*इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में जनजातीय वर्ग के अनुभवों का लाभ दिलाने हुआ एम.ओ.यू.*
शहडोल जिला मध्यप्रदेश

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में जनजातीय वर्ग के अनुभवों का लाभ दिलाने हुआ एम.ओ.यू.
चंद्रभान सिंह राठौर संभागीय ब्यूरो चीफ
शहडोल / दिन सोमवार दिनांक 16 अगस्त 2021 को जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षण, सृजन एवं विस्तार के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्यप्रदेश और अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल, मध्यप्रदेश के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (डव्न्) हुआ।
जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षण सृजन एवं विस्तार के लिए अनुसंधान गतिविधियों से संबंधित सामान्य लक्ष्यों के साथ और सहयोगी अनुसंधान हित और विशेषज्ञता के क्षेत्रों में आपसी सहयोग और आदान – प्रदान के विकास के लिए आज इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्यप्रदेश और अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल, मध्यप्रदेश ने एक हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन में प्रवेश किया। जिसमें प्रोफेसर प्रकाश मणि त्रिपाठी, कुलपति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्यप्रदेश एवं प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी, उपाध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री दर्जा) अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल, मध्यप्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका है।
इस अवसर पर प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान सिर्फ शोध कार्य करता है, जबकि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय, अमरकंटक में शोध के साथ – साथ शिक्षण कार्य भी होता है। उन्होंने कहा कि, आज जनजातियों को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय कार्य के साथ – साथ कल्याणकारी कार्यों की महती आवश्यकता है, इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 17,990 करोड़ रुपए जनजाति विकास के लिए जारी किए गए हैं। शिक्षा को व्यवहार से जोड़ने के लिए दोनों संस्थाओं बीच यह हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन मील का पत्थर साबित होगा।
प्रोफेसर प्रकाश मणि त्रिपाठी कुलपति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्यप्रदेश ने सभा को संबोधित करते हुए कहा के विश्विद्यालय के 13 संकायों में 33 विभाग हैं, जिसके प्रत्येक पाठ्यक्रम में जनजाति विषयों को शामिल किया गया है। इस क्षेत्र में कई तरह की चुनोतियाँ हैं। जिस पर विश्विद्यालय के अलग – अलग विभागों द्वारा अध्ययन एवं शोध कार्य किया जा रहा है।
इस अवसर पर उन्होंने बताया कि, इस क्षेत्र में प्राप्त होने वाली वन औषधियां अत्यंत उपयोगी हैं, विशेषकर गुलबकावली का पौधा एवं फूल, अश्वगंधा तथा यहां प्राप्त होने वाली कई प्रकार की हल्दिया सहित अनेक औषधी पौधें है। यहां पर प्रचुर मात्रा में ज्ञान छुपा हुआ है हमें आवश्यकता है उसको बाहर निकालने की उसे वैज्ञानिक नाम देने की जैसे यहां की एक जनजाति है, अगरिया जनजाति इस जनजाति के लोग जमीन पर हाथ पटक कर बता देते हैं, कि जमीन के नीचे किस तरह की धातु है अर्थात उनको धातुओं का ज्ञान है। इसी तरह बैगा समुदाय में गुनिया और ओझा होते हैं जो कई तरह कि औषधियों का ज्ञान रखते हैं। जरूरत है इनके ज्ञान को वैज्ञानिक ज्ञान के साथ जोड़ने की।
उद्यमशीलता, सहभागिता और आत्मनिर्भरता के साथ अध्ययन और अनुसंधान से वित्तीय समावेश संभव हो सकेगा जो इस क्षेत्र के लिए अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि,यह हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन सिर्फ भोपाल और अमरकंटक तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे देश के हर कोने में जहां जनजातीय समुदाय है वहां यह हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन कारगर सिद्ध होगा।
इस मौके विश्वविद्यालय के कुलसचिव पी. सिलुवैनाथन, प्रो.आलोक श्रोत्रिय,(अकादमिक) अधिष्ठाता, कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र सिंह भदौरिया सहित विश्वविद्यालय के समस्त आधिष्ठातागण एवं अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल, मध्यप्रदेश के गणमान्य सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति के बीच प्रमुख दस्तावेज पर हस्ताक्षर हुए साथ ही दोनों संस्थानों के बीच स्मृति चिन्हों का आदान – प्रदान हुआ।