र की सरकारी दवाएं देने से इनकार कर दिया।
इसके बजाय उन्होंने निजी मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदने की सलाह दी।

महिला के अनुसार, बीएमओ ने पास की एक निजी मेडिकल दुकान (नामदेव मेडिकल) से दवा लेने को कहा, जहां से महंगी दरों पर दवाएं दी गईं। संदेह है कि इसमें अधिकारी का निजी लाभ (कमीशन) शामिल है।
स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध थीं दवाएं, फिर भी मरीज को बाहर से दिलवाई गईं
मरीज के परिजनों ने जब इस विषय पर आपत्ति जताई और विरोध किया, तब जाकर स्वास्थ्य केंद्र में ही संबंधित दवाएं उपलब्ध होने का खुलासा हुआ। इससे प्रशासनिक लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार की बात सामने आई।

थाने में भी नहीं मिला न्याय, एनसीआर दर्ज कर टाल दिया मामला
पीड़िता जब शिकायत लेकर बरही थाने पहुंची, तो वहां से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सिर्फ एनसीआर दर्ज कर मामला निपटाने की कोशिश की गई। महिला ने आरोप लगाया कि पुलिस ने डॉक्टर को बचाने की कोशिश की और न्यायालय में जाने की सलाह देकर प्रशासनिक तंत्र की संवेदनहीनता को उजागर किया।
बीएमओ पर पहले भी लगे हैं गंभीर आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि डॉ. राममणि पटेल पहले भी कई बार विवादों में रह चुके हैं। एक पुराने मामले में एक महिला का ऑपरेशन करने के बाद टांके खुल जाने की गंभीर लापरवाही का मामला भी सामने आया था। आरोप है कि फिर भी वह लगातार पद पर बने हुए हैं और खुद को “अभेद्य” समझते हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, बीएमओ खुलेआम कहते हैं — “मुझे कोई कुछ नहीं कर सकता, मैं सबको जेब में रखता हूँ।

प्रशासन मौन, कलेक्टर की मंशा पर उठे सवाल
हाल ही में जिले के कलेक्टर द्वारा आयोजित स्वास्थ्य सेवाओं पर समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि सर्पदंश जैसे मामलों में दवाएं स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहें।
इसके प्रचार-प्रसार के लिए अभियान भी चलाया गया। लेकिन इस मामले से साफ है कि जमीनी हकीकत प्रशासन की मंशा से मेल नहीं खा रही है।
क्या प्रशासन दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगा या भ्रष्टाचार पर चुप्पी साधे रखेगा?
जनता को उम्मीद है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और दोषी अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं पर से जनता का विश्वास न उठे और लोकतंत्र की नींव मजबूत बनी रहे।




