*शिशु मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर नियंत्रण हेतु किया जा रहा प्रभावी क्रियान्वयन*
शहडोल जिला मध्य प्रदेश

शिशु मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर नियंत्रण हेतु किया जा रहा प्रभावी क्रियान्वयन
रिपोर्टर :- संभागीय ब्यूरो चीफ
शहडोल/15 दिसंबर 2021/
कलेक्टर वंदना वैद्य के निर्देशन में तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम.एस. सागर के द्वारा जिले में मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर के नियंत्रण हेतु व्यापक सुधारात्मक एवं प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि मातृ मृत्यु एवं शिशु मृत्यु के अधिकतर कारण परिवार के सदस्यों द्वारा गर्भवती माता एवं बच्चों को स्वास्थ्य संस्थानों में ले जाने में देरी करना है तथा इसको दूर करने के लिए मैदानी स्तर पर लगातार गहन प्रयास किए गए और लोगों को समझाइस दी गई। जिसमें संस्थागत संस्थाओं में सुधार एवं मैदानी कार्यकर्ताओं के कार्य में गुणात्मक सुधार करना है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि संस्थागत सुधारों में एसएनसीयू एवं पीआईसीयू में रेगुलर दिन में तीन बार सफाई कराना, सफाई के लिए प्रॉपर चार्ट बनाकर रखना और उसकी मॉनिटरिंग करना, समय-समय पर एसएनसीयू एपीआईसीयू के मशीन उपकरण बेड्स एवं अन्य लेनिन को डिसइनफेक्ट करना, एसएनसीयू एवं पीआईसीयू में कड़ाई से प्रोटोकॉल का पालन कराना, विशेषकर गाउन को पहनते समय पीछे से उचित तरीके से कवर करना, जूते चप्पल के लिए पृथक से अतिरिक्त बैरियर बनाना तथा मॉनिटरिंग करना, एसएनसीयू एवं पीआईसीयू में चाय, कॉफी, नाश्ता स्टाफ द्वारा पूर्णतः वर्जित करना, ड्यूटी चार्ज हैंडओवर का कड़ाई से पालन करना एवं स्टाफ नर्स एवं एएनएम को निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण पहचानने की ट्रेनिंग से सही समय पर रेफरल होने लगा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि जिले के 6 उप स्वास्थ्य केंद्रों, 3 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं 1 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को चिकित्सकीय व्यवस्था के लिए और क्रियाशील बनाना तथा 15 डिलीवरी प्वाइंटों और अधिक मजबूत किया गया। इसी प्रकार मंगलवार को होने वाली व्हीएचएनडी बैठकों को और अधिक प्रभावी एवं क्रियाशील बनाते हुए उसकी सतत मॉनिटरिंग की गई।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि हाई रिस्क गर्भवती माताओं की मिशन मोड पर चिन्हित कर उनका आवश्यकतानुसार उपचार किया गया और अति एनीमिक गर्भवती माताओं को आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन लगाया गया एवं ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया। जिले में गर्भवती माता जो अधिक खून की कमी से पीड़ित थी एक महा अभियान चलाकर विगत वर्ष लगभग 6657 आयरन सुक्रोज के इंजेक्शन लगाए गए एवं 51 गर्भवती महिलाओं को ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया। इसी प्रकार इस वर्ष दो दिवसीय महा अभियान चलाकर 237 एनीमिक गर्भवती माताओं को आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन लगाया गया। जिले में सिकल सेल एनीमिया कंट्रोल के लिए प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है विगत 10 दिसंबर को विकासखंड गोहपारू में जन अभियान परिषद गनियारी बिलासपुर के सहयोग से सिविल लगाकर 643 गर्भवती माताओं की जांच कर संभावित 113 सिकल सेल एनीमिया के प्रकरणों को कंफर्म जांच के लिए जिला चिकित्सालय पैथोलॉजी भेजा गया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि मैदानी स्तर पर अति कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन कर एनआरसी में भर्ती कराना एसएनसीयू में गुणात्मक सुधार के साथ बच्चों की देखभाल करना साथ ही गर्भवती माताओं का शीघ्र पंजीयन कर उनको पोषण संदर्भ सेवाओं के साथ-साथ आवश्यक चिकित्साकीय की सुविधा एवं उपचार प्रदान करने के कारण जिले में शिशु मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर में लगातार कमी आई है। स्वास्थ्य संस्थाओं में कोविड अनुकूल व्यवहार, मास्क का उपयोग, सोशल डिस्टेंसिंग एवं सेनेटाइजर का उपयोग किया गया। अस्पताल में आने वाले लोगों को कोविड का टीका लगवाने एवं कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाने के लिए लगातार प्रेरित किया गया।
फलस्वरूप जिले में मातृ मुत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर में लगातार कमी परिलक्षित हुई है। जिले में स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किये जाने के फलस्वरूप गत दिवस प्रदेश स्तर से जारी मानकों में प्रथम हाई रिस्क गर्भवती माताओं का चिन्हाकन 46.4 प्रतिशत प्रदेश में प्रथम एवं मॉडरेट एनिमिया एवं प्रबंधन में 58 प्रतिशत उपलब्धता के साथ प्रदेश स्तर पर द्वितीय स्थान पर सुशोभित हुआ है।
इसी प्रकार जिले में 30 स्वास्थ्य संस्थाओं, जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल,सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में गर्भवती माताओं की जांच चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है जिससे जिला प्रदेश में 6वें नम्बर पर है।