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शासकीय ज़मीन पर बढ़ता अतिक्रमण: ग्राम पंचायत जमथान में प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

तहसील भरतपुर जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

शासकीय ज़मीन पर बढ़ता अतिक्रमण: ग्राम पंचायत जमथान में प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)

छत्तीसगढ़ राज्य के जिला एमसीबी भरतपुर अंतर्गत विकासखंड के ग्राम पंचायत जमथान में शासकीय भूमि पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की शिकायतें सामने आ रही हैं। हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले में शासन-प्रशासन पूरी तरह से मौन नजर आ रहा है, जबकि अतिक्रमण करने वालों में शासकीय कर्मचारी भी शामिल बताए जा रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2014-15 के दौरान कुछ लोगों द्वारा ग्राम की शासकीय भूमि पर धीरे-धीरे कब्जा कर निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। बताया गया कि इनमें से कुछ लोग पहले शासकीय भवनों में निवासरत थे, लेकिन बाद में उन्होंने उक्त शासकीय भूमि पर निजी मकान बना लिए और वहीं रहने लगे।

वर्ष 2016-17 में ग्राम पंचायत द्वारा रखवा नंबर 39 एवं 147/1 में सीमांकन कराया गया था, उस समय भूमि पर किसी प्रकार का कोई अतिक्रमण दर्ज नहीं था। लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि लगभग 20 से 25 लोगों ने इस भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया है।

रिकॉर्ड के अनुसार यह भूमि लगभग 76 एकड़ है, जिस पर पहले शासन की ओर से नीलगिरी के पौधे लगाए गए थे। आज भी वहाँ पेड़-पौधे मौजूद हैं, लेकिन अतिक्रमणकारियों ने लगभग **10 से 15 एकड़** जमीन पर कंटीले तार लगाकर अपनी कब्जेदारी का दावा करना शुरू कर दिया है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कब्जाधारियों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि उनके पास पट्टे हैं। लेकिन जब उनसे पट्टे दिखाने की मांग की जाती है, तो वे कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करते। इसके विपरीत वे ग्रामीणों को धमकाते हुए कहते हैं कि “हमारे पास पट्टा है, हमें कोई नहीं हटा सकता।”

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन अतिक्रमणकारियों में कुछ व्यक्ति शासकीय कर्मचारी भी हैं। नियमों के अनुसार, किसी भी शासकीय कर्मचारी द्वारा सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण करना न केवल प्रशासनिक नियमों का उल्लंघन है, बल्कि एक **दंडनीय अपराध** भी है।

स्थानीय लोगों ने शासन-प्रशासन से इस विषय पर त्वरित संज्ञान लेने, अतिक्रमण की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। अगर समय रहते इस गंभीर समस्या पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले समय में शासकीय भूमि पर अराजकता और बढ़ सकती है, जिससे ग्राम के विकास कार्यों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।

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