धान खरीदी केंद्रों में गड़बड़ी उजागर माड़ी सरई एवं सिंगरौली केंद्रों में निरीक्षण के दौरान तौल में अंतर, किसानों में बढ़ा रोष
जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

धान खरीदी केंद्रों में गड़बड़ी उजागर
माड़ी सरई एवं सिंगरौली केंद्रों में निरीक्षण के दौरान तौल में अंतर, किसानों में बढ़ा रोष
(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)
छत्तीसगढ़ राज्य, जिला एमसीबी — विकासखंड भरतपुर।
आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित माड़ी सरई एवं सिंगरौली धान खरीदी केंद्रों में मंगलवार को किए गए
निरीक्षण के दौरान गंभीर अनियमितताएँ सामने आईं। निरीक्षण टीम में जिला पंचायत कृषि स्थायी समिति सभापति श्रीमती सुखमंती सिंह, कोरबा लोकसभा अध्यक्ष श्री रमाशंकर मिश्रा कुँवरपुर ब्लॉक अध्यक्ष रज्जू सिंह तथा ग्रामवासियों का प्रतिनिधिमंडल शामिल रहा।
🔎 तौल मशीन पर बड़ा खुलासा — 41.2 किलो और 42 किलो का अंतर निकला

किसानों की उपस्थिति में जब प्रबंधक से तौल की जानकारी ली गई और मौके पर धान की बोरियों का वजन कराया गया, तो तौल में 41.2 किलोग्राम तथा 42 किलोग्राम पाया गया।
किसानों ने बताया कि तौल में यह अंतर नई बात नहीं है, बल्कि खरीदी शुरू होने के बाद से ही ऐसी गड़बड़ियाँ देखी जा रही हैं।
इससे किसानों की उपज का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा, जो सीधा आर्थिक नुकसान है।
🌾 खाद-बीज में भी संकट — गेहूं बोने का समय खत्म, किसान परेशान

निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों ने यह भी शिकायत की कि सरकार खाद और बीज वितरण में भी लगातार लापरवाही कर रही है।
किसानों ने कहा—
गेहूं बोने का सीजन समाप्ति पर है, लेकिन खाद की किल्लत बनाकर रखी गई है। किसान लाइनें काट रहे हैं, लेकिन उचित मात्रा में खाद नहीं मिल रहा।”

सरकार के दावों के विपरीत, जमीनी हालात किसानों की समस्याओं को उजागर कर रहे हैं।
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### **📢 अधिकारी-कर्मचारियों की चुप्पी पर उठे सवाल**
ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी समस्याएँ बताने के लिए अधिकारी और कर्मचारियों के पास जाते हैं, लेकिन न तो उनकी बातें सुनी जाती हैं और न कोई समाधान मिलता है। इससे गांव के किसानों में प्रशासन के प्रति गहरा रोष है।
किसान यह भी कह रहे हैं कि यदि प्रशासन ने जल्द ही इन अनियमितताओं को दूर नहीं किया, तो उन्हें आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा
⚠️ आंदोलन की चेतावनी — पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी
ग्रामवासियों ने स्पष्ट कहा है कि यदि तौल मशीन, धान खरीदी प्रक्रिया, खाद-बीज वितरण और प्रबंधकीय व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया, तो वे सामूहिक आंदोलन करेंगे।
किसानों की चेतावनी—
यदि स्थिति नहीं सुधरी तो आंदोलन अपरिहार्य होगा, और इसकी पूरी जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी।”




