*टीना से चोट लगने पर टिटनेस का इंजेक्शन लगवाने गई आंगनवाड़ी की महिला कार्यकर्ता तो नर्स ने लगा दिया तीसरा डोज वैक्सीन*
तहसील भरतपुर जिला कोरिया छत्तीसगढ़

*टीना से चोट लगने पर टिटनेस का इंजेक्शन लगवाने गई आंगनवाड़ी की महिला कार्यकर्ता तो नर्स ने लगा दिया तीसरा डोज वैक्सीन*
छत्तीसगढ़ कोरिया जिला के अंतर्गत भरतपुर तहसील के मामला जहां कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को वैक्सीन की दो डोज लगाना अनिवार्य है, लेकिन एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बिना जानकारी के तीसरा डोज लगाने का आरोप लगाया है,उसका कहना है कि जबसे उसे टीका लगाया गया तब से वह अपने आप को अस्वस्थ महसूस कर रही है।
पदस्थ्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि उसे घरेलू कार्य के दौरान टीन का टुकड़ा लग गया था जिसको लेकर वह टी.टी. का इंजेक्शन लगवाने भरतपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में गई थी। उस दौरान वहां पर पदस्थ नर्स ने टीकाकरण के समय ही बिना स्टोर रूम में गए टीटी का कहकर इंजेक्शन लगा दिया और कहा कि टी टी का इंजेक्शन लग गया। जिसके बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को बाह में दर्द की शिकायत के साथ कमजोरी महसूस होने लगा।
तब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि क्या टीटी का इंजेक्शन पहले से ही वैक्सिनेशन वाली जगह पर रखा गया था। वही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का आरोप है कि टारगेट पूरा करने के लिए जब भी कोई भी बीमारी से ग्रस्त मरीज हांस्पिटल आता है तो बिना जानकारी उसे कोरोना का टीका लगा दिया जाता है।
उससे ये भी नहीं पूछा जाता कि आपको पहले टीका लगा है या नहीं और कौन सा टीका लगा है। ऐसे में यदि कोई लापरवाही बरती जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।
बाईट–1 शांती देवी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
वहीं जब पत्रकारों की टीम इस विषय को लेकर भरतपुर के बीएमओ से जानकारी लेने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का आरोप गलत है, उसे टीटी का ही इंजेक्शन लगाया गया है।
बाईट-2 आर .के रमन,बीएमओ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जनकपुर।
अब सवाल ऐ उठता है कि नर्स बिना स्टोर रूम में गए टीटी का इंजेक्शन पहले ही कोविड टीकाकरण में कैसे रखी हुई थी।
अधिकारी भी बिना जांच किए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के आरोप को निराधार बता रहे हैं।यदि लापरवाही हुई भी होगी तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की शारीरिक जांच करनी चाहिए थी ऐसे में यदि लापरवाही की वजह से जान पर आफत आती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इन दोनों अस्वस्थ हो गई है।उसका कहना है कि टीटी के इंजेक्शन लगवाने के बाद कई दिनों तक बांह में दर्द नहीं होता।अब सवालिया निशान उठता है कि क्या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा लगाया गया आरोप सही है।
*तहसील भरतपुर से रामकृपाल प्रजापति की रिपोर्ट*