जिला कटनी विवाद जब पारिवारिक कलह बनी प्रशासनिक संकट एसपी को हटाए जाने के पीछे क्या है पूरा मामला
कटनी जिला मध्य प्रदेश

जिला कटनी विवाद जब पारिवारिक कलह बनी प्रशासनिक संकट
एसपी को हटाए जाने के पीछे क्या है पूरा मामला
(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)
कटनी (म.प्र)।
मध्य प्रदेश के कटनी ज़िले में हाल ही में घटित एक पारिवारिक विवाद ने प्रशासनिक तंत्र की निष्पक्षता, पुलिस तंत्र के दुरुपयोग और राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस मामले में जिले के पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन को मुख्यमंत्री के निर्देश पर तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मामला सामान्य नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की साख से जुड़ा हुआ है।
पृष्ठभूमि: निजी विवाद से प्रशासनिक टकराव तक
कटनी की सीएसपी (तत्कालीन) ख्याति मिश्रा, जिनका हाल ही में तबादला अमरपाटन (मैहर) एसडीओपी के पद पर हुआ है, और उनके पति शैलेंद्र बिहारी शर्मा जो दमोह में तहसीलदार हैं, के बीच पिछले एक वर्ष से पारिवारिक तनाव चल रहा था।
28 मई को शर्मा अपने परिजनों के साथ ख्याति के कटनी स्थित शासकीय आवास पर पहुंचे, जहाँ विवाद उत्पन्न हुआ।
आरोप है कि सीएसपी मिश्रा ने पुलिस बुला ली, और उनके पति को छोड़कर परिवार के अन्य सदस्यों को थाने ले जाया गया, जहां कथित रूप से मारपीट भी हुई।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और गंभीर आरोप
इस मामले में सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए,
जिनमें एसपी अभिजीत रंजन पर गंभीर आरोप लगाए गए — हत्या की धमकी, मानसिक उत्पीड़न और एक पक्षीय कार्रवाई के आरोप शामिल हैं।
प्रशासनिक आचरण और सीमाओं पर उठे सवाल
इस घटना ने यह सवाल खड़ा किया है
क्या कोई पुलिस अधिकारी अपने सहयोगी के पारिवारिक जीवन में हस्तक्षेप कर सकता है?
क्या पुलिस थाने को निजी विवादों के निपटारे का मंच बनाया जा सकता है?
संविधान और सेवा नियमावली स्पष्ट रूप से कहती है कि व्यक्तिगत विवादों में पक्षपात नहीं होना चाहिए।
यदि आरोप सत्य हैं, तो यह प्रशासनिक आचरण की गंभीर अनदेखी है।
मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप: न्याय या दबाव?
मुख्यमंत्री द्वारा सीधे कार्रवाई कर एसपी को हटाया जाना दर्शाता है कि मामला गंभीर था।
लेकिन यह भी विचारणीय है कि क्या यह निर्णय राजनीतिक दबाव में लिया गया, और यदि नहीं, तो क्या केवल स्थानांतरण पर्याप्त है, या फिर इस पर आपराधिक जांच और विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई भी होनी चाहिए?
महिला अधिकारी बनाम पति: क्या दोनों पक्षों को समान न्याय?
इस प्रकरण ने एक और प्रश्न उठाया है — क्या महिला अधिकारी के सुरक्षा अधिकार पति और ससुराल पक्ष के संवैधानिक अधिकारों पर भारी पड़ सकते हैं?
यदि पति की शिकायत सही है कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया, तो यह प्रशासनिक दुरुपयोग है।
जनता की दृष्टि से: क्या कानून सबके लिए बराबर है?
जब दो प्रशासनिक अधिकारी व्यक्तिगत विवाद में उलझते हैं और एक पक्ष पुलिस और प्रशासनिक तंत्र का इस्तेमाल करता है,
तो आम नागरिक यह सोचने को विवश हो जाता है कि “सिस्टम ताक़तवर के लिए है, आम आदमी के लिए नहीं।
निष्कर्ष: यह मामला चेतावनी है, मिसाल नहीं
कटनी का यह विवाद लोकतांत्रिक मूल्यों, प्रशासनिक मर्यादाओं और पारिवारिक संस्थाओं तीनों के लिए एक चेतावनी है।
सरकार को त्वरित कार्रवाई के साथ यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग न कर सके — चाहे वह पुरुष हो या महिला।
सुझाव: आगे की राह क्या हो?
न्यायिक जांच के आदेश दिए जाएं, ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके
पति-पत्नी के पारिवारिक विवाद को न्यायालयीन मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया जाए।
सोशल मीडिया पर वायरल मामलों के लिए तथ्यात्मक सत्यापन समिति गठित की जाए
प्रशासनिक अधिकारियों पर आचार संहिता का सख्ती से पालन कराया जाए।
यदि आप इस विषय में सार्वजनिक संतुलन और न्याय की मांग करते हैं, तो इस लेख को साझा करें
क्योंकि एक जागरूक नागरिक ही लोकतंत्र की असली ताक़त होता है।