*19 साल बाद न्याय मिलने की जागी उम्मीद जिला पंचायत सीईओ ने दिये सुधार के निर्देश मुख्य नगर पालिका अधिकारी को जारी हुआ शोकॉज नोटिस*
तहसील जैतहरी जिला अनुपपूर मध्य प्रदेश

19 साल बाद न्याय मिलने की जागी उम्मीद
जिला पंचायत सीईओ ने दिये सुधार के निर्देश
मुख्य नगर पालिका अधिकारी को जारी हुआ शोकॉज नोटिस
रिपोर्टर – संभागीय ब्यूरो चीफ
जैतहरी / मामला नगर परिषद जैतहरी द्वारा संपत्ति कर के निर्धारण मे किये गये मनमानी का
इन्ट्रो- नगर परिषद जैतहरी मे स्थाई रूप से निवासरत एक व्यक्ति को 19 साल बाद न्याय की उम्मीद दिखलाई पडी है कारण नगर परिषद द्वारा 19 साल से उसे इधर से उधर घुमाया जा रहा था, लेकिन उसकी शिकायतो का निराकरण नही किया जा रहा है जबकि इसके लिए पीडित ने नगर पालिका से लेकर जिला स्तर से भोपाल स्तर तक शिकायत की, लेकिन शिकायत का निराकरण करने के बजाये उसे ही कटघरे मे खडा कर दिया जाता था वही न्याय तो दूर उसे ही आरोपी बना दिया जाता था, लेकिन अब जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (प्रभारी कलेक्टर) के दिशा निर्देश पर उसे न्याय की किरण दिख रही है।
रिपोर्टर – ब्लॉक रिपोर्टर विकास सिंह राठौर
अनूपपुर / जैतहरी
जिले भर मे नगर पालिका अथवा नगर परिषदों मे किस कदर भर्रेशाही व भ्रष्टाचार का आलम है यह किसी से छिपा नही है। नगर परिषद जैतहरी लापरवाही के मामले मे अछूता नही है जिसका जीता जागता उदाहरण वार्ड नंबर 9 मे निवासरत राजाराम आहूजा है जो नगर परिषद द्वारा थोपे गये संपत्ति कर मे संशोधन के लिए वर्ष 2003 से भटक रहा है
, लेकिन उसे न्याय नही मिल सका। इसके लिए राजाराम ने नगर परिषद से लेकर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, कलेक्टर यहां तक कि आमजन की शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिए बनाये गये सीएम हेल्पलाइन का तक सहारा लिया लेकिन नगर परिषद जैतहरी द्वारा जिम्मेदारों को भ्रमित कर यहां भी शिकायतों पर पर्दा डाल दिया गया, लेकिन अब जिला स्तर के अधिकारी के संज्ञान के बाद न्याय मिलने की उम्मीद है।
यह है मामला
नगर परिषद जैतहरी के 10 आवेदकों ने अपर कलेक्टर न्यायालय जिला अनूपपुर के न्यायालय मे नगर पंचायत जैतहरी के संकल्प क्रमांक 27 दिनांक 06.06.2000 के विरूद्ध म.प्र. नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 323 के अंतर्गत अपील प्रस्तुत की गई थी जिस पर सुनवाई करते हुये अपर कलेक्टर न्यायालय जिला अनूपपुर न्यायालय ने नगर पंचायत द्वारा पारित उक्त संकल्प को नगर पालिका अधिनियम एवं उसके नियमों के प्रतिकूल होने पर निरस्त करते हुये म.प्र. अधिनियम व नियम 1997 के तहत लागू की गई दरों के अनुसार संपत्ति कर लगाये जाने का आदेश दिया गया था
, लेकिन नगर पंचायत जैतहरी द्वारा अपर कलेक्टर न्यायालय के उक्त आदेश को दरकिनार कर वर्ष 2000 मे बनाये गये नियम के तहत संपत्ति कर की वसूली की जा रही थी जिस पर राजाराम आहूजा ने अपर कलेक्टर न्यायालय के आदेशानुसार 1997 के नियम के तहत वसूली ना करते हुए वर्ष 2000 के संकल्प के तहत संपत्ति कर के वसूली की शिकायत की थी।
19 साल बाद न्याय की उम्मीद
नगर परिषद द्वारा मनमानीपूर्वक की जा रही संपत्ति कर की वसूली के खिलाफ जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत पर नियम संगत व संतुष्टिपूर्वक निराकरण न होने पर सीएम हेल्पलाइन मे शिकायत की गई, लेकिन सीएम हेल्पलाइन मे भी नगर पालिका द्वारा भ्रामक जवाब डालकर शिकायतों को फोर्स क्लोज करा दिया जाता था जबकि उक्त विसंगति को सुधारने के लिए बार-बार अनुनय विनय के बावजूद 19 साल तक सुधार की कलम नही चलाई गई, जिससे परेशान होकर राजाराम आहूजा ने जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी व प्रभारी कलेक्टर हर्षल पंचोली जी के पास जनसुनवाई मे कार्यालय पहुंचकर अपर कलेक्टर न्यायालय के आदेश तथा किये गये
शिकायतों मे प्रविष्ट किये गये भ्रामक जवाबों के दस्तावेज दिखाये जिस पर प्रभारी कलेक्टर ने तत्काल संज्ञान मे लेते हुये जिला शहरी विकास अभिकरण को उक्त मामले मे कार्यवाही करने के निर्देश दिये जिसके बाद जिला शहरी विकास अभिकरण ने मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगर परिषद जैतहरी को शोकॉज जारी करते हुये 1997 के तहत लागू की गई दरों के अनुसार संपत्ति कर का निर्धारण करने तथा सीएम हेल्पलाइन मे गलत जवाब प्रविष्ट करने व पीडित को 19 साल तक परेशान करने का वाजिब कारण चाहा गया है।
भ्रामक जवाब डालकर फोर्स क्लोज का चलन
मिली जानकारी के अनुसार नगर पंचायत परिषद जैतहरी के जिम्मेदारों की यहां के लोगों के समस्याओं का निराकरण न कर उन्हे परेशान करने की आदत सी बन गई है। यदि पीडित द्वारा सीएम हेल्पलाइन मे शिकायत दर्ज कराई गई तो तरह-तरह का दवाब बनाकर उससे शिकायत बंद करा दी जाती है और यदि पीडित ने शिकायत बंद नही कराई तो शिकायत के जवाब मे भ्रामक जवाब डालकर उसे उच्चाधिकारियों से बंद करवा दिया जाता है।
कुल मिलाकर नगर पंचायत जैतहरी मे फोर्स क्लोज का चलन बहुत तेजी से चल रहा है जिसमे सिर्फ कोरम पूरा किया जाता है शिकायतों का सही निराकरण नही किया जाता है। हालांकि कई मामलो मे पीडितो के शिकायतों का सही निराकरण किया जाता है, लेकिन वह न के बराबर है।