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*नर्मदा से निकले पत्थरों को शिव जी का रूप माना जाता है*

अनुपपुर जिला मध्यप्रदेश

महाकाल लोक लोकार्पण विशेष
________________________ नर्मदा से निकले पत्थरों को माना जाता है शिव का रूप

रिपोर्टर – चंद्रभान सिंह राठौर (संभागीय ब्यूरो चीफ) के साथ विकास सिंह राठौर

अनूपपुर/08 अक्टूबर 2022/

ज्योर्तिलिंग महाकालेश्‍वर मंदिर उज्जैन में दर्शनार्थियों की सुविधा, विस्तार और सौन्दर्यीकरण के निमित्त नवनिर्मित ‘महाकाल लोक’ के प्रथम चरण का लोकार्पण 11 अक्टूबर 2022 को सायं 5 बजे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करकमलों से होगा। महाकाल मंदिर में सृजन, सौन्दर्य और सुविधाओं का नव संगम ‘महाकाल लोक’ के निर्माण से प्रदेश का जन – जन उल्लासित है। उज्जैन में विराजित भगवान शंकर को ‘महाकाल’ के नाम से जाना जाता है वही अमरकंटक के नर्मदा मंदिर में स्थित ग्यारह रुद्र मंदिर सहित अनेक ऐसे स्थान हैं, जहाँ भोलेनाथ की महिमा प्रदर्शित होती है। माँ नर्मदा को शंकरी अर्थात् भगवान शंकर की पुत्री कहा जाता है। अन्य नदियों से विपरीत नर्मदा से निकले हुए पत्थरों को शिव का रूप माना जाता है और ये स्वयं प्राण प्रतिष्ठित होते हैं अर्थात् नर्मदा के पत्थरों को प्राण प्रतिष्ठित करने की आवश्‍यकता नही होती। इसी कारण देश में ही नही अपितु विदेशों में भी माँ नर्मदा से निकले हुए पत्थरों की शिवलिंग के रूप में सर्वाधिक मान्यता है। जिसके कारण अमरकंटक में महाशिवरात्रि का बड़ा महात्म्य है। सामान्य बोलचाल में लोग कहते हैं नर्मदा का कंकर – कंकर शंकर है।

अमरकंटक धार्मिक नगरी के साथ आध्यात्मिक केन्द्र

पवित्र नगरी अमरकंटक माँ नर्मदा की उद्गम स्थली है। अमरकंटक अनेक ऋषि मुनियों की तपोस्थली रही है। इसलिए अमरकंटक धार्मिक नगरी के साथ-साथ एक आध्यात्मिक केन्द्र है। अमरकंटक की भौगोलिक संरचना चारों ओर पहाड़ो और जंगलों में आच्छादित है, यहाँ विभिन्न औषधीय वृक्ष भी पाए जाते हैं, यहां साल (सरई) के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं।
विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से घिरा अमरकंटक वन आच्छादित, नैसर्गिक और प्राकृतिक छटाओं से आच्छादित है।
यह समुद्र तल से 3500 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। अमरकंटक में मुख्य रूप से नर्मदा, सोन, जोहिला तीन नदियों का उद्गम स्थल है। इसके साथ – साथ अनेक जल धाराएं निकलती हैं। नर्मदा जयंती माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अमरकंटक में भव्य महोत्सव के रूप में मनाई जाती है।

अमरकंटक की नैसर्गिक भव्यता करती है आकर्षक

माँ नर्मदा, सोनभद्र, जोहिला नदी के उद्गम स्थल के साथ ही माँई की बगिया, कपिलधारा/दूधधारा जल प्रपात, सोनमूड़ा, जलेश्‍वर महादेव मंदिर, अमरेश्‍वर मंदिर, त्रिमुखी मंदिर, कलचुरी कालीन प्राचीन मंदिर, कबीर चबूतरा, शम्भू धारा, दुर्गाधारा, निर्माणाधीन जैन मंदिर, श्रीयंत्र मंदिर के साथ ही माँ नर्मदा की जल धारा को प्रवाहमान रखने के लिए बनाए गए गायत्री, सावित्री, लक्ष्मी, कबीर, माधव, बराती दादर, कपिलमुनी, पुष्कर, विवेकानन्द नाम के 9 सरोवरों में माँ नर्मदा में आस्था रखने वाले लोगों को घाटों पर स्नान के साथ ही नयनाभिराम छवि आनंदित और उल्लासित करती है।

नैसर्गिक भव्यता, सांस्कृतिक विरासत, पर्यटन, जनजातीय परम्परा, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर कला के साथ अमरकंटक क्षेत्र में पाए जाने वाले गुलबकावली औषधीय पौधे से नेत्र शक्तिवर्धक अर्क प्राप्त होता है यहां अनेकों औषधीय जड़ी-बूटी पाई जाती है। यहाँ का वातावरण इतना सुरम्य, मनोरम है कि यहाँ सहज ही तीर्थयात्री और प्रकृति प्रेमी खिचे चले आते ह। अमरकण्टक में ठहरने और भोजन के लिए मध्यप्रदेश पर्यटन निगम का हालीडे होम, निजी होटल, आश्रम, धर्मशालाएं, कॉटेज आदि संचालित है। अमरकंटक के समग्र विकास के लिए भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं आने वाले समय में यहां का स्वरूप और भी आकर्षक होगा। कभी पधारिये अमरकंटक, अलौकिक आनन्द की अनुभूति करिये, धर्म क्षेत्र का पुण्य लाभ भी अर्जित कीजिए।

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