*किसकी होगी जीत किसकी होगी हार अबकी बार किसकी बैठेगी परिषद् में सरकार*
अनुपपुर जिला मध्यप्रदेश

बढ़ती हुई ठंड के बीच गर्म हुई जैतहरी की सियासत
किसकी होगी जीत किसकी होगी हार अबकी बार किसकी बैठेगी परिषद् में सरकार
कौन है उमंग नहीं जानती वार्ड नंबर 12 वोटर, बाप,दादा के नाम पर की जा रही वोटरों को लुभाने कि कोशिस
रिपोर्टर – चंद्रभान सिंह राठौर (संभागीय ब्यूरो चीफ) के साथ विकास सिंह राठौर
अनूपपुर/अनूपपुर जिले के मुख्य नगर पालिका परिषद् जैतहरी में इन दिनों बढ़ती हुई ठंडी के बीच सियासी पारा बढ़ता जा रहा है जहां कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशी मैदान में हैं वहां 5 वार्डों में आम आदमी पार्टी एवं कुछ अन्य राजनीतिक दल साथ ही साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं।
हम आपको बता दें कि 30 दिसंबर से 6 जनवरी तक नामांकन फार्म करना था और 9 तारीख तक फार्म वापस लेना था जिसमें सबसे ज्यादा खींचा तानी बीजेपी में दिखाई दी।
आगे वार्ड प्रत्याशियों की बात करें तो वार्ड नंबर 1 से कांग्रेस कि तरफ से जयप्रकाश अग्रवाल मैदान पर हैं तो वहीं बीजेपी ने भी अग्रवाल परिवार से ही रोहित अग्रवाल को सामने लाकर खड़ा कर दिया है जो पिछले बार के हारे हुए प्रत्याशी हैं जिनको जयप्रकाश के भतीजे ने ही पटखनी दी थी। विकास सोनी का चुनाव में न लड़ना जयप्रकाश अग्रवाल को वॉक ओवर देने जैसा है। वार्ड वासियों की माने तो ये वार्ड कांग्रेस ही जीतेगी।
वार्ड नम्बर 2 से बीजेपी ने मोहर लगाकर ऋषभ को पार्टी कि ओर से चुनाव में मैदान पर उतारा है। बीजेपी ने ऐसे प्रत्यासी को चुना है जो एक महीने पहले ही बीजेपी में शामिल हुआ है और कन्हैयालाल जो जीता हुआ प्रत्याशी था उसको बीजेपी द्वारा दरकिनार कर दिया गया है।
बात करे बीजेपी के पुराने प्रत्यासी और नए प्रत्यासी की तो इसमें ही बहुत बड़ा दुराभास नजर आता है जहा कन्हैयालाल एक मृदुभाषी एवं मिलनसार व्यक्ति है वही दूसरी ओर ऋषभ की बोली भासा से वार्ड के लोग नाखुस नजर आते हैं।
चुनाव में पिछले बार ऋषभ कांग्रेस उम्मीदवार थे जिनको कन्हैयालाल ने मात दी थी सूत्र बताते हैं कि चुनाव में हार के बाद बौखलाकर ऋषभ ने सभी मतदाताओं को भला बुरा एवं अभद्र टिप्पणी करते हुए ये तक कह डाला था की मुझे दिए हुए वोटरों से तो कुत्ता ही अच्छा है और जलेबी रसगुल्ले कुत्ते को खिलाए गए थे। इस बार ऋषभ बीजेपी से टिकट लेकर किस्मत आजमा रहे हैं और कांग्रेस ने अपना प्रत्यासी एक विधवा महिला रिम्पी लहंगीर को बनाया है। जिनकी छबि साफ सुथरी एवं मृदुभाषी महिला कि है।
अब जनता को फैसला करना है की वो किसको चुनती है।
वार्ड नंबर 3 से बीजेपी ने अपने पुराने चेहरे पर ही दांव लगाया है।
जो की पिछली नगर परिषद में उपाध्यक्ष रह चुके हैं, परंतु 5 शालों में ऐसा कोई काम नही किया जिसे वो जनता को बोल सके कि उन्हें दुबारा वोट दे कर विजई बनाए, सूत्र बताते हैं कि वार्ड के वोटरों के साथ – साथ शहर की जनता तक पूछ रही है की जो उपाध्यक्ष के पद पर था परंतु 5 शालों से अपने घर के सामने की रोड नही बनवा सका वो आगे क्या करेगा।
