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*अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए पंचायत कर्मचारी, वादा खिलाफी का लगाया आरोप*

जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए पंचायत कर्मचारी, वादा खिलाफी का लगाया आरोप

संभागीय ब्यूरो चीफ चन्द्रभान सिंह राठौर कि कलम से

अनूपपुर/कोतमा

कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ने के साथ ही मध्य प्रदेश में मानों हड़ताली सत्र शुरू हो गया है।

अब प्रदेश के पंचायत व ग्रामीण विकास से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। इनका भी आरोप यही है कि वर्षों से लंबित मांगो पर सरकार ध्यान ही नहीं दे रही है।

ऐसे में हड़ताल पर जाना उनकी विवशता बन गई। लेकिन इन कर्मचारियों व अधिकारियों के अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने से सूबे के सभी पंचायतों सहित कोतमा जनपद का सारा कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है।

बदरा जनपद के सचिव तुलसी तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि 2 दिन अवकाश लेकर हड़ताल कर सरकार को चेतावनी दी गई थी लेकिन सरकार ने कोई बातचीत नहीं की। इसके चलते अब पंचायत कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल की शुरुआत कर दिए हैं।

इस हड़ताल में 52 हजार गांव और 312 जनपद तथा जिलों, राज्य संवर्ग के पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारी शामिल हैं। 17 घटक संगठनों ने हड़ताल का समर्थन किया है।

इन संगठनों ने चेतावनी दी कि अधिकारियों कर्मचारियों की महत्वपूर्ण मांगों का निराकरण जल्द नहीं किया गया तो मध्य प्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग संयुक्त मोर्चा बड़ा आंदोलन करेगा।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चे के आह्वान पर गुरुवार से शुरू हड़ताल में मध्य प्रदेश की सभी 23,000 ग्राम पंचायतों और 312 जनपद पंचायतों के अधिकारी व कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। अनूपपुर जिले के कोतमा जनपद में भी कर्मचारियों ने काम बंद कर जमकर नारेबाजी की।

हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि वेतन वृद्धि, केंद्र समान डीए, रोजगार सहायकों के नियमितीकरण रिटायरमेंट के बाद पेंशन।भीकनगांव जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राजेश बाहेती और धार जिले की गंधवानी जनपद के उपयंत्री प्रवीण पवार की मौत हुई है। कर्मचारियों का तर्क है कि बाहेती ने काम के दबाव में आत्महत्या की, वहीं उपयंत्री को भी परेशान किया गया।

इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।जनपद व पंचायतों के कर्मचारियों पर काम का दबाव कम किया जाए।

रोजगार सहायकों को अंशकालिक के बजाय पूर्णकालिक नियुक्‍ति दी जाए।उपयंत्री, सहायक यंत्रियों के पद भरे जाएं।पंचायतों में शासकीय सेवाओं के लिए बार-बार आना-जाना पड़ता है। वाहन की व्यवस्था की जाए।

हड़ताल में मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि इन्हीं मांगों को लेकर सरकार से कई बार पत्राचार भी किया जा चुका था।लेकिन सरकार ने उनकी मांगो पर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया। ऐसे में उन्हें हड़ताल पर जाने को विवश होना पड़ा है।

इससे पहले लंबित मांगों को लेकर संयुक्त मोर्चे का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के पंचायत मंत्री से मिला था। लेकिन सकारात्मक जवाब न मिलने से कर्मचारियों ने यह बड़ा कदम उठाया है।

अब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल से सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रस्तावित और क्रियान्वित होने वाली सरकारी योजनाएं फिलहाल ठप्प पड़ गई हैं।

कोतमा जनपद के सचिव ब्रजेश शर्मा ने आरोप लगाया कि जनपदों व पंचायतों में कामकाज बंद है,

फिर भी अधिकारियों को फ्रिक नहीं है। सरकार को सच्चाई नहीं बताई जा रही है। लगता है, सरकार भी मैदानी हकीकत से वाकिफ नहीं होना चाहती।

जनपद पंचायत के सीईओ, ग्राम पंचायत सचिव और रोजगार सहायक के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले कर्मचारी संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाया है। कोतमा जनपद कार्यालय के समक्ष हड़ताल में बैठे मौजूद कर्मचारियों ने सरकार पर कर्मचारियों की उपेक्षा करने के आरोप लगाए हैं।

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