जमथान में अधूरा नहर निर्माण बनी ग्रामीणों की परेशानी का कारण
जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

जमथान में अधूरा नहर निर्माण बनी ग्रामीणों की परेशानी का कारण
(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)
किसानों की मेहनत से साफ हो रहा है नहर, शासन-प्रशासन की लापरवाही पर बढ़ा रोष
छत्तीसगढ़ राज्य, जिला एमसीबी — विकासखंड भरतपुर।
ग्राम पंचायत जमथान में नहर निर्माण कार्यों की लापरवाही और अधूरेपन के कारण किसानों तथा ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
मोरेलिन नाला (कंजिया नहर) के नाम से निर्मित यह नहर गांव की सिंचाई व्यवस्था की मुख्य धुरी है, लेकिन निर्माण की गुणवत्ता और कार्य की निरंतरता पर बार-बार सवाल उठते रहे हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, नहर की सफाई और रखरखाव का कार्य शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी होते हुए भी कई महीनों से उपेक्षित पड़ा है।

परिणामस्वरूप, किसान स्वयं एकजुट होकर नहर की सफाई कर रहे हैं ताकि अपनी फसलों को बचाया जा सके।
किसानों का कहना है कि पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे किसान आज अपनी मेहनत से नहर को पुनः संचालित करने की कोशिश कर रहे हैं।
🔍 अधूरा निर्माण, उठाई गई सीसी रिपेयरिंग — फिर भी काम बंद
ग्रामीणों ने बताया कि नहर रिपेयरिंग के नाम पर पहले *सीसी लाइनिंग की लगभग एक फिट ऊँचाई तक कार्य शुरू किया गया था,

लेकिन कुछ दूरी तक काम करने के बाद अचानक निर्माण बंद कर दिया गया। इससे किसानों में भ्रम और क्षोभ दोनों उत्पन्न हुए हैं।
इतना ही नहीं, ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण के लिए रखी गई गिट्टी और रेत कुछ दिनों बाद उठाकर ले जाई गई, जिससे स्पष्ट होता है कि कार्य पूरी तरह अधूरा छोड़ दिया गया।
💬 “गरीब किसानों के साथ अन्याय” — ग्रामीणों में बढ़ता रोष
ग्रामवासियों का कहना है कि शासन और प्रशासन गरीब किसानों के हितों की अनदेखी कर रहा है।
नहर पानी न मिलने से किसान फसलों की सिंचाई नहीं कर पा रहे, जिससे उनकी मेहनत और आजीविका पर बड़ा संकट मंडरा रहा है।
किसानों ने बताया
सरकार दावे तो बड़े-बड़े करती है कि सभी सुविधाएँ पूरी की जा रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कंजिया घाटाई और जमथान में इससे बिल्कुल उलट है। किसान पानी की कमी से फसलें तैयार नहीं कर पा रहे हैं।”
⚠️ जल्द सुधार नहीं हुआ तो होगा आंदोलन
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि नहर की मरम्मत, सफाई और निर्माण कार्य शीघ्र पूरा नहीं किया गया तो वे विरोध प्रदर्शन और उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

उनका कहना है कि किसान सिर्फ सिंचाई सुविधा और विकास कार्यों के प्रति ईमानदार दृष्टिकोण की उम्मीद करते हैं, लेकिन लगातार लापरवाही से उनकी आजीविका संकट में पड़ गई है।
🌾 किसान अपनी मेहनत से कर रहे पानी का प्रबंधन
सिंचाई के अभाव में किसान स्वयं नहर में जमा मिट्टी और कचरा निकालकर रास्ता साफ कर रहे हैं। पानी की कमी से
* फसलों की सिंचाई बाधित है
* उत्पादन में गिरावट की आशंका है
* किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है
ग्रामीणों का कहना है कि यदि नहर में लगातार पानी मिले तो क्षेत्र की खेती पूरी तरह सुरक्षित रह सकती है।