समय – समय पर इनके ऊपर निष्क्रिय होने का इल्जाम भी लगता आया है इनको लोग अवसरवादी मानने लगे हैं।
लोगों का कहना है कि ये बड़े नेताओं की चापलूसी के ही लायक है जिससे इनको पद मिलता रहे इनको जनता के हितों से कोई सरोकार नहीं है। इनको जनता ने हिटलर और तानाशाह रवैया अपनाते हुए घमंड कि चादर ओढ़कर लोगों को कीड़े मौकौड़े समझने जैसा बर्ताव दिखाने कि बातों को कहते हुए कहा कि परिषद् अंतर्गत बस स्टैंड में एक तालाब और उसके समीप दुकान लगाने वाले लोगों के साथ ही विद्यार्थियों और नागरिकों के आवागमन वाले स्थान को भी साफ सुथरा न रख स्वच्छता अभियान को दरकिनार कर अभियान को और कार्यों पर पलीता लगाकर जनता को धोखे में रखकर पांच शाल तक गद्दी का आनंद लेने के फिराक में सब भूल गए और वोटरों को भी दरकिनार करने कि बातें कहीं। तो वहीं दूसरी ओर गरीब आदिवासी मजदूरों ने कहा कि जब आदिवासियों का मकान तोड़ा जा रहा था तब नेता जी आप कहां थे जो आज हांथ जोड़कर हमसे और लोगों से वोट मांगने कि तैयारी कर रहे हैं नागरिकों ने इसपर जवाब मांगते हुए लोगों ने जवाब मांगते हुए प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने मनोज राठौर पे दाव चलाया है जो सही भी साबित हो सकता है और बड़े अंतर से कांग्रेस यहां अपना परचम लहरा सकती है। वहीं निर्दलीय प्रत्यासियों ने भी भाजपा के प्रत्याशी के पांच शाल के रवैए को देखकर मैदान में अपना परचम लहराने को और किस्मत आजमाने को मैदान में उतर चुके हैं।
वार्ड नम्बर 4 से कांग्रेस ने निर्विरोध जीते हुए प्रत्याशी बुटई बाई को मैदान में उतारा है वहीं बीजेपी को यहां से वार्ड का कोई प्रत्यासी ही नही मिला जिस कारण वार्ड नंबर 3 के रहवासी कैलाश मरावी को मैदान में उतारा है जो कभी भी अपने जीवन काल में कोई चुनाव नही जीते। लोगों का यहां कहना यही है कि बड़े नेताओं के चापलूसो को टिकट दी गई है हमारे बीच से गरीब आदमी कमलेश जो की पुराना बीजेपी का कार्यकर्ता है उसको सिर्फ बीजेपी दफ्तर में साफ – सफाई के लिए रखा गया है जिससे पूरे आदिवासी और कोल समाज के लोगो में आक्रोस है और वो अपने ही वार्ड के लोगों को अपना आशीर्वाद देने कि बात कही।
वार्ड नंबर 5 में बीजेपी प्रत्याशी बुट्टी बाई को ही टिकट मिली है जो पिछले 5 शालों से पार्षद हैं परंतु 5 शालों में लोगों ने 5 बार भी उनके दर्शन नहीं किए जिससे वार्ड नंबर 5 के जनता में भारी आक्रोश नजर आता है और वार्ड नंबर 5 के वोटर बदलाव के मूड़ में नजर आ रहे हैं यहां लोगों का कहना है कि अच्छे वक्त में नहीं तो बुरे वक्त में खड़े होना चाहिए परंतु चुना हुआ पार्षद किसी के बुरे वक्त में खड़ा नहीं हो सकता उसको हम क्यों जिताएं।
यह माना जा रहा है कि यहां से कांग्रेस प्रत्याशी को भारी बहुमत से जीत मिलेगी।
वार्ड नंबर 6 यहां पर सभी की नजरे टिकी हुई है यहां पर भी बीजेपी को वार्ड प्रत्याशी नहीं मिला बीजेपी ने यहां वार्ड नंबर 5 के आंनद अग्रवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां सीधे तौर पे कांग्रेस और बीजेपी की लड़ाई नही हैबल्कि यहां लोग कांग्रेस को रेस में मान ही नहीं रहे हैं।
