*मध्य प्रदेश जिला अनूपपुर के कोतमा तहसील क्षेत्र में 2 लाख प्रतिदिन की रेत वसूल जनता को लूटने में उतारू हुए रेत माफिया*
अनूपपुर जिला मध्य प्रदेश

👉 *बिग ब्रेकिंग न्यूज़* 👈
👉 *उमरिया/शहडोल/अनूपपुर समाचार* 👈
👉 *मध्य प्रदेश जिला अनूपपुर के कोतमा तहसील क्षेत्र में 2 लाख प्रतिदिन की रेत वसूल जनता को लूटने में उतारू हुए रेत माफिया*👈
👉 *संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रभान सिंह राठौर कि कलम से ✍️✍️✍️✍️✍️✍️👈*
👉 *अनूपपुर/डोला समाचार* 👈
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों कोतमा तहसील अंतर्गत रेत माफियाओं का आतंक राजनगर, सेमरा,डोला,उरा,बरतराई. आमाडांड,पौराधार, गुलिदाण, चंगेरी, कटकोना सहित क्षेत्रों में आसपास इतना फैल चुका है कि इन्हें केवल रेत में अनाप-शनाप पैसा लेकर लोगों को रेत उपलब्ध करा रहे हैं वही जिसे तत्काल में रेत की आवश्यकता होती है उनके लिए प्रति टैक्टरटाली 2500 से 3000 हजार रुपये अगर व्यक्ति 2 दिन बाद रेत की मांग करते हैं तो वही रेत 2200 से 2500 सो रुपए में उपलब्ध कराई जाती हैं।
*शाम होते ही धमाचौकड़ी मचाते हैं रेत से लदे वाहन*
जीवनदायिनी कहीं जाने वाली केवई नदी इन दिनों अपने असत्तित्व को खोते नजर आ रही है वही इस पूरे कार्यक्रम में नदियों का सीना छलनी करने में माफिया लगे हुए हैं नदी से रोजाना रेत का अवैध तरीके से उत्खनन का खेल जोर शोर से लगातार जारी है अवैध रूप से चल रहे रेत खनन कार्य से जहां शासन को लाखों रुपए के रॉयल्टी का नुकसान हो रहा है वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को भी अच्छा खासा नुकसान पहुंच रहा है इसके साथ ही केवई नदी का अस्तित्व पर भी खतरा गहराता जा रहा है जो इन दिनों रेत खदान का गढ़ बन गया है।
*राजनगर के नदी व नालों पर माफियाओं का कब्जा*
वन विभाग के वनचौकी झिरियाटोला के आसपास के क्षेत्रों में रेत माफियाओं द्वारा लगातार शासकीय वन भूमि के नाले व नदी के धाटो से रेत का अवैध उत्खनन का कार्य किया जा रहा है जिसकी लगातार शिकायतें भी की जा रही लेकिन रेत के अवैध उत्खनन व परिवहन पर जिम्मेदार विभाग उदासीन बना बैठा है।
*रेत माफियाओं पर आखिर क्यों नहीं की जाति प्रशासनिक कार्यवाही*
आखिरकार इन रेत माफियाओं पर जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही करने पर कोताही क्यों बरत रहे हैं कही न कही उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होने के कारण ही जिम्मेदार ही अपनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज कर रहे हैं जिसका खामियाजा राजनगर की भोली-भाली जनता को उठाना पड़ रहा है।
*माफियाओं द्वारा की गई रेट की कीमत में बढ़ोतरी*
पूर्व में जो रेत 800 से लेकर 1000₹ ट्राली पर मिला करती थी आज वही रेत 2500 से 3000 हजार रुपए प्रति ट्राली में बेची जा रही है वहीं टीपर के माध्यम से 5000 से 5500₹ प्रति टीपर बेचा जा रहा है आखिर इस रेत परिवहन में कुछ गिने-चुने लोगों को भी जिम्मेदार अधिकारियों से परमिशन मिली हुई है।
*माफियाओं द्वारा समय का ध्यान देते हुए किया जा रहा अवैध रेत का परिवहन*
इनका समय निर्धारित किया गया है की शाम 6:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक रेत परिवहन किया जाएगा व सुबह 4:00 बजे से 7:00 बजे तक और अति आवश्यक हुआ तो दोपहर में भी एक आद बार आ जा सकता है वही भोले भाले लेवरो से प्रति ट्राली 300₹ लोडिंग का दिया जाता है वहीं पर टीपर में 400₹ के हिसाब से इन लोगों को इनकी राशि दी जाती है।
*इन कई स्थानों से होता है रेत का अवैध उत्खनन*
वन विभाग की भूमि से रोजाना रेत की लोडिंग की जाती है जिसमें मुख्य घाट जमडी घाट डराइहारा घाट भलमुड़ी नाला
टी पी लाइन कुलड़िया नाला यह मुख्य घाट है जहां से रोजाना धड़ल्ले से 10 से 15 ट्रिप रेत का परिवहन होता है। रेत माफियाओं को खुली छूट देने में
वन विभाग के बीट प्रभारी व वन चौकी प्रभारी एवं कोतमा रेंज के जिम्मेदार अधिकारी की भूमिका संदिग्ध बताई जाती है एवं रामनगर पुलिस के साथ माइनिंग विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी इन सब पर कहीं पीछे नहीं है कि उनका हिस्सा उन्हें नहीं दिया जाता वहीं सूत्रों से मिली जानकारी द्वारा बताया गया कि रेत माफियाओं के द्वारा गांधी की चमक इतनी ज्यादा होती है कि इसके सामने सभी जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।