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करेली थाना प्रभारी एवं पुलिस टीम ने वर्दी की आड़ में (खुलेआम-गुंडागर्दी) समाजसेवी के बेटे को बीच सड़क पर दौड़ा दौड़ कर की पिटाई

थाना करेली जिला कटनी मध्य प्रदेश

करेली थाना प्रभारी एवं पुलिस टीम ने वर्दी की आड़ में (खुलेआम-गुंडागर्दी) समाजसेवी के बेटे को बीच सड़क पर दौड़ा दौड़ कर की पिटाई

(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)

बैंक पार्किंग व्यवस्था पर सुझाव देना पड़ा महंगा

करेली (मध्य प्रदेश)।
जिले के करेली थाना क्षेत्र में पुलिस की बर्बरता का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

यहां एक युवा गल्ला व्यापारी, जो जिले के एक प्रतिष्ठित समाजसेवी का पुत्र भी है, को महज़ इसलिए बेरहमी से पीटा गया क्योंकि उसने बैंक के सामने ग्राहकों के लिए पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही थी।

मामला क्या है?

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, करेली नगर स्थित एक बैंक के सामने रोजाना सैकड़ों मोटरसाइकिलें खड़ी रहती हैं।

इसी तरह संबंधित युवक ने भी अपनी मोटरसाइकिल वहीं खड़ी कर दी थी। उसी समय थाना प्रभारी व पुलिस दल चालानी कार्यवाही कर रहे थे।

जब युवक ने यह कहा कि “बैंक को ग्राहकों के लिए उचित पार्किंग व्यवस्था करनी चाहिए, क्योंकि मजबूरी में लोग गाड़ियां बाहर खड़ी करते हैं तो यह साधारण सी बात थाना प्रभारी को नागवार गुज़री।

इसके बाद 6–7 पुलिसकर्मियों ने युवक को पकड़कर इतनी बेरहमी से पीटा जैसे उसने कोई जघन्य अपराध कर दिया हो।

सवालों के घेरे में पुलिस का रवैया

यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है।

क्या आम नागरिक को अपनी बात रखने का हक़ नहीं है

क्यों पुलिस आम जनता पर बर्बरता दिखाती है

जबकि आदतन अपराधियों और गुंडों के साथ इतना सख्त व्यवहार देखने को नहीं मिलता?

क्या पुलिस का काम जनता की सुरक्षा करना है या उन्हें डराना?

युवक को मारते हुए वीडियो और फोटो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि अगर यही हाल रहा तो जनता पुलिस पर भरोसा कैसे करेगी? आम लोग तो पुलिस से