नल-जल योजना में करोड़ों की बर्बादी, फिर भी प्यासा पिड़रई गांव जनसुनवाई बनी औपचारिकता
जिला कटनी मध्य प्रदेश

नल-जल योजना में करोड़ों की बर्बादी, फिर भी प्यासा पिड़रई गांव जनसुनवाई बनी औपचारिकता
(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)
समाचार विशेष | ढीमरखेड़ा
कटनी जिले की ग्राम पंचायत पिड़रई* में नल जल योजना भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बन चुकी है।
शासन द्वारा इस योजना पर लगभग ₹1.36 करोड़ की राशि खर्च किए जाने के बावजूद गांव की जनता आज भी एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि योजना के क्रियान्वयन में भारी अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हुए हैं।
प्रशासन द्वारा दावा किया गया था कि गांव के हर गली-मोहल्ले में पाइपलाइन बिछाई जाएगी और घर-घर नल कनेक्शन दिया जाएगा।
लेकिन हकीकत यह है कि कई स्थानों पर पाइपलाइनें टूटी पड़ी हैं, कुछ जगहों पर पाइपें जमीन से बाहर निकली हैं और अधिकांश घरों में कनेक्शन तक नहीं दिया गया।
जिन घरों में कनेक्शन है, वहां भी नलों से पानी नहीं आता। गांव की महिलाएं और बच्चे आज भी दूरदराज के हैंडपंपों से पानी लाने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि घटिया सामग्री से पाइपलाइन बिछाई गई जिससे कुछ ही महीनों में जगह-जगह पाइप फटने लगे। ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से गुणवत्ता की अनदेखी की गई और सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग किया गया।
कई ग्रामीणों ने इस भ्रष्टाचार की शिकायत *कलेक्टर जनसुनवाई* में की, लेकिन वहां भी सिर्फ औपचारिकता निभाई गई। जांच का आदेश दिया गया, पर न कोई कार्रवाई हुई और न ही कोई ठोस कदम उठाए गए।
गांव में बनी उच्च स्तरीय पानी की टंकी और पंप हाउस अधूरे पड़े हैं।
बिजली कनेक्शन के नाम पर केवल खंभे गाड़े गए हैं, मोटरें तक नहीं लगाई गईं। कई मोहल्लों में तो पाइप ही नहीं बिछाई गई। इससे गांव की *पूरी जल आपूर्ति व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है*।
इस पानी संकट के कारण गांव में कई बार आपसी झगड़े हो चुके हैं।
महिलाएं दिनभर पानी ढोने में लगी रहती हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई और किसानों की सिंचाई प्रभावित हो रही है।
जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। सरपंच और पंचायत सचिव ने भी आंखें मूंद रखी हैं। टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी, भुगतान में अनियमितता और भ्रष्टाचार की बू हर ओर महसूस की जा रही है।
ग्रामीणों की मांग है कि इस योजना की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए। साथ ही योजना को पूर्ण कर गांव के हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुँचाया जाए।
यह केवल पिड़रई की कहानी नहीं है, बल्कि ऐसे सैकड़ों गांवों की स्थिति यही है जहां नल जल योजना सिर्फ फाइलों में सफल है।
अगर शासन और प्रशासन ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो जनता का सरकार पर से विश्वास पूरी तरह टूट जाएगा।
*अब समय है कठोर कार्रवाई का, ताकि ‘हर घर जल’ का सपना हकीकत बन सके।*