*जिला में डूब से अप्रभावित 36 में से 27 ग्रामों की रकबा का कार्य में तेजीः 11 ग्रामों की भू-वापसी का कार्य प्रारंभ*
सतना जिला मध्यप्रदेश

*जिला में डूब से अप्रभावित 36 में से 27 ग्रामों की रकबा का कार्य में तेजीः 11 ग्रामों की भू-वापसी का कार्य प्रारंभ*
(पढ़िए जिला सतना क्राइम ब्यूरो चीफ दीपक तोमर की रिपोर्ट)
मध्य प्रदेश जिला सतना में 21 अक्टूबर 2022 को टोंस बराज बकिया के निर्माण के बाद 36 ग्रामों की 848 हेक्टेयर भूमि डूब से अप्रभावित रही है। राज्य शासन के वर्ष 2011 में लिए गए निर्णय अनुसार इस अप्रभावित रही भूमि को किसानों को दी गई प्रतिकर की राशि वापस लेकर किसानों को उनकी भूमि वापस देने का फैसला लिया गया था। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा और राज्य शासन के सर्वोच्च प्राथमिकता के इस कार्य में राज्य शासन के राजस्व, विद्युत विभाग और जिला प्रशासन ने अनेक कठिनाइयों का निराकरण करते हुए किसानों के हित में भूमि वापसी का कार्य तत्परता पूर्वक किया।
टोंस बराज बकिया की अप्रभावित भूमि वापसी का कार्य पिछले 2 वर्षों से बहुत तेजी के साथ संपादित किया जा रहा है। एसडीएम रामपुर बघेलान सुधीर कुमार बेक बताते हैं कि कलेक्टर श्री अनुराग वर्मा के निर्देशन में मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड सिरमौर और राजस्व विभाग सतना के अधिकारियों-कर्मचारियों ने क्षेत्र सर्वे और लगातार बैठकें कर तत्परता से भू-वापसी के प्रकरण तैयार कराए हैं। वर्तमान की स्थिति में 36 डूब अप्रभावित ग्रामों में से 27 ग्रामों की रकबा बरारी का कार्य पूर्ण हो चुका है। इन 27 ग्रामों में से 11 ग्रामों अकौना, अबेर, इटौर, बरदाडीह, कोरिगवां, गजिगवां, गौरेया, ढोढ़ी, मैनपुरा एवं गोलहटा ग्राम के किसानों की भूमि वापसी की प्रक्रिया तेजी से जारी है। वर्तमान में अब तक कुल 147.164 हेक्टेयर भूमि की वापसी के लिए 73 लाख 17 हजार 381 रुपए की राशि किसानों से म.प्र.पा.ज.क.लि. के नाम जमा करवाई जा चुकी है। जिनमें वापसी की जमीन मूल काश्तकार के नाम नामांतरण की कार्यवाही राजस्व विभाग द्वारा जारी है।
डूब से अप्रभावित वापसी योग्य 7 ग्राम लौलाछ, किटहा, मझियार, पैपखरा, गढ़वा कला, रजरवार, टेढ़गवां, घटबेलवा एवं किचवरिया के प्रकरण पूर्ण रुप से तैयार कर डिनोटिफिकेशन की कार्यवाही पूर्ण कर ली गई है। शीघ्र ही इन ग्रामों की भूमि वापसी की प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी। इसके अलावा 7 ग्रामों की रकबा बरारी की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
जिनमें थथौरा, खाम्हा, गढ़वा खुर्द, पिपराछा, रेहुटा, बनपरा एवं कदवा ग्रामों का भौतिक सत्यापन अक्टूबर माह में कंप्लीट कर डी-नोटिफिकेशन के लिए भेजा जा रहा है। डूब से अप्रभावित 9 गांवों के प्रकरण पर रकबा बरारी का कार्य राजस्व विभाग द्वारा तेजी से किया जा रहा है। जिनमें ग्राम छिबौरा, पिथैपुर, बरती, बेला, मझियार, कोठार, मढ़ी, रघुनाथपुर, रामनगर और सोनवर्षा ग्राम के प्रकरण नवंबर माह में डी-नोटिफिकेशन के लिए भेज दिए जाएंगे।
एसडीएम रामपुर बघेलान ने बताया कि टोंस बराज बकिया का निर्माण वर्ष 1990 में पूर्ण कर लिया गया था। परंतु कतिपय कारणों से बैराज का जलस्तर 280.50 मीटर रखे जाने से बैराज का निर्माण भी तत्कालीन मध्यप्रदेश विद्युत मंडल ने कराया था। टोंस बराज बकिया के 2 मीटर जलस्तर कम करने से 36 ग्रामों की 848 हेक्टेयर भूमि डूब से अप्रभावित रही है।
राज्य शासन द्वारा वर्ष 2011 में अप्रभावित भूमि वापस करने का निर्णय लिया गया था। राज्य शासन के निर्णय अनुसार वर्ष 2014 में डूब अप्रभावित भूमि के सर्वे का काम पूरा किया गया और वर्ष 2016 में जिला प्रशासन द्वारा भूमि वापसी के संबंध में म.प्र.पा.ज.क.लि. एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व रामपुर बघेलान के माध्यम से भूमि वापसी की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। एसडीएम बताते हैं कि भूमि वापसी के कार्य में पिछले 2 वर्षों में व्यापक तेजी आई है और शीघ्र ही सभी संबंधित किसानों को भूमि वापसी की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी।