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वन अधिकार पट्टा से वंचित पांडव जनजाति के लोग “2012 से लगा रहे हैं आवेदन, आज तक नहीं हुई सुनवाई

जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

वन अधिकार पट्टा से वंचित पांडव जनजाति के लोग “2012 से लगा रहे हैं आवेदन, आज तक नहीं हुई सुनवाई

(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)

ग्राम पंचायत मनौड़ के आश्रित ग्राम भूमिका में प्रशासनिक लापरवाही से लोगों में रोष

जिला पंचायत सदस्य ने उठाए गंभीर सवाल – “आधे-अधूरे चार्ज लेकर काम कैसे कर रहे अधिकारी?”

छत्तीसगढ़ राज्य के जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी) विकासखंड के ग्राम पंचायत मनौड़ के आश्रित ग्राम भूमिका में निवासरत पांडव जनजाति के लोगों ने शासन-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि वन अधिकार पट्टा (Forest Rights Patta) से उन्हें आज तक वंचित रखा गया है, जबकि वे 2012 से लगातार आवेदन करते आ रहे हैं।

“हमारे आवेदन गायब, फाइलें लापता” – ग्रामीणों का आरोप

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने अपने सभी आवेदन की प्रतियां सुरक्षित रखी हैं, जिनमें वर्ष 2012 से लेकर अब तक के दस्तावेज शामिल हैं।

इसके बावजूद, आज तक न तो उन्हें कोई पट्टा मिला है और न ही उनकी फाइलों का कोई अता-पता है।

ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि “हमने हर बार आवेदन किया, पर प्रशासन ने केवल झूठे आश्वासन दिए।”

डबल इंजन सरकार पर ग्रामीणों का निशाना

ग्रामीणों ने कहा कि डबल इंजन की सरकार गरीब, मजदूर और किसान परिवारों की उपेक्षा कर रही है।
उनका आरोप है कि अधिकारी और कर्मचारी मिलकर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और आम जनता की आवाज़ को दबाया जा रहा है।
पांडव जनजाति को राष्ट्रपति पुत्र कहा जाता है

लेकिन आज हम अपने ही अधिकार के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं,” ग्रामीणों ने कहा।

सचिव बोले – “प्रभार की जानकारी नहीं मिली”

जब इस मामले में ग्राम सचिव से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि “मुझे अभी तक किसी भी फाइल या प्रभार की जानकारी नहीं दी गई है।

इस पर जिला पंचायत सदस्य श्रीमती सुखमनती सिंह ने नाराज़गी जताते हुए कहा –
“आपने आधे-अधूरे तरीके से चार्ज कैसे ले लिया? यह दर्शाता है कि आप भी इस गड़बड़ी में शामिल हैं।

ग्रामवासियों ने मांगी कार्यवाही

ग्रामवासियों ने एकजुट होकर कहा कि ऐसे लापरवाह और भ्रष्ट कर्मचारियों एवं अधिकारियों के खिलाफ शासकीय संपत्ति के दुरुपयोग का मामला दर्ज कर कार्यवाही की जानी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि शासन-प्रशासन अब भी चुप बैठा रहा, तो वे जिला मुख्यालय तक आंदोलन करेंगे।

ग्राम पंचायतों की स्थिति चिंताजनक

ग्राम भूमिका ही नहीं, बल्कि आसपास की पंचायतों की स्थिति भी काफी खराब बताई जा रही है।

ग्रामीणों ने बताया कि सचिवों के बार-बार ट्रांसफर और नई नियुक्तियां केवल औपचारिकता बनकर रह गई हैं।
प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा चुकी है और विकास कार्य ठप पड़े हैं।

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