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जिला कलेक्टर की व्यवस्थाएं उपार्जन समितियों की वित्तीय हानि से उबारने में बनी संजीवनी

कटनी जिला मध्य प्रदेश

जिला कलेक्टर की व्यवस्थाएं उपार्जन समितियों की वित्तीय हानि से उबारने में बनी संजीवनी

(पढ़िए जबलपुर संभागी ब्यूरो चीफ राजेश विश्वकर्मा की खास खबर)

उपार्जन केन्द्रों में धान
की शत-प्रतिशत तौल कराने के बाद ही भंडारण व परिवहन
नजीर

प्रदेश के सभी कलेक्टर्स को लिखे पत्र में एम.डी. वेयरहाउसिंग एवं लॉजीस्टिक कार्पाेरेशन ने किया कटनी जिले का जिक्र

उपार्जन समितियों केा वित्तीय हानि से उबारने में संजीवनी बनी कलेक्टर की व्यवस्था

मध्य प्रदेश जिला कटनी में वेयरहाउसिंग एवं लॉजीस्टिक कार्पाेरेशन के प्रबंध संचालक दीपक सक्सेना ने प्रदेश के सभी कलेक्टर्स को खरीफ सत्र 2023-24 में उपार्जित धान की भण्डारण के पूर्व तौल के संबंध में हाल ही में जारी निर्देश में कलेक्टर अवि प्रसाद द्वारा कटनी जिले में लागू की गई व्यवस्था की मिसाल दी है।

दरअसल पर जिले में श्री प्रसाद ने उपार्जित धान का खरीदी केन्द्र में शत-प्रतिशत तौल कराने के बाद ही भण्डारण और परिवहन करने की व्यवस्था शुरू कराया है।

जिससे परिवहन के दौरान उपार्जन समितियों को साल-दर-साल होने वाली हानि को नियंत्रित किया जा सका है।

कलेक्टर श्री प्रसाद द्वारा उपार्जन कार्य में शुरू किया गया अभिनव नवाचार उपार्जन समितियों के लिए संजीवनी बूटी साबित हुई। फलस्वरूप कई समितियां ब्लेक लिस्टेड होने से भी बच गई है।

जिले में कलेक्टर के प्रयासों की बदौलत समितियों के दिन बहुरे है

अब समितियों ने पूरी मजबूती से सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाया है। बताते चलें कि खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 से रबी विपणन वर्ष 2022-23 तक समर्थन मूल्य की खरीदी को मिलाकर उपार्जन समितियों को 11 करोड़ 28 लाख रूपये की वित्तीय हानि हुई थी।

कलेक्टर श्री प्रसाद को उपार्जन कार्य की समीक्षा के दौरान जब हानि के इस बड़े आंकड़े की जानकारी मिली तो वे इसे नियंत्रित करने के जतन में जुट गये।

उन्होंने खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में उपार्जित स्कंध का शत-प्रतिशत तौल करने के बाद ही स्कंध का परिवहन करने पर सख्ती से अमल कराया। जिससे खरीफ वर्ष 2022-23 में जिले में धान की घटी (हानि) कम होकर केवल 2 हजार 1961 क्विंटल रह गई। जिसका मूल्य 42 लाख 60 हजार रूपये है।

अब ये है प्रक्रिया

कलेक्टर द्वारा उपार्जन समितियों को वित्तीय हानि से उबारने हेतु जो प्रक्रिया तय की है, उसमें उपार्जन समितियों द्वारा उपार्जित स्कंध की तौल मेपिंग किये गये कांटे से तौल कराने के उपरांत सौ प्रतिशत तौल कर धान परिवहनकर्ता को प्रदान की जाती है।

वहीं गोदाम स्तर पर धर्मकांटा में तौल के पश्चात् जो भी वजन में अंतर परिलक्षित होता है। उसकी सीधी जवाबदारी परिवहनकर्ता की होती है।

इसका सीधा लाभ यह हुआ कि पहले समितियों को परिवहन में जो हानि होती थी अब समितियां उससे सुरक्षित हो गई है।

एम.डी. ने किया कटनी का जिक्र

प्रबंध संचालक श्री सक्सेना ने प्रदेश के कलेक्टर्स को लिखे पत्र में कटनी जिले में शुरू की गई खरीदी केन्द्रों पर शत-प्रतिशत तौल के आधार पर ही भण्डारण एवं परिवहन होने का उल्लेख किया है। इस प्रकार कटनी प्रदेश के 55 जिले में इकलौता जिला है जहां की उपार्जन व्यवस्था का पत्र में जिक्र किया गया है।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ते रहिए राजधानी एक्सप्रेस न्यूज़

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