प्रिंट रेट से ऊँचे दामों पर शराब विक्रय का खुला खेल: प्रशासन मौन, ठेकेदार मालामाल
कटनी जिला मध्य प्रदेश

प्रिंट रेट से ऊँचे दामों पर शराब विक्रय का खुला खेल: प्रशासन मौन, ठेकेदार मालामाल
(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)
मध्य प्रदेश जिला कटनी
शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र, जिले की लगभग सभी शराब दुकानों में देसी-विदेशी शराब प्रिंट रेट से कहीं अधिक मूल्य पर खुलेआम बेची जा रही है।
इससे न केवल आम उपभोक्ता त्रस्त हैं, बल्कि यह अवैध वसूली प्रशासन की निष्क्रियता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
बड़वारा थाना क्षेत्र सहित कई ग्रामीण क्षेत्रों से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि दुकानों में निर्धारित एमआरपी से ₹70 से ₹250 तक अधिक दामों में शराब बेची जा रही है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, ₹170 अंकित बियर की बोतल ₹250 में तथा ₹185 वाली बोतल ₹440 तक** बेची जा रही है।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि यह सब कुछ आबकारी विभाग और पुलिस विभाग की मिलीभगत से हो रहा है। सुराप्रेमियों का कहना है कि जहां एक ओर ठेकेदार मुनाफाखोरी कर रहे हैं, वहीं विभागीय अधिकारी भी इस खेल से लाभान्वित हो रहे हैं।
शिकायत करें तो क्या होगा?
यह सवाल अब आमजन के मन में बैठ चुका है। शिकायतों पर न तो कोई कार्रवाई होती है और न ही किसी अधिकारी की जवाबदेही तय होती है। जनता का कहना है कि शिकायत करने पर अधिकारी “ज़हरीली मुस्कान” से उपहास उड़ाते हैं और ठेकेदारों को खुली छूट दी जाती है।
अवैध पैकरी का खेल
शराब ठेकेदारों द्वारा ग्रामीण इलाकों में अवैध तरीके से शराब की पैकरी भी कराई जा रही है, जिससे क्षेत्रीय पुलिस पूरी तरह आँख मूँदे हुए है। कार्यवाही केवल दिखावे की जाती है

कुछ बोतलें ज़ब्त होती हैं और मीडिया में वाहवाही लूट ली जाती है, पर असली गिरोह पर कोई आंच नहीं आती।
राजस्व-वर्धक वीर” हो रहे उपेक्षित
वास्तव में, सुराप्रेमियों को “राजस्व-वर्धक वीर” की उपाधि दी जानी चाहिए। ये लोग अपने परिवार व आर्थिक स्थिति को ताक पर रखकर भी सरकार के खजाने को भरते हैं, लेकिन उनकी भावनाओं, आर्थिक दोहन और संघर्ष का कोई मूल्यांकन नहीं होता।
इस पूरे मामले में प्रशासनिक चुप्पी और ठेकेदारों की मनमानी आने वाले समय में और भी गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकती है। सवाल यह है कि क्या कोई जिम्मेदार अधिकारी आगे आकर इस लूट पर अंकुश लगाएगा, या फिर जनता को इसी शोषण की आदत डालनी होगी?




