*परंपरागत के साथ खेती में सब्जी का उत्पादन अपनाकर आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम*
रीवा जिला मध्य प्रदेश

*परंपरागत के साथ खेती में सब्जी का उत्पादन अपनाकर आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम*
(पढ़िए रीवा संभाग से ब्यूरो चीफ पवन गुप्ता की रिपोर्ट)
सब्जी उत्पादन केदारनाथ के लिए बना वरदान, रोज कमा रहे तीन हजार।
देश की बहुत बड़ी आबादी की आजीविका का आधार कृषि है। जागरूक किसान परंपरागत खेती के साथ सब्जी, फल, मसालों तथा औषधीय पौधों की खेती करके अपनी आय में पर्याप्त वृद्धि कर रहे हैं।
रीवा जिले में कई किसानों ने सब्जी उत्पादन को अपनाकर अपनी आय को दुगने से भी अधिक कर लिया है। इन्हीं में शामिल हैं रायपुर कर्चुलियान विकासखण्ड के ग्राम पड़रा निवासी केदारनाथ कुशवाहा। केदारनाथ के लिए सब्जी उत्पादन वरदान बन गया है। अपनी छोटी सी जमीन पर सब्जी उगाकर इस समय केदारनाथ प्रतिदिन लगभग तीन हजार रुपए की आय का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
केदारनाथ ने परंपरागत खेती के साथ सब्जी की खेती को अपनाया। 80 डेसीमल क्षेत्र में उन्होंने चुकंदर तथा गाजर की खेती की है। इससे प्रतिदिन लगभग दो हजार रुपए की आमदनी हो रही है। इसके अलावा केदारनाथ ने 70 डेसीमल क्षेत्र में केला, बैगन तथा टमाटर की फसल लगाई है। टमाटर और बैगन प्रतिदिन निकल रहे हैं। इनसे लगभग एक हजार रुपए की आमदनी हो रही है। गर्मी के लिए केदारनाथ ने दो एकड़ क्षेत्र में प्याज का रोपण कराया है। इससे लगभग दो सौ क्विंटल प्याज प्राप्त होगी। वर्षाकाल में केदारनाथ लौकी, कद्दू, मिर्च तथा अन्य सब्जियों की खेती करते हैं। उनके खेत से लगभग पूरे साल सब्जी का उत्पादन होता रहता है। परंपरागत खेती के साथ सब्जी उत्पादन को अपनाकर आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।