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देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान उजागर करना गैर-कानूनी है

सतना जिला मध्य प्रदेश

*देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान उजागर करना गैर-कानूनी है*

(पढ़िए जिला सतना क्राइम ब्यूरो चीफ रोहित त्रिपाठी की रिपोर्ट)

मध्य प्रदेश जिला सतना में 7 जुलाई 2023/किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 74 के प्रावधान के अनुसार किसी भी व्यक्ति द्वारा देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान सार्वजनिक रूप से प्रकट करना अधिनियम का उल्लंघन हैं। अधिनियम का उल्लंघन पाये जाने पर 6 माह का कारावास या दो लाख रूपये तक के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।

आयुक्त महिला बाल विकास डॉ. रामराव भोसले ने सभी कलेक्टर्स को पत्र लिखकर कहा है कि प्रायः बाल देखरेख संस्थानों में संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में बच्चों से संबंधित वीडियो और फोटोग्राफ्स, सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं। यह किशोर न्याय अधिनियम की धारा 74 का खुला उल्लंघन है।

किशोर न्याय अधिनियम की धारा 74 में कहा गया है कि किसी जॉंच, अन्वेषण या न्यायिक प्रक्रिया से संबंधित किसी समाचार पत्र पत्रिका, समाचार पृष्ठ, दृश्य श्रृव्य माध्यम या संचार के किसी भी माध्यम से किसी भी रिपोर्ट में ऐसे नाम, पते, विद्यालय या अन्य किसी विशिष्ट व्यक्ति के साथ प्रकट नहीं किया जाना चाहिए।

जिससे विधि का उल्लंघन करने वाले बालक अथवा देखरेख संरक्षण के जरूरत मंद बालक के बारे में बाल पीड़ित, या किसी अपराध के साक्षी को जो तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन ऐसे नाम प्रवर्तित है। पहचान हो सकती है और ना ही ऐसे बालक का चित्र प्रकाशित किया जायेगा। परिस्थिति जांच करने वाले बोर्ड या समिति, ऐसे प्रकटन, लेखबद्ध किये जाने वाले ऐसे कारणों से प्रकट कर सकेगी जब उसकी राय में ऐसा प्रकटम बालक के सर्वोत्तम हित में हो। आयुक्त महिला बाल विकास ने सभी कलेक्टरों को प्रावधानों का कड़ाई से पालने करने के निर्देश दिये हैं।

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