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*देवांता अस्पताल में 2 जिम्मदारों डॉक्टरों पर धोखाधड़ी सहित कई धाराओं में पुलिस ने मामला किया दर्ज*
शहडोल जिला मध्य प्रदेश

- देवांता के 2 जिम्मदारों डॉक्टरों पर धोखाधड़ी सहित कई धाराओं में मामला दर्ज
- (संवाददाता – चंद्रभान सिंह राठौर संभागीय ब्यूरो चीफ )
- क्योंकि देवांता अस्पताल ने ले ली पुष्पा कि जान, समय से सही जानकारी देने पर बच सकती थी जान
- देवांता अस्पताल प्रबंधन पर लगे गंभीर आरोप,10 दिनों से भर्ती महिला के पति को दे रहे थे झूठे आश्वासन
- कोतवाली को भी नहीं दी थी सूचना, वेंटीलेटर में लाश को रखकर ऐठ रहे थे
- शहडोल मुख्यालय स्थित देवांता अस्पताल का प्रबंधन पैसों की लालच और लापरवाही के कारण आए दिन सुर्खियों में रहता है।
- इससे पूर्व मंगलवार को एक घटना कर गलती छुपाने में लगे हुवे थे और वह अभी था ही कि दूसरी घटना बुधवार की दोपहर जिला अनूपपुर के विकासखंड जैतहरी अंतर्गत ग्राम क्योंटार निवासी पुष्पा राठौर के पति संतोष राठौर उम्र 32 वर्ष जोकि चोरभठी में निवासरत है
- अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए बताया की मुर्दे के इलाज और जबरिया वेंटीलेटर में लाश को रखने और रुपए वसूलने के फिराक में अस्पताल प्रबंधक लगे हुए। मामला पुलिस कंट्रोल रूम और 100 डायल तक पहुंचा, कोतवाली पुलिस जब बुधवार की शाम लगभग 6:00 बजे मौके पर पहुंची तो अस्पताल के साझेदार डॉक्टर बृजेश पांडे अपने कर्मचारियों के साथ लाश को ऑक्सीजन के साथ शहडोल से अनूपपुर रेफर कर रहे थे।
- जिसमें इलाज के संपूर्ण दस्तावेज और सही दस्तावेज भी डॉक्टरों द्वारा नही दिया गया था।पुलिस के मदद से निकाली गई महिला की लाशआपको बता दें की अस्पताल प्रबंधक के द्वारा संतोष राठौर को पुष्पा की लाश नहीं दी जा रही थी और पैसे की मांग की जा रही थी जिसे देखते हुए संतोष राठौर ने पुलिस और मीडिया की मदद ली जिससे वह अपनी पत्नी की लाश पा सका।
जिला चिकित्सालय में मौत कि हुई पुष्टी
संतोष राठौर ने पुलिस को बताया की शहडोल से अनूपपुर रेफर कर पत्नी की लाश को कमाई का जरिया बनाने के बाद आगे के बारे में अस्पताल द्वारा कुछ भी नहीं बताया गया है।
- शहडोल से अनूपपुर रेफर तो कर दिया गया है लेकिन इस अस्पताल में यह प्रबंधक ने नहीं बताया कि किस अस्पताल में रोगी को लेजाना है,साथ ही जितनी भी दवाएं और उपचार की गई उसके दस्तावेज नहीं दिए गए।
- संतोष ने बताया की वह अपनी पत्नी को कई बार जाकर आईसीयू में देख चुका है। संतोष ने बताया की लगभग बुधवार की दोपहर को ही उसकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है।
- उसे ऑक्सीजन और पंप देकर अस्पताल प्रबंधक मृत शरीर से पैसे कमाने का कार्य कर रही है।
- संतोष के निवेदन के बाद पुलिस आईसीयू से ही वेंटीलेटर के साथ पुष्पा की बॉडी को लगभग 7:00 बजे शाम को जिला चिकित्सालय लेकर पहुंची।
- जिला चिकित्सालय में डॉक्टर अजय कुमार राठिया ने चेक करने के दरमियां बताया की महिला यहां मृत अवस्था में पहुंची थी और उसके पीपी डायलेट थे।
