जमथान पंचायत में नल-जल योजना फेल दो पानी की टंकियों घटिया निर्माण सरकार के रूपों का दुरुपयोग
जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

जमथान पंचायत में नल-जल योजना फेल दो पानी की टंकियों घटिया निर्माण सरकार के रूपों का दुरुपयोग
(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)
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15 दिन में सुधार नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन की चेतावनी, भ्रष्टाचार के आरोप—जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की
छत्तीसगढ़ राज्य के एमसीबी जिले के भरतपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत जमथान में केंद्र व राज्य सरकार की बहुप्रचारित नल-जल योजना ग्रामीणों के लिए महज कागज़ी साबित हो रही है। ग्राम में योजना के तहत दो पानी टंकियाँ बनकर तैयार हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज तक पंचायत की जनता को नियमित पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाया। परिणामस्वरूप ग्रामीणों को एक-एक बूंद पानी के लिए भटकना पड़ रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि स्कूल पारा में निर्मित पानी टंकी में लीकेज है, जिससे पानी व्यर्थ बह रहा है, जबकि दूसरी टंकी से भी सुचारु आपूर्ति नहीं हो पा रही। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्राम पंचायत सदस्यों का कहना है कि उच्च गुणवत्ता का दावा करने वाले निर्माण कार्य की हकीकत मौके पर उजागर हो चुकी है। घटिया निर्माण और रखरखाव की कमी ने योजना को पूरी तरह विफल कर दिया है।

ग्रामवासियों का गंभीर आरोप है कि ठेकेदारों, अधिकारियों-कर्मचारियों तथा ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव की मिलीभगत से भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया, जिसके कारण योजना का लाभ जनता तक नहीं पहुंच पा रहा।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार विकास की गंगा बहाने के दावे तो करती है, लेकिन धरातल पर किसान और आम नागरिक प्यास से जूझ रहे हैं।
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि जिला से लेकर राजधानी तक नल-जल योजना का उद्घाटन और प्रचार तो खूब हुआ,
परंतु वास्तविक समस्या के समाधान के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हालात यह हैं कि गांव से लेकर शहर तक पानी की आपूर्ति व्यवस्था चरमराई हुई है, और जिम्मेदार विभाग मौन साधे हुए हैं।
बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए ग्रामीणों का कहना है कि सरकार बनने के बाद से लगातार बड़े-बड़े दावे किए गए

लेकिन जमीन पर स्थिति इसके ठीक उलट दिखाई दे रही है। जनता का आरोप है कि सरकार अपने वादों से मुकर गई है, और जनसमस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
चेतावनी:
ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा है कि यदि 15 दिनों के भीतर नल-जल योजना में सुधार नहीं हुआ, लीकेज दुरुस्त कर नियमित पेयजल आपूर्ति शुरू नहीं की गई, तो वे उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। इस आंदोलन की संपूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल जांच कर दोषियों पर कार्रवाई, गुणवत्ता परीक्षण, लीकेज मरम्मत और नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की है, ताकि जनता को उनका हक मिल सके।




