नव-निर्वाचित सरपंचों को मिला पेयजल प्रबंधन का व्यापक प्रशिक्षण, जल जीवन मिशन पर विशेष सत्र आयोजित
जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

नव-निर्वाचित सरपंचों को मिला पेयजल प्रबंधन का व्यापक प्रशिक्षण, जल जीवन मिशन पर विशेष सत्र आयोजित
(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)
मनेन्द्रगढ़/एमसीबी।
जिला मनेन्द्रगढ़–चिरमिरी–भरतपुर के ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केंद्र, मनेन्द्रगढ़ में नव-निर्वाचित सरपंचों के लिए आयोजित तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत आज जल जीवन मिशन पर एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किया गया।
इस सत्र ने प्रतिभागियों को ग्राम स्तर पर पेयजल प्रबंधन की तकनीकी, प्रशासनिक और व्यावहारिक प्रक्रियाओं से जोड़ते हुए उन्हें ग्रामीण जल आपूर्ति व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में सक्षम बनाया।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के विशेषज्ञों ने सरपंचों को जल जीवन मिशन की संपूर्ण कार्यप्रणाली, उसके उद्देश्यों और शासन के राजपत्र में दर्ज प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने ग्राम पंचायतों को पेयजल योजनाओं के हस्तांतरण की प्रक्रिया, संचालन एवं संधारण के नियमों, पेयजल आपूर्ति प्रणाली के प्रमाणीकरण व सत्यापन के चरणों पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की।

सत्र में विशेष रूप से जल गुणवत्ता परीक्षण, नियमित रखरखाव, जल स्रोत संरक्षण, सामुदायिक भागीदारी और जल सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन मार्गदर्शन प्रदान किया गया।
विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ और सतत पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पंचायतों की भूमिका कितनी अहम है और किस प्रकार वैज्ञानिक पद्धति एवं सामुदायिक सहयोग से जल प्रबंधन को प्रभावी बनाया जा सकता है।
प्रशिक्षण के दौरान सरपंचों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता करते हुए कहा कि वे इस सत्र से मिली सभी जानकारियों को अपने-अपने पंचायत क्षेत्रों में लागू करेंगे, ताकि ग्रामीण जनता को नियमित, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण पेयजल उपलब्ध कराया जा सके।
कल आयोजित इस विशेष सत्र में कुल 24 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागियों ने जल जीवन मिशन के उद्देश्यों और उसके क्रियान्वयन की बारीकियों को समझते हुए यह संकल्प लिया कि वे अपने क्षेत्रों में जल प्रबंधन को सशक्त बनाने हेतु सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल नव-निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को तकनीकी दृष्टि से सशक्त बनाने की पहल है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्धता के लक्ष्य को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।