- हमने ईसीजी कर यह पुष्टि की है,महिला कि मृत्यु कुछ घंटे पहले ही हुई है। पोस्टमार्टम ही सही रिपोर्ट आयेगी।अस्पताल प्रबंधन ने मचा रखी थी लूटसंतोष ने बताया की मैं 13 सितंबर को अपनी पत्नी पुष्पा को यहां शहडोल लेकर आया था। मेरी पत्नी पुष्पा ने कीटनाशक दवा पी ली थी।
- इन 10 दिनों में करीब 1.5 लाख की दवाई अस्पताल मेडिकल दुकान से मेरे द्वारा ली गई है, मेडिकल के बिल दिखाते हुए संतोष नहीं अभी बताया की वेंटीलेटर में रखने का खर्च ₹2000 प्रति घंटा लिया जा रहा था। बीते दिन शाम को यह कहा गया की इसे आप अनूपपुर के अस्पताल में ले जाएं। पर बताया नहीं
- क्या की इस अस्पताल में ले जाया जाए। 64000 का बिल चुकाने की बात जब अस्पताल प्रबंधन के द्वारा कही गई तो मेरे द्वारा पूर्व में 30000 हजार रुपए जमा किए गए द डॉक्टर बृजेश पांडे ने कहा की पैसे दोगे तभी मरीज को छुट्टी देंगे यह सुनकर संतोष ने अपने खड़ी फसल लगे हुए खेत को फसल सहित बेच दी और बुधवार की शाम 30000 रुपए दिए तब जाकर दवाओं के फाइल देने की बात प्रबंधन के द्वारा सामने आई।
- प्रत्येक दिन मुझे झूठे प्रलोभन में डालकर मेरी पत्नी के साथ सही उपचार न करते हुए अस्पताल प्रबंधन के द्वारा यही बताया गया की बस 2 दिन में ठीक हो जाएगी आप चिंतित ना हो। ऐसे करते हुए पुष्पा के मृत शरीर के साथ पैसे का कारोबार करते रहे और अंतिम समय में गाड़ी ना देने की बातें भी सामने आने लगी।
- यदि समय रहते नाजुक हालत के बारे में मुझे बता दिया गया होता तो मैं कहीं और ले जाकर अपनी पत्नी की जान बचा सकता था। मेरी पत्नी की मृत्यु का कारण सिर्फ और सिर्फ अस्पताल प्रबंधक है।दूसरे डॉक्टर का नाम और दूसरे ने किया कामजी हां आपको बता दें की किसी आने डॉक्टर के नाम की पर्ची देकर और डॉक्टरों द्वारा इलाज कर पैसे कमाने का खेल अस्पताल प्रबन्धन कर रही थी।संतोष राठौर ने बताया की उसके पास दवाओं की जो पर्चियां हैं
- उसमें डॉक्टर दीपक पाल का नाम लिखा हुआ है लेकिन यहां पर इलाज डॉक्टर बृजेश पांडे तो कहीं कोई और चिकित्सक कर रहे थे। संतोष ने बताया की इन 10 दिनों में फ्री पिया है
- बताया गया की डॉक्टर दीपक पाल बड़े डॉक्टर हैं लेकिन ना तो उनसे मुलाकात हुई और ना ही कभी उनके पत्नी को आकर देखा ही संतोष ने यह भी बताया की बुधवार से पहले कोई भी पुलिसकर्मी उसके या उसकी पत्नी के पास बयान लेने नही आए ना ही कोई सूचना देने पर आया गया था।
- उसने खुद जब परेशान होकर पुलिस से मदद मांगी तो पुलिस सामने आई और संतोष कि मदद की गई। अस्पताल प्रबंधन पर सवालिया निशान खड़े करते यह कार्य यह भी प्रश्न उठाता है
- की अस्पताल प्रबंधन ने इतने संगीन मामले में 10 दिनों तक पुलिस को सूचना या तहरीर क्यों नहीं दी। यह पहला मामला नहीं है जब देवांता अस्पताल की लापरवाही सामने आई है।
- मिटा के पति ने आरोप लगाया है की पैसों की खाती डॉक्टर बृजेश पांडे और अस्पताल प्रबंधन ने उसकी पत्नी की घोषित हत्या की है।
