राजनीतिक नेताओं के संरक्षण में चल रहे हैं विद्युत विभाग कठहा के आधिकारी मनमानी तरीके से ग्रामीण क्षेत्र में बिजली की कर रहे हैं कटौती
तहसील अमरपाटन जिला सतना मध्य प्रदेश

राजनीतिक नेताओं के संरक्षण में चल रहे हैं विद्युत विभाग कठहा के आधिकारी मनमानी तरीके से ग्रामीण क्षेत्र में बिजली की कर रहे हैं कटौती
(पढ़िए जिला सतना ब्यूरो चीफ आशीष गुप्ता की खास खबर)
मध्य प्रदेश सतना जिला तहसील अमरपाटन के अंतर्गत विद्युत विभाग कठहा में पदस्थ जेई पटेल की खुलेआम मनमानी जिसके साथ में सरकार की सहमति हो वह गरीब ग्रामीण वासियों के साथ कुछ भी कर सकता है
जी हां ऐसे ही मामला विद्युत विभाग कठहा में जेई पटेल से लेकर अधिकारी तक अपनी मनमानी चाला रहे है और ग्रामीण क्षेत्र की बिजली आधा आधा घंटे में बंद चालू करते हैं बरसात के महीने में कोई भी कीड़ा मकोड़ा घर में घुसकर यदि लड़के बच्चों को काट दे तो इसका जिम्मेदार कौन होगा ये कभी सोचते ही नहीं ह
एक तरफ बीजेपी सरकार 24 घंटा लाइट देने की घोषणा करती है वहीं दूसरी तरफ सतना जिला के विद्युत विभाग कर्मचारी राजनीतिक नेताओं के संरक्षण में अपने मन में मनमानी तरीके से आधा घंटा एक घंटा कट कर 24 घंटा की बिजली 12 घंटे ही देते हैं और बीजेपी सरकार के घोषणाओं में पानी फेरते हुए नजर आते हैं
और ग्रामीण वासी करें तो कर क्या करें क्योंकि अधिकारियों की पहुंच ऊपर तक होती है, और इसीलिए मनमानी तरीके से गरीबों के घर में 3000-2500-2000 तक बिजली का बिल 1 महीने का ही भेज देते हैं और यदि कोई गरीब आवाज उठाता है तो दूसरे महीना कार्यवाही करने की वजह और दुगना बिल भेज कर धमकी दे देते हैं कि यदि आपने लाइट बिल नहीं भरा तो आपका कनेक्शन काट दिया जाएगा फिर कानून करते रहना अब बेचारा गरीब अंधेरे में अपने बाल बच्चों को पालन पोषण से डरने की वजह ले जाकर लाइट बिल भरने के लिए मजबूर हो जाते है
बात यहीं तक नहीं रुकी सामने वाले व्यक्ति का कनेक्शन हो या ना हो यदि उसका थ्रेसर एवं स्टार तर रखी है तो वह अपनी मर्जी से उठा ले जाते हैं और कहेंगे ₹5000 दो और अपनी स्टार्ट टर लेकर जाओ वही किसान विद्युत विभाग के चक्कर कटते-कटते जब परेशान हो जाता है तो अपना 200-300 रुपए की मजदूरी करना भूल जाता है और लास्ट में मजबूर होकर उसे रिश्वत देना ही पड़ता है ऐसे हैं विद्युत विभाग कठहा में अधिकारियों की खुलेआम मनमानी एवं भ्रष्टाचारी क्योंकि उन्हें उपर तक पहुंचाना पड़ता है तभी तो संरक्षण मिलेगा क्या करें मजबूरी है