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तालाब निर्माण के नाम पर जंगल में खुदाई — ग्रामीणों एवं एकता परिषद ने किया विरोध

तहसील भरतपुर जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

तालाब निर्माण के नाम पर जंगल में खुदाई — ग्रामीणों एवं एकता परिषद ने किया विरोध

(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)

मशीनों से हो रहा कार्य, मजदूरों को रोजगार से वंचित किया गया — वन संरक्षण नियमों का उल्लंघन का आरोप

छत्तीसगढ़ राज्य जिला (एमसीबी)
भरतपुर विकासखंड के एक वन क्षेत्र में जेसीबी मशीनों और ट्रैक्टरों की मदद से दो बड़े तालाबों का निर्माण कार्य कराए जाने को लेकर ग्रामीणों और सामाजिक संगठन “एकता परिषद” के कार्यकर्ताओं में गहरी नाराज़गी है।

ग्रामीणों ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि तालाब निर्माण के नाम पर जंगल के अंदर गहराई तक खुदाई की जा रही है

, जिससे न केवल पेड़ों की जड़ें कमजोर हो रही हैं, बल्कि पूरे वन क्षेत्र की पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंच रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि यह कार्य पूरी तरह मशीनों से कराया जा रहा है, जबकि गांव के सैकड़ों मजदूर रोज़गार की तलाश में भटक रहे हैं। उनका कहना है कि यदि विभाग वास्तव में जनहित में काम कर रहा होता, तो यह कार्य मनरेगा या श्रमिकों की सहभागिता से किया जाना चाहिए था, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता।

ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि वन विभाग के कुछ अधिकारी निजी ठेकेदारों से मिलीभगत कर मशीनों के माध्यम से कार्य करवा रहे हैं, जिससे सरकारी धन की बंदरबांट और भ्रष्टाचार की आशंका गहराती जा रही है।

एकता परिषद के कार्यकर्ताओं ने कहा कि वन क्षेत्र में इस तरह की खुदाई वन संरक्षण अधिनियम और पर्यावरणीय नियमों का खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि “यह कार्य न केवल जंगल को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि यह ग्रामीणों के साथ भी खुला अन्याय है।”

संगठन के पदाधिकारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि मशीनों से हो रहे कार्य को तुरंत बंद नहीं किया गया और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो एकता परिषद के कार्यकर्ता जिला मुख्यालय में जोरदार प्रदर्शन करेंगे।

स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग द्वारा कराया जा रहा यह निर्माण कार्य पारदर्शिता से कोसों दूर है।

बिना ग्रामसभा की सहमति के जंगल की खुदाई कराए जाने से लोगों में असंतोष है और ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल जांच की मांग की है।

ग्रामीणों का कहना है कि यह कार्य

प्राकृतिक संसाधनों और स्थानीय पर्यावरण के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि यदि विभाग को सच में तालाब बनाना ही था तो यह कार्य गांव की सीमा में, ग्राम पंचायत की निगरानी में और मजदूरों की सहभागिता से कराया जाना चाहिए था।

एकता परिषद और ग्रामीणों की मांगें:
1️⃣ जंगल में जेसीबी व मशीनों से कराए जा रहे निर्माण कार्य को तत्काल बंद किया जाए।
2️⃣ कार्य की जांच उच्च स्तरीय समिति से कराई जाए।
3️⃣ स्थानीय मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाए।
4️⃣ जिम्मेदार अधिकारियों एवं ठेकेदारों पर विभागीय कार्यवाही की जाए।

ग्रामीणों और एकता परिषद के कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह आंदोलन केवल जंगल बचाने का नहीं, बल्कि आम आदमी के रोजगार और अधिकार की रक्षा का भी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक अवैध खुदाई बंद नहीं होगी, तब तक विरोध जारी रहेगा।

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