पौधारोपण की नयी तकनीक पर जा रहा है जबलपुर. कम पानी वाले क्षेत्र में ‘परमाकल्चर’ पद्धति से रोपे जायेंगे पौधे
जिला जबलपुर मध्य प्रदेश

पौधारोपण की नयी तकनीक पर जा रहा है जबलपुर.
कम पानी वाले क्षेत्र में ‘परमाकल्चर’ पद्धति से रोपे जायेंगे पौधे
(पढिए राजधानी एक्सप्रेस न्यूज़ हलचल आज की सच्ची खबरें)
प्रदेश में पहली बार जबलपुर में होगा प्रयोग.
मध्य प्रदेश जिला जबलपुर में बारिश के दौरान जिले में व्यापक पैमाने पर किये जाने वाले पौधारोपण और उनकी सुरक्षा को लेकर
जिला पंचायत ने आज जिले की सभी पंचायतों के सरपंच पंचायत सचिव, ग्राम रोजगार सहायकों, उपयंत्रियों, सहायक यंत्रियों और जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यशाला आयोजित की ।
संसदसिहोरा विधायक श्री संतोष वरकडे, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती आशा मुकेश गोटिंया, वन मण्डल अधिकारी ऋषि मिश्र, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती जयति सिंह मौजूदगी में आयोजित
इस कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के तौर पर मुंबई से आये ग्रीन यात्रा संस्था के प्रदीप त्रिपाठी एवं सिद्धार्थ इंगले ने पौधारोपण के तकनीकी के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण दिया
कार्यशाला का शुभारंभ करते हुये सिहोरा विधायक श्री वरकडे ने पौधारोपण जीवन के लिये अतिमहत्वपूर्ण । उन्होंने पौधारोपण के साथ-साथ पौधे की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिये जाने पर जोर दिया ।
श्री वरकड़े ने कार्यशाला के आयोजन के लिये जिला पंचायत की सीईओ की तारीफ भी की । कार्यशाला में गैर सरकारी संगठन ग्रीन यात्रा के मुंबई से पधारे विषय विशेषज्ञ सिद्धार्थ इंगले द्वारा पौधारोपण के तकनीकी पहलूओं पर विस्तार से जानकारी दी ।
उन्होंने कहा कि एक रिसर्च में यह पाया गया है कि आक्सीजन की एक दिन की कीमत 13 लाख रूपये है, इसे प्रकृति से हम मुफ्त में प्राप्त करते हैं और यह अनमोल है ।
श्री इंगले ने कहा कि यह सभी का दायित्व है कि पौधारोपण मर तकनीकी का भी इस्तेमाल करें, ताकि शतप्रतिशत पौधों को बचाया जा सके ।
ग्रीन यात्रा संस्था के फाउण्डर प्रदीप त्रिपाठी ने कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि जीवन में पैसा कमाना ही सब कुछ नहीं है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से अपनी मेडीकल की पढाई छोडकर इस अभियान में जुटे हैं ।
श्री त्रिपाठी ने पौधारोपण की परमाकल्चर विधि का इस्तेमाल करने की सलाह देते हुये कहा कि इस विधि से पौधारोपण स्थल को आय का साधन भी बनाया जा सकता है । उन्होंने बताया कि इस विधि में लगाये गये पौधों के बीच कद्दू, सब्जियां, कंद तथा पपीता, केला आदि लगाये जा सकते हैं
एक हेक्टेयर क्षेत्र में पौधारोपण कर चार से पाँच लाख रुपये तक की आय अर्जित की जा सकती है ।
श्री त्रिपाठी ने बताया कि दिल्ली, मुंबई, बैंगलुरु में लगभग 20 हजार हेक्टेयर में उनके द्वारा यह कार्य किया जा रहा है ।
बडे शहरों में जहां पर कचरा डम्प किया जाता है, आज वहां बडे-बडे वृक्ष उग आये हैं ।
वन मण्डल अधिकारी श्री ऋषि मिश्र ने कार्यशाला में अपने प्रस्तुतिकरण में सर्व प्रथम फिल्म के माध्यम से वन विभाग द्वारा किये जा रहे
पौधारोपण के बारे में जानकारी दी गई । उन्होंने बताया कि इस वर्ष वन विभाग द्वारा 4 लाख से अधिक पौधारोपण किया जा रहा है।
इसके लिये पानी कोई बाधा नहीं है। वर्षा के जल का छह से आठ माह तक प्रबंधन कर सभी पौधों को जीवित रख सकते हैं ।
कार्यशाला के समापन पर जिला पंचायत की सीईओ श्रीमती जयति सिंह ने जिले में पदस्थ सभी उपयंत्रियों को यह बताया कि मनरेगा अंतर्गत किस प्रकार से पौधारोपण करना है ।
जिले में संचालित वाटरशेड की दो परियोजनाओं में परमाकल्चर के माध्यम से ही पौधारोपण किये जाने के निर्देश दिये ।
श्रीमती सिंह ने स्पष्ट किया गया कि आगामी दिवसों में जनपद पंचायत के भ्रमण के दौरान ये सारी बातें धरातल पर दिखनी चाहिये ।
इसके लिये सभी जनपद अपनी टीम के साथ तैयारी कर लें ।
जिला पंचायत की सीईओ ने कार्यशाला में उपस्थित सभी विषय विशेषज्ञों, वनमण्डल अधिकारी एवं सभी प्रतिभागियों का आभार भी व्यक्त किया गया।