यहां 2 निर्दलीय प्रत्याशी महेंद्र सोनी, नाडू और आनन्द अग्रवाल के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है यहां लोगों का कहना है कि हम उसी को वोट देंगे जो हमारा काम किया है जिसने साफ – सफाई की व्यवस्था को सुचारू रूप से व्यवस्थित रखा। सूत्र बताते हैं कि कई प्रत्याशी पैसों के दम पर वार्ड जीतने का सपना रखे हुए है।
अब देखना यह है की जनता किसको चुनती है।
वार्ड नंबर 7 यहां स्थिति बिल्कुल विपरीत है यहां कांग्रेश को कोई अपना प्रत्याशी नहीं मिला जिस कारण वार्ड नंबर 8 पूर्व पार्षद विकास ताम्रकार की भाभी को यहां से अपना प्रत्याशी बनाना पड़ा जहां बीजेपी की स्थिति हमेशा मजबूत ही मानी जाती है और बीजेपी ने यहां से सुनीता जैन को अपना वार्ड प्रत्याशी बनाया है लोगों की माने तो सुनीता जैन की जीत निश्चित है।
वार्ड नंबर 8 यहां पर भी बीजेपी को अपना अपने वार्ड का कोई प्रत्याशी नहीं मिला वार्ड नंबर 9 से कांग्रेश से आई हुई वार्ड नंबर 9 की पूर्व पार्षद तारा नामदेव को वार्ड नंबर 8 से अपना प्रत्याशी बनाना पड़ा लोगों की माने तो वर्तमान अध्यक्ष वार्ड नंबर 9 से अपना कांटा साफ करने के लिए यह चाल चली, वैसे यहां पर लोगों की माने तो वार्ड नंबर 8 में बीजेपी प्रत्याशी को अपनी जमानत बचाना भी मुश्किल पड़ सकता है कांग्रेस ने यहां पर मजबूत प्रत्याशी सकीला को मैदान में उतारा है।
वार्ड नंबर 9 जो वर्तमान अध्यक्ष नवरत्नी शुक्ला का होम वार्ड है वहां उन्हें अच्छी खासी टक्कर कांग्रेस के प्रत्याशी ज्योति राठौर से मिल रही है और यहां से निर्दलीय प्रत्याशी श्यामा चुनाव मैदान पर है जिनको पंडितों का अच्छा खासा सपोर्ट मिल रहा है इस वार्ड में लोगों की माने तो कांग्रेश,बीजेपी एवं निर्दलीय प्रत्याशी तीनों की त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल सकती है।
वार्ड नंबर 10 से कांग्रेस प्रत्याशी कविता राठौर बीजेपी प्रत्याशी सोनी के बीच सीधी टक्कर है लोगों की माने तो कांग्रेस प्रत्याशी कविता राठोर पढ़ी लिखी महिला है और यहां राठौर समाज के वोटरों की संख्या भी ज्यादा है।
अधिकतर लोगों का मानना है कि यहां से कांग्रेस प्रत्याशी कविता राठौर आसानी से चुनाव जीत सकती है।
वार्ड नंबर 11 यहां बीजेपी ने अपना दांव देववती पटेल पर खेला है वहीं कांग्रेस ने जानकी रजक को अपना उम्मीदवार घोषित किया है यहां हमेशा से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है। निर्दलीय प्रत्याशी की भी भूमिका यहां रहने वाली है।
बात करें वार्ड नंबर 12 की जो इस नगरीय निकाय चुनाव में सुर्खियों पर है। बस एक ही कारण से सुर्खियां बटोर रहा। वार्ड नंबर 12 बीजेपी प्रत्याशी उमंग,
कई मतदाताओं को तो पता ही नहीं की उमंग है कौन और कहां से आया
