जेपीवी डीएवी एवं डीपीएस स्कूलों की 42 बसों की जांच, आपातकालीन खिड़की पर भी मिलीं सीटें
कटनी जिला मध्य प्रदेश

जेपीवी डीएवी एवं डीपीएस स्कूलों की 42 बसों की जांच, आपातकालीन खिड़की पर भी मिलीं सीटें
(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)
स्कूल बसों की सुरक्षा पर सवाल, 42 में से अधिकांश बसें मानकों पर फेल
यातायात पुलिस का सघन जांच अभियान, आपातकालीन रास्तों तक को ब्लॉक करती पाई गईं सीटें
मध्य प्रदेश जिला
कटनी की बिगड़ती यातायात व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है।
शहर में बेतहाशा ई-रिक्शा और सड़क के दोनों ओर बेतरतीब पार्किंग आम हो चुकी है।
चाहे बात मिशन चौक से जगन्नाथ चौक की हो या स्टेशन चौराहे से स्टेशन परिसर तक—हर जगह यातायात का अराजक रूप देखने को मिलता है।
इन हालातों के बावजूद यातायात विभाग के अधिकारी इस मुद्दे पर कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बचते हैं।
शहर में स्थित निजी स्कूलों की सैकड़ों बसें हर दिन दो बार घने शहर में प्रवेश करती हैं,
जिससे दो बार भारी जाम की स्थिति उत्पन्न होती है। प्रशासन द्वारा स्कूल बसों को दी गई अनुमति की संख्या स्पष्ट नहीं है और ना ही इसका कोई नियंत्रक तंत्र नज़र आता है।
भोपाल हादसे के बाद चला अभियान
भोपाल के बाणगंगा क्षेत्र में हुए स्कूल बस हादसे के बाद पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर कटनी में 13 से 31 मई तक स्कूल बसों की सघन जांच की जा रही है।
इसी कड़ी में शुक्रवार को कुठला थाना क्षेत्र अंतर्गत जेपीवी डीएवी और डीपीएस स्कूलों की कुल 42 बसों की जांच की गई।
जांच में सामने आईं खामियां
जांच के दौरान कई बसों के आवश्यक दस्तावेज अधूरे मिले।
अधिकांश बसें सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरीं। सबसे गंभीर लापरवाही यह पाई गई कि कई बसों में आपातकालीन खिड़की के पास भी सीटें लगा दी गई थीं, जो किसी भी आपात स्थिति में बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं।
इसके अलावा कई बसों में फर्स्ट एड बॉक्स, अग्निशमन यंत्र जैसे उपकरण या तो अनुपलब्ध थे या निष्क्रिय अवस्था में पाए गए।
प्रशासन की नीतियों पर सवाल
यह स्थिति एक गंभीर प्रश्न खड़ा करती है—क्या प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना के बाद ही जागेगा?
यह जांच अभियान भी सिर्फ उच्च स्तर के आदेश की औपचारिकता पूरी कर के समाप्त हो जाएगा, और इसके बाद यातायात व्यवस्था पुनः पूर्ववत अराजकता की स्थिति में लौट जाएगी?