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मज़दूर दिवस पर क्रांति की पुकार: अब मेहनतकश अपना हक मांगेंगे

कटनी जिला मध्य प्रदेश

मज़दूर दिवस पर क्रांति की पुकार: अब मेहनतकश अपना हक मांगेंगे

(पढिए कटनी जिला ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)

मध्य प्रदेश जिला कटनी
1 मई, अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर जब दुनिया भर में श्रमिकों के अधिकारों की चर्चा होती है, तब यह कविता एक बुलंद आवाज़ बनकर उभरती है

मेहनतकश वर्ग की उम्मीद, संघर्ष और न्याय की मांग को शब्द देती हुई।

हम मेहनतकश इस दुनिया से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,इक बाग नहीं, इक खेत नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे

इस प्रेरणादायक कविता के माध्यम से श्रमिकों की आवाज़ उस हक की बात करती है, जिसे उन्होंने अपने खून-पसीने से सींचा है।

जहाँ एक ओर पर्वतों में हीरे और सागरों में मोती छिपे हैं, वहीं यह सवाल उठता है कि इन समृद्धियों पर अधिकार किसका है?

ये सारा माल हमारा है, हम सारा खजाना मांगेंगे।

मजदूर दिवस का यह सन्देश सिर्फ मजदूरी की बात नहीं करता, बल्कि यह सामाजिक बराबरी, संसाधनों की साझेदारी और न्यायपूर्ण व्यवस्था की मांग करता है।

जब मेहनत हमारी है, निर्माण हमारा है, तो हिस्सा भी हमारा होना चाहिए यही क्रांतिक आवाज़ है इस कविता की।

जब सब सीधा हो जाएगा, जब सब झगड़े मिट जायेंगे हम मेहनत से उपजायेंगे, बस बाँट बराबर खायेंगे।

मजदूर दिवस हमें यह याद दिलाता है कि विकास की असली नींव ईंट-गारा नहीं, बल्कि श्रमिक की मेहनत है। वह श्रमिक जो पुल बनाता है, सड़कों को जोड़ता है, खेत में अन्न उपजाता है, और फैक्टरी में उत्पादन करता है वह अब चुप नहीं रहेगा।

हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे, इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे

यह कविता सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक चेतावनी है

अब मेहनतकश जाग चुका है। और वह अब सिर्फ काम नहीं करेगा, अपना अधिकार भी माँगेगा।

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