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*चुनावों के दबंगों का अखाड़ा बनने से रोका जाए नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाया जाए – माकपा ने निर्वाचन आयुक्त को लिखा पत्र*

भोपाल जिला मध्य प्रदेश

चुनावों को दबंगों का अखाड़ा बनने से रोका जाए
नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाया जाए – माकपा ने निर्वाचन आयुक्त को लिखा पत्र

रिपोर्टर – मध्य प्रदेश हेड राजमणि पांडे के साथ (संभागीय ब्यूरो चीफ)

भोपाल / पंचायत और नगर निकाय चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मगर प्रशासन के मनमाने आदेश आम नागरिक के चुनाव लडऩे में बाधा डाल रहे हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इन मनमाने और मौखिक आदेशों पर अंकुश लगाकर चुनाव प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने की मांग राज्य निर्वाचन आयुक्त से की है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिख कर कहा है कि मुरैना सहित कुछ जिलों में प्रत्येक प्रत्याशी और उसके प्रस्तावक को 30-30 हजार रुपए जमानत राशि जमा करवाने के लिए कहा जा रहा है, जबकि निर्वाचन आयोग का ऐसा कोई आदेश नहीं है। आश्चर्य की बात यह है कि यह राशि पुलिस थाने में एक कच्ची रसीद देकर जमा करवाई जा रही है। प्रत्याशी और प्रस्तावक से कहा जा रहा है कि यदि आपने चुनाव में अशांति फैलाई तो यह राशि जब्त कर ली जाएगी। उल्लेखनीय है कि यह राशि पूरे प्रदेश में नहीं वसूली जा रही है।

माकपा राज्य सचिव ने अपने पत्र में निर्वाचन आयुक्त से कहा है कि इससे गरीब और ईमानदार प्रत्याशी चुनाव प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे। सारा चुनाव दबंगों का अखाड़ा बनकर रह जाएगा, क्योंकि उनके पास न तो पैसे की कोई कमी है और न ही 30 हजार रुपए की भर्ती उनके लिए मायने रखती है। माकपा ने इस गैर कानूनी और जनविरोधी आदेश को रोकने के लिए पहल करने का अनुरोध राज्य निर्वाचन आयुक्त से कहा है ताकि आम नागरिक भी चुनाव में भागीदारी कर सके।

जसविंदर सिंह ने पंचायत चुनावों में जाति प्रमाण पत्र न होने पर प्रत्याशी के शपथ पत्र को ही जाति प्रमाण पत्र मानने लेने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि नगर निकायों में प्रत्याशियों से फ्रेश जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए कहा जा रहा है। जाति प्रमाण पत्र की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि वह आसानी से नहीं बन पाएगा। जिससे आरक्षित वर्गों के प्रत्याशियों को नामांकन दाखिल करने में असुविधा होगी और वह चुनाव प्रक्रिया से ही बाहर हो जाएंगे।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि एक चुनाव के लिए दो प्रक्रिया कैसे हो सकती हैं? यदि पंचायत चुनावों के लिए शपथ पत्र ही पर्याप्त है तो फिर नगर निकाय चुनावों में भी शपथ पत्र को ही प्रमाणित दस्तावेज मान लेना चाहिए।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने निर्वाचन आयुक्त से मांग की है कि वे हस्तक्षेप कर प्रत्याशियों से गैर कानूनी तौर पर वसूली जाने वाली राशि पर रोक लगाएं और जाति प्रमाण पत्र के मामले में भी पंचायत चुनावों की तरह नगरीय निकायों में भी शपथ पत्र को ही मान्य करें।

जसविंदर सिंह
9425009909
दिनांक 05/06/22

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