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भरतपुर क्षेत्र के ग्रामीणों में आक्रोश, कहा – “70 साल से रह रहे परिवारों के हक पर पंचायत ने डाला डांका

जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

भरतपुर क्षेत्र के ग्रामीणों में आक्रोश, कहा – “70 साल से रह रहे परिवारों के हक पर पंचायत ने डाला डांका

(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)

बिना सूचना ग्रामीणों के राशन कार्ड हुए रद्द — पंचायत पर मिलीभगत के आरोप

छत्तीसगढ़ राज्य जिला एमसीबी के अंतर्गत भरतपुर क्षेत्र के ग्रामीणों में आक्रोश, कहा – “70 साल से रह रहे परिवारों के हक पर डाला गया डांका

भरतपुर।
भरतपुर विकासखंड के वनांचल क्षेत्र से एक बार फिर पंचायत की मनमानी और अनियमितताओं का मामला सामने आया है। ग्रामवासियों ने पंचायत सचिव और सरपंच पर मिलीभगत कर गरीब परिवारों के राशन कार्ड रद्द (डिलीट) करने का गंभीर आरोप लगाया है।

ग्रामीणों का कहना है कि जिन परिवारों की बहन-बिटियाएं इस गांव की हैं और जो पिछले 70 से 75 वर्षों से यहां स्थायी रूप से निवासरत है उन्हीं परिवारों के राशन कार्ड बिना किसी पूर्व सूचना के रद्द कर दिए गए।

पंचायत भवन में सूची तक नहीं लगाई गई”

ग्रामीणों ने बताया कि शासन के निर्देशों के बावजूद अब तक पंचायत भवन में रद्द किए गए राशन कार्डों की सूची सार्वजनिक रूप से चस्पा (प्रदर्शित) नहीं की गई है।

ग्रामीणों का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में जानबूझकर पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है, ताकि गलत तरीके से की गई कार्रवाइयां छिपी रहें।

जनपद सदस्य रीना सिंह ने की जांच की मांग

जनपद सदस्य श्रीमती रीना सिंह जब ग्राम भ्रमण पर पहुंचीं, तो ग्रामीणों ने अपने रद्द किए गए राशन कार्ड दिखाते हुए लिखित शिकायत सौंपी।

जनपद सदस्य ने इस मामले को गंभीर बताते हुए जनपद पंचायत भरतपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) को एक आवेदन सौंपा है।

उन्होंने मांग की है कि

जिन परिवारों के राशन कार्ड रद्द किए गए हैं, उनके नामों की पूरी जांच की जाए और रद्द करने के वास्तविक कारणों की जानकारी सार्वजनिक की जाए। साथ ही, पंचायत भवन में सूची का सार्वजनिक प्रदर्शन (चस्पा) अनिवार्य रूप से किया जाए।”

ग्रामीणों में गहरा रोष

ग्रामीणों ने बताया कि जब वे चावल लेने राशन दुकान पर पहुंचते हैं, तो उन्हें मौके पर बताया जाता है कि उनका कार्ड “रद्द” हो गया है — वह भी बिना किसी पूर्व सूचना या जांच के।

ग्रामीणों ने कहा कि यह स्थिति गरीबों के अधिकारों का खुला उल्लंघन है।

पात्र परिवारों को शासन की योजना से वंचित करना भ्रष्टाचार और मिलीभगत का साफ संकेत है।

ग्रामीणों की मांग — जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो

ग्रामवासियों ने प्रशासन से यह भी मांग की है

जिन अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों की लापरवाही या मिलीभगत से यह कार्य हुआ है, उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाए।

उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही समाधान नहीं हुआ, तो ग्रामीण सामूहिक रूप से प्रदर्शन कर आंदोलन करने को बाध्य होंगे

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