- यदि समय रहते समय पर बता दिया गया होता और अनूपपुर की जगह और कहीं रेफर की बात बताई गई होती तो बड़े अस्पताल में शायद कहीं और मैं अपनी पत्नी की जान बचा सकता था। पर पैसे कमाने की फिराक में अस्पताल प्रबंधन के द्वारा एक पति से उसकी पत्नी और बच्चों से उसकी मां का छाया छीन लिया गया।
- इस घटना से ऐसे लगता है की डॉक्टर भगवान के रूप माने जाते हैं परंतु इन भगवानों ने इंसान की जान को बिल्कुल बिना मोल के बना रखा है
- जिसकी कोई कीमत नहीं है। आज संतोष और उसके परिवार पर क्या बीट रही होगी उसे वह ही जान सकते हैं परंतु इससे अस्पताल प्रबंधन को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। क्योंकि वह तो अपना बिजनेस चलाने में लगे हुए हैं।गरीब के साथ किया गया शोषणआपको बता दें की संतोष द्वारा बताया गया की मेरी पत्नी का आयुष्मान कार्ड बना हुआ है परंतु उसे कार्ड का कोई महत्व इस अस्पताल में नहीं रखा गया ना ही प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं को चलकर गरीबों की मदद करने को लेकर ध्यान दिया गया बल्कि बदले में मुझमें गरीब से पैसे आए द और अंतिम में मेरी पत्नी की जान लेकर भी पैसे की मांग अस्पताल प्रबंधन द्वारा लगातार किया जाता रहा।
- और मेरे पत्नि कि बॉडी भी बिना पैसे के नहीं दी जा रही थी। आपको बता दें की इससे पूर्व भी मीडिया में देवांता हॉस्पिटल शहडोल कि गलतियां और घटनाओं को अंजाम देने को लेकर हमेशा सुर्खियों में बने रहे हैं और हद तो तब हो गई जब सन्तोष के पत्नि के मामले में पैसों को लेकर हद पार कर दी गई।
- इस मामले को लेकर जब सन्तोष और उसके परिजन लामबंद हुवे तब जाकर मीडिया और पुलिस कि मदद से सन्तोष को उसकी पत्नी कि बॉडी मिल पाई। अभी सन्तोष कि पत्नि को जिला चिकित्सालय शहडोल में पोस्टमार्टम के लिए रखा गया है।
- कई मीडिया और चैनलों में यह मामला तेजी से उभर कर आ रही है।
- अब देखना दिलचस्प होगा कि गरीब सन्तोष कि मदद होती है या फिर से भ्रष्टाचार कि जीत होगी।
- सन्तोष और उसके परिजन पुलिस और जिला प्रशासन से इंसाफ कि उम्मीद लगाई हुई है।इनका कहना हैबड़े अस्पताल और अच्छे इलाज के नाम पर आने डॉक्टर के द्वारा पर्ची दिखाते हुए मेरी पत्नी का इलाज अन्य डॉक्टर के द्वारा किया गया और मैं खड़ी फसल वाले खेत को बेचकर अपनी पत्नी का इलाज करने आया था पर अस्पताल प्रबंधक और डॉक्टरों ने मेरी पत्नी की घोषित हत्या कर दी। मैं शिवराज मामा से सिर्फ मीडिया के माध्यम से यह विनती करता हूं की मेरी पत्नी और उसकी बॉडी को दिला दे अब तो मेरी जिंदगी ही बंजर बन गई और अस्पताल प्रबंधन पर कड़ी कार्यवाही करें जिससे किसी अन्य गरीब का दुबारा शोषण ना हो सके।
इनका कहना है
अस्पताल प्रबंधन ने अपने पैसे कमाने की फेर में 1 जीवित महिला की घोषित हत्या कर दी क्योंकि यदि वह अच्छे इलाज के लिए बड़े डॉक्टर या बड़े अस्पताल का जिक्र उन्हे गाइड किए होते या झूठे प्रलोभन ना देकर अच्छे स्थान पर रेफर कर दिए होते तो आज पुष्पा जीवित होती।
पुष्पा के परिवार और परिजन
- इनका कहना हैइस मामले की पुरी जांच कराई जाएगी यदि आरोप प्रमाणित होते हैं तो उचित उचित भी होगी।श्रीमती वंदना वैध
कलेक्टर शहडोल