Breaking Newsअन्य राज्यआगराइंदौरइलाहाबादउज्जैनउत्तराखण्डगोरखपुरग्राम पंचायत बाबूपुरग्वालियरछत्तीसगढ़जबलपुरजम्मू कश्मीरझारखण्डझाँसीदेशनई दिल्लीपंजाबफिरोजाबादफैजाबादबिहारभोपालमथुरामध्यप्रदेशमहाराष्ट्रमहिलामेरठमैनपुरीयुवाराजस्थानराज्यरामपुररीवालखनऊविदिशासतनासागरहरियाणाहिमाचल प्रदेशहोम

कृषि विभाग अधिकारियों ने कहा तिलहनी फसल सरसों की खेती से बढ़ाई जा सकती है आय

जिला जबलपुर मध्य प्रदेश

कृषि विभाग अधिकारियों ने कहा तिलहनी फसल सरसों की खेती से बढ़ाई जा सकती है आय

(पढिए राजधानी एक्सप्रेस न्यूज़ हलचल आज की सच्ची खबरें)

मध्य प्रदेश जिला जबलपुर में कृषि विभाग ने तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने किये जा रहे प्रयासों के तहत उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास डॉ एस के निगम के नेतृत्व में कृषि अधिकारियों ने आज पाटन विकासखण्ड के ग्राम जुगिया में सरसों फसल का अवलोकन किया।

इस दौरान कृषि अधिकारियों ने तिलहनी फसल ले रहे किसानों से चर्चा भी की और उनके अनुभव जाने।

चर्चा के दौरान किसान नवल पटेल ने कृषि अधिकारियों को बताया कि उन्होंने गत वर्ष भी अपने खेत में सरसों की फसल लगायी गयी थी, जिसका उत्पादन 14 क्विंटल प्रति एकड़ आया था।

किसान श्री पटेल ने बताया कि यदि सरसों फसल की बुवाई 15 सितम्बर तक कर दी जाये तो उसमें माहू के प्रकोप की संभावना नगण्य हो जाती है।

इसी प्रकार किसान विजय सिंह ने बताया कि उनके द्वारा पहले गेहूँ फसल लगायी जाती थी।

अब वे भी सरसों की फसल ले रहे हैं, इससे उनकी आय में वृद्धि हुई है।

किसान विजय सिंह के मुताबिक गेहूँ की फसल लेने पर एक एकड़ पर 60 से 70 किलोग्राम बीज लगता था, वहीं सरसों फसल का एक एकड़ पर 1 किलोग्राम बीज लगता है।

गेहूँ फसल का उत्पादन एक एकड़ पर लगभग 18 से 20 क्विंटल प्रति एकड़ आता था, जबकि सरसों फसल का उत्पादन एक एकड़ में 9 से 10 क्विंटल होता है।

इस हिसाब से देखा जाये तो गेहूँ से एक एकड़ में 44 हजार रुपये और सरसों की फसल से एक एकड़ में 55 हजार से 60 हजार रुपये मिलते हैं।

सरसों की फसल के 30-40 दिन की होने पर उपर से फूलों को तोड़ने से ज़्यादा साख और फूल आते है जिससे उत्पादन बढ़ जाता है।

सरसों की फसल का अवलोकन करने पहुँचे सहायक संचालक कृषि रवि आम्रवंशी ने बताया कि धान और गेहूँ की जड़े ऊपरी सतह पर फैलती है, जबकि तिलहन फसलों की जड़े नीचे की ओर ज्यादा लम्बी जाती है। इससे तिलहनी फसल ज्यादा नीचे से पोषक तत्व प्राप्त करती हैं।

भ्रमण के दौरान अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी ने बताया कि सरसों की फसल में माहू कीट के आक्रमण पर सतत निगरानी रखनी चाहिए।

चर्चाओं के दौरान वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी पंकज कुमार श्रीवास्तव, कृषि विस्तार अधिकारी देवानंद सिंह, सुनील वर्मा, कृषक विजय सिंह, कालूराम पटेल, शिवनारायण राठौर किसान भी उपस्थित रहे।

Related Articles

Back to top button