गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का एकदिवसीय धरना–प्रदर्शन की शुरुआत
जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का एकदिवसीय धरना–प्रदर्शन की शुरुआत
(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)
सैकड़ों कार्यकर्ताओं की उपस्थिति, पीले गमछे की पहचान और हसदेव के जंगलों पर चिंता हुई मुखर
छत्तीसगढ़ राज्य मनेंद्रगढ़–मंगेली–भरतपुर (एमसीबी), 3 दिसंबर 2025।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा आयोजित एकदिवसीय धरना–प्रदर्शन कार्यक्रम आज जिला मुख्यालय में उत्साह और जोश के साथ आरंभ हुआ। कार्यक्रम में प्रदेशभर से आए सैकड़ों पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता शामिल हुए और विभिन्न जनसमस्याओं के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की।
राष्ट्रीय पदाधिकारियों की उपस्थिति से कार्यक्रम में ऊर्जा
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री श्री याम सिंह मरकाम उपस्थित रहे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. एल.एस. उदय सिंह ने शिरकत की।
कार्यक्रम में पार्टी के प्रदेश असम प्रभारी इंजीनियर संजय सिंह कमरों प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सूरज यादव, प्रदेश कार्यकारी सदस्य माधवी यादव सहित बड़ी संख्या में स्थानीय पदाधिकारी और समर्थक शामिल हुए। पूरे कार्यक्रम स्थल पर पीले गमछों की छटा देखते ही बन रही थी।

पीला गमछा—सिर्फ वस्त्र नहीं, पहचान का प्रतीक
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने पीले गमछे की पहचान और उसके ऐतिहासिक महत्व पर विशेष प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा—
“पीला गमछा केवल कपड़ा नहीं, यह हमारी अस्मिता, परंपरा और संघर्ष की पहचान है। इसकी परंपरा को जीवित रखने का श्रेय आदरणीय हॉसपेन दादा हीरासिंह मरकाम जी को जाता है।”
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने बताया कि आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लेकर आदिवासी बहुल अंचलों तक पीले गमछे का सम्मान लगातार बढ़ रहा है, जो समुदाय की एकजुटता का प्रतीक है।
हसदेव के जंगलों को बचाने की मांग तेज

धरना–प्रदर्शन में सबसे ज्यादा जोर हसदेव अरण्य की कटाई और इसके पर्यावरणीय प्रभावों पर रहा। वक्ताओं ने कहा—
**“जब रायपुर में केक काटा जाता है, तो पीला गमछा गर्व का विषय बनता है,
लेकिन उसी समय हसदेव के जंगलों की कटाई हमें गहरी चिंता में डाल देती है। कोरबा और पाली–तानाखार क्षेत्र में चल रही गतिविधियों पर गंभीरता से विचार करना होगा।”
उन्होंने आगे कहा—
यदि आज हम जंगलों की रक्षा नहीं करेंगे, तो आने वाले समय में शुद्ध हवा भी खरीदकर लेनी पड़ सकती है।
यह केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व का प्रश्न है।”

जन–मुद्दों पर प्रमुख चर्चा
धरने में भूमि, वन अधिकार, स्थानीय रोजगार, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और आदिवासी परंपराओं की रक्षा जैसे मुद्दों पर भी विस्तृत विचार–विमर्श हुआ।
पार्टी पदाधिकारियों ने सरकार से मांग की कि—
* जंगल–भूमि संरक्षण पर कठोर नीति बनाई जाए
* खनन कार्यों में स्थानीय समुदाय की सहमति अनिवार्य की जाए
* आदिवासी हितों से जुड़े कानूनों का सख्ती से पालन हो
* युवाओं के लिए रोजगार अवसर बढ़ाए जाएँ
कार्यक्रम लगातार जारी
मंच संचालन के बीच नारों और जन–समर्थन से पूरा परिसर भरा रहा। शाम तक कई और वक्ताओं के संबोधन निर्धारित हैं।
पार्टी ने घोषणा की है कि जब तक उनकी प्रमुख मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।




