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डोगरीटोला पंचायत में मनरेगा के तहत मजदूरी घोटाले का आरोप, श्रमिकों का हक मारने का मामला उजागर

तहसील भरतपुर जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

डोगरीटोला पंचायत में मनरेगा के तहत मजदूरी घोटाले का आरोप, श्रमिकों का हक मारने का मामला उजागर

(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की खास खबर)

छत्तीसगढ़ राज्य एमसीबी/भरतपुर।
एमसीबी जिले के भरतपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत डोगरीटोला में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कराए जा रहे कार्यों में गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। ग्राम पंचायत क्षेत्र में तालाब गहरीकरण एवं बोल्डर चेकडैम निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें ग्रामीण मजदूरों ने मजदूरी भुगतान में कटौती और हेराफेरी का आरोप लगाया है।

ग्रामीणों का कहना है कि शासन की स्पष्ट गाइडलाइन के अनुसार मनरेगा में एक दिन की मजदूरी 261 रुपये निर्धारित है, लेकिन इसके विपरीत मजदूरों को कम दर पर भुगतान किया जा रहा है। ग्रामवासियों की उपस्थिति में जब मजदूरों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि तालाब गहरीकरण कार्य में एक दिन की मजदूरी 215 रुपये और बोल्डर चेकडैम कार्य में 243 रुपये की एमआईएस (MIS) एंट्री दिखाई जा रही है, जबकि वास्तविक मजदूरी इससे अधिक बनती है।

मजदूरों ने आरोप लगाया कि यह गड़बड़ी मेट एवं रोजगार सहायक की मिलीभगत से की जा रही है। जब इस संबंध में ग्राम पंचायत के सरपंच एवं सचिव से जानकारी मांगी गई तो बताया गया कि मास्टर रोल में मजदूरों की हाजिरी उनके द्वारा किए गए कार्य के अनुसार भरी गई है, लेकिन इसके बावजूद एमआईएस में मजदूरी कम दर पर दर्शाई जा रही है। इससे यह संदेह और गहरा हो गया है कि कहीं न कहीं जानबूझकर मजदूरों के मेहनताना में कटौती की जा रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत स्तर से लेकर विभागीय अधिकारियों तक की मिलीभगत से गरीब मजदूरों के साथ अन्याय हो रहा है। सरकार जहां एक ओर जनता के हक और अधिकार की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर गरीब परिवारों की मेहनत की कमाई पर डाका डाला जा रहा है। मजदूरों ने सवाल उठाया कि जब शासन द्वारा मजदूरी की दर तय है, तो फिर कम भुगतान किसके आदेश पर किया जा रहा है।

मामले को और गंभीर बनाते हुए ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि रोजगार सहायक द्वारा मजदूरों को ऊंची आवाज में धमकाया गया, ताकि वे इस अनियमितता के खिलाफ आवाज न उठा सकें। इससे मजदूरों में भय का माहौल है और वे खुलकर शिकायत करने से कतरा रहे हैं।

ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, एमआईएस एवं मास्टर रोल का मिलान किया जाए और दोषी पाए जाने वाले मेट, रोजगार सहायक एवं संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही मजदूरों को उनकी पूरी और सही मजदूरी का भुगतान कराया जाए।

यह मामला मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो गरीब मजदूरों का सरकार से भरोसा उठ सकता है।

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