सूत्र बताते हैं कि कईयों का तो कहना है फिल्म कोई मिल गया मे जैसे मंगल ग्रह से जादू आया था वैसे ही यह बीजेपी प्रत्याशी आया हुआ है बात करें बीजेपी प्रत्याशी की तो अगर इनका पूरा नाम ना लिया जाए तो शायद ही है की रिश्तेदार भी इन्हे पहचान पाए खैर बड़े नेताओं के आगे फिर से बीजेपी संगठन ने नतमस्तक कर दिया है और बीजेपी के एक बड़े नेता जो अपने आपको प्रदेश स्तरीय नेता कहते हैं उन्होंने अपने इकलौते सुपुत्र को चुनाव मैदान में उतारा है जिनका सपना अपने पुत्र को नगर परिषद अध्यक्ष बनाने का भी है परंतु जनता को यह समझना होगा कि उनके लिए क्या सही है क्या गलत,जिनको वार्ड की जनता भी नहीं पहचानती।
लोगों कि मानें तो लोगों का साफतौर पर कहना है कि अपने बाप, दादा के नाम पर चुनाव में लड़ने वाले प्रत्याशी को हम वोट क्यों दें और हमको पार्षद चुनना है जो खुद कि कोई पहचान नहीं रखता और अपने बाप, दादा के नाम पर चुनाव लड़कर आगे जाने का सोच रखने वाले प्रत्याशी आगे परिषद चलाने में क्या अपना कार्य करेंगे कि वह फिर दूसरों के कंधे में बंदूक रखकर गोली चलाने वाले कहावत कि तरह ही कार्य करेंगे या यूं कहा जाय कि पार्षद कोई और और काम किसी और का कि कहानी यहां होगी।
जनता ने इनके ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है?
तो वहीं दूसरी ओर यहां से कांग्रेस प्रत्याशी रविशंकर तिवारी मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं जो बीजेपी के बड़े नेता की गणित फेल कर सकते हैं।
वार्ड नंबर 13 यहां से कांग्रेश प्रत्याशी राजकिशोर पिछले पंचवर्षीय से पार्षद के पद पर कायम हैं इनके विपक्ष में बीजेपी प्रत्याशी रमेश सिंह राठौर चुनाव मैदान में उतरे हैं यहां पर दोनों की सीधी टक्कर मानी जा रही है यहां कांग्रेसी और बीजेपी 50-50 चल रहे हैं।
वार्ड नंबर 14 यहां बीजेपी ने रमसूलिया को अपना प्रत्याशी बनाया हुआ है और दूसरी ओर कांग्रेस ने पूजा पनिका पर दांव चलाया है यहां पर लोगों की माने तो उनकी पहली पसंद पूजा पनिका है अब देखना यह है कि लोग किसे अपना आशीर्वाद देकर वार्ड पार्षद बनवाते हैं।
वार्ड नंबर 15 यहां कांग्रेस ने युवा चेहरा सविता राठौर पर अपना दांव लगाया है जो वार्ड नंबर 15 की पहली पसंद है और बीजेपी ने लक्ष्मी राठौर को मैदान में उतारा है। लोगों का मानना है कि अगर यहां अशोक सिंह राठौर के यहां से किसी को खड़ा किया गया होता तो वो बेझिझक बीजेपी प्रत्याशी को लम्बे अंतराल से जिता कर परिषद भेजते।
हम आपको बता दें कि अशोक सिंह राठौर यहां से दो बार पार्षद रह चुके हैं।
चुनावी मैदान में किसकी होगी जीत किसकी होगी हार यह कह पाना तो मुश्किल है परंतु चुनावी समीकरण में जनता कि राय इसबार बदलाव कि है तो कहीं प्रत्याशियों के पांच शाल के कार्यों और उनके रूढ़ तरीके तो कहीं तानाशाह रवैया को देखते हुए जनता ने चुनावी माहौल को गर्म कर दिया है और उनका विचार भी अलग – अलग आ रहा है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि किसकी जीत होगी और किसकी हार होगी। सभी अपना पूरा ताकत चुनावी मैदान में लगाकर अपने ओर जनता का ध्यान केंद्रित करने पर लगे हैं।
अब जीत हार का फैसला जनता और प्रत्याशियों के किस्मत पर है बहरहाल चुनाव के बाद भी पता लगेगा कि जनता किसे जीत का ताज पहनाती है और किसे हार का मुंह दिखलाती है।
और किसकी परिषद् बनेगी देखना दिलचस्प होगा?