मुख्यमंत्री ने कहा लाडली बहना योजना ने बनाया आत्मनिर्भर योजना की राशि से गाय खरीदकर शुरू किया दूध का व्यवसाय
जिला जबलपुर मध्य प्रदेश

मुख्यमंत्री ने कहा लाडली बहना योजना ने बनाया आत्मनिर्भर
योजना की राशि से गाय खरीदकर शुरू किया दूध का व्यवसाय
(पढिए राजधानी एक्सप्रेस न्यूज़ हलचल आज की सच्ची खबरें)
मध्य प्रदेश जिला जबलपुर में मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना महिलाओं को न केवल स्वावलंबी बना रही है बल्कि परिवार से जुड़े महत्वपूर्ण फैसलों में भी उनकी भागीदारी बढ़ती जा रही है। नगर निगम जबलपुर की सीमा में शामिल ग्राम कुगवां की लगभग 50 वर्ष की श्रीमती राजेश्वरी पटेल इसका एक अच्छा उदाहरण है।
मुख्यमंत्री लाडली योजना की हर माह मिलने वाली राशि को बचाकर राजेश्वरी ने गाय खरीदी और दूध का व्यवसाय शुरू किया। आज उनके पास चार गाय हैं। दूध के व्यवसाय से होने वाली आय से उनका परिवार आत्मनिर्भर हो गया है और खुशहाल जीवन जी रहा है।
राजेश्वरी के पति विजय पटेल भेडाघाट बायपास रोड पर का पान का ठेला लगाया करते थे।
परिवार चलाने में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। चार सदस्यों के परिवार के भरण पोषण में पति का सहयोग करने राजेश्वरी पटेल कुगवां के ही सरकारी स्कूल में मध्यान्ह भोजन तैयार करने लगी। बाद में उनका गांव नगर निगम सीमा में शामिल हो गया और सेंट्रलाइज्ड किचन से सप्लाई शुरू होने पर उन्हें स्कूल के बच्चों को मध्यान्ह भोजन परोसने का काम मिल गया।
कुछ समय बाद अतिक्रमण हटाओ मुहिम के कारण राजेश्वरी के पति को अपना पान का ठेला बंद करना पड़ा। वे खेतों में मजदूरी करने लगे। कभी काम मिलता था कभी नहीं।
घर चलाना और मुश्किल होने लगा। ऐसे में राजेश्वरी ने परिवार के सदस्यों से चर्चा की और दूध का व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया। राजेश्वरी के पास एक गाय पहले से ही थी। उससे होने वाले दूध से सिर्फ परिवार की जरूरत पूरी हो पाती थी।
दूध का व्यवसाय शुरू करने में मुख्यमंत्री लाडली योजना उसका सहारा बनी। बैंक खाते में बचा कर रखी इस योजना की कई महीनों की राशि से राजेश्वरी ने एक गाय खरीदी। दो गाय हो जाने से उनका दूध का व्यवसाय चलने लगा।
इससे हुये मुनाफे से श्रीमती पटेल ने एक-एक कर दो गाय और खरीदी। अब उनके पास चार गाय हो गईं हैं और दूध के व्यवसाय से उन्हें 10 से 15 हजार रुपये प्रति माह की आय हो रही है।
राजेश्वरी के परिवार में एक बेटी और एक बेटा भी है, वे भी दूध के इस व्यवसाय में उनका हाथ बंटा रहे हैं। गांव के ही कई परिवार उनसे 50 रुपये लीटर की दर से गाय का दूध ले रहे हैं।
राजेश्वरी बताती हैं कि एक समय पर चार में से दो या तीन गाय दूध देती है और हर दिन औसतन 10 से 12 लीटर दूध निकलता है। राजेश्वरी ने बताया कि ग्राहकों की मांग पूरी करने के बाद बचे दूध से वे घी बनाती हैं। मांग अधिक होने से 900 रुपये किलो तक बाजार में गाय के दूध का घी बिक रहा है। गोबर से उपले बनाकर भी उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो रही है।