Breaking Newsअन्य राज्यआगराआर्टिकलइंदौरइलाहाबादउज्जैनउत्तराखण्डगोरखपुरग्राम पंचायत बाबूपुरग्वालियरछत्तीसगढ़जबलपुरजम्मू कश्मीरझारखण्डझाँसीदेशनई दिल्लीपंजाबफिरोजाबादफैजाबादबिहारभोपालमथुरामध्यप्रदेशमहाराष्ट्रमहिलामेरठमैनपुरीराजस्थानराज्यरामपुररीवालखनऊविदिशासतनासागरहरियाणाहिमाचल प्रदेशहोम

*बिलासपुर हाईकोर्ट का अहम फैसला कहा- तलाक हो जाने के बाद पत्नी को भरण-पोषण मांगने का नहीं हक/ पढ़ें पूरी खबर क्या है सच है*

कोरिया जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़

*छत्तीसगढ़ बिलासपुर हाईकोर्ट ने दिया अहम फैसला कहा- तलाक हो जाने के बाद पत्नी को भरण-पोषण मांगने का हक नहीं मिलेगा*

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दिया अहम फैसला, कहा- तलाक हो जाने के बाद पत्नी को भरण-पोषण मांगने का हक नहीं
मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में हुई।

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक भरण पोषण की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया कि तलाक के बाद पत्नी मेंटेनेंस की राशि नहीं ले सकती है।

मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में हुई।

राहुल तिवारी ने अधिवक्ता रामसेवक सोनी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। इसमें उन्होंने बताया कि उनकी शादी वंदना तिवारी के साथ हुई थी। शादी के बाद दोनों मात्र एक माह साथ रहे। बाद में पत्नी स्वेच्छा से अलग होकर अपने मायके मनेंद्रगढ़ आ गई।

वहीं रहते हुए उसने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत भरण पोषण के लिए कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया जो 2017 में खारिज हो गया, क्योंकि वे स्वेच्छा से अलग रह रही थी।

इस पर उन्होंने तलाक के लिए आवेदन प्रस्तुत कर दिया। तलाक का मामला चलने के दौरान ही उन्होंने हिंदू दत्तक भरण पोषण अधिनियम की धारा 18 के तहत विवाहित महिला को भरण पोषण दिलाए जाने की मांग की। तब तक उसी परिवार न्यायालय ने पति पत्नी के बीच तलाक की डिक्री पारित कर दी।

इसके 1 माह बाद न्यायालय ने हिन्दू दत्तक भरण पोषण अधिनियम की धारा 18 के तहत पत्नी के आवेदन को स्वीकार करते हुए 3000 प्रतिमाह देने का आदेश पति को दिया।

पत्नी के पक्ष में फैसला देने के आदेश को याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत कर चुनौती दी। जिसमें सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चंद्रभवन मामले को अहम बताते हुए कोर्ट ने अंतिम आदेश पारित किया।

हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को निरस्त कर याचिकाकर्ता की अपील को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने कहा कि महिला तलाकशुदा है, हिंदू दांपत्य पुनर्व्यवस्थापन की धारा 9 का पालन नहीं हुआ था और वह याचिकाकर्ता के साथ रहने के लिए जबलपुर ससुराल नहीं गई। दोनों के मध्य तलाक भी हो चुका है इस आधार पर याचिकाकर्ता की अपील स्वीकार किया जाता है।

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि एक तलाकशुदा पत्नी हिंदू विवाह दत्तक भरण पोषण अधिनियम की धारा 18 के तहत भरण पोषण प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है।

छत्तीसगढ़ कोरिया जिला से ब्यूरो चीफ नागेंद्र दुबे की रिपोर्ट

Related Articles

Back to top button