पत्रकारों के आंदोलन से सरकार में मचा हड़कंप, दो पुलिस अधिकारीयों किया गया निष्कासित
कटनी जिला मध्य प्रदेश

पत्रकारों के आंदोलन से सरकार में मचा हड़कंप, दो पुलिस अधिकारीयों किया गया निष्कासित
(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)
कवरेज में बाधा, अभद्रता और मारपीट के आरोपों पर कार्यवाही, सीएम ने एक्स पर दी जानकारी
पत्रकारों की एकजुटता रंग लाई, बिना किसी संगठन के बैनर तले हुआ आंदोलन सफल
मध्य प्रदेश जिला कटनी में पत्रकारों के साथ हुई अभद्रता और कवरेज में रोड़े अटकाने वाले दो पुलिस अधिकारियों को सरकार ने तत्काल प्रभाव से हटा दिया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार शाम एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इसकी जानकारी साझा करते हुए बताया कि अजाक डीएसपी प्रभात शुक्ला और महिला थाना प्रभारी मंजू शर्मा को उनके पद से हटाकर डीआईजी कार्यालय में अटैच कर दिया गया है। साथ ही दोनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू हो गई है।
31 मई की रात हुई इस घटना के बाद से कटनी के पत्रकारों में रोष था और वे लगातार कार्रवाई की मांग को लेकर आंदोलित थे।
सीएम के फैसले की जानकारी रविवार शाम जैसे ही पत्रकारों को धरनास्थल सुभाष चौक पर मिली, उन्होंने अपना धरना समाप्त कर दिया। पत्रकारों ने इसे आंदोलन की बड़ी जीत बताया।
आभार जताया गया, एकता सराही गई
पुलिस अधिकारियों पर हुई कार्यवाही के बाद पत्रकारों ने एकजुट होकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, सांसद वीडी शर्मा और विधायक संदीप जायसवाल के प्रति आभार जताया।
आंदोलनरत पत्रकारों ने एक संयुक्त बैठक में इसे पत्रकारिता की स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा की दिशा में अहम कदम बताया।
धरना स्थल पर पहुंचे एसडीएम प्रदीप मिश्रा ने कलेक्टर दिलीप यादव के प्रतिनिधि के रूप में पत्रकारों से चर्चा कर उनकी मांगों से शासन को अवगत कराया था।
इसके अलावा सांसद वीडी शर्मा ने भी फोन पर पत्रकारों से बात कर जल्द कार्रवाई का भरोसा दिया था।
क्या था मामला
31 मई की रात पत्रकार कटनी महिला थाने में उस समय रिपोर्टिंग के लिए पहुंचे थे, जब तत्कालीन सीएसपी ख्याति मिश्रा और उनके पति शैलेन्द्र बिहारी शर्मा के पारिवारिक विवाद में पुलिस कार्रवाई चल रही थी।
इसी दौरान वहां मौजूद डीएसपी प्रभात शुक्ला और महिला थाना प्रभारी मंजू शर्मा पर पत्रकारों को कवरेज से रोकने, धक्कामुक्की करने और अभद्रता करने के आरोप लगे थे।
इसके विरोध में पत्रकारों ने एकजुट होकर आंदोलन शुरू किया।
इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए डीआईजी अतुल सिंह ने कटनी पहुंचकर पत्रकारों से बातचीत की और सभी पक्षों के बयान लिए। रिपोर्ट डीजीपी को भेजी गई,
जिसके आधार पर सरकार ने कार्रवाई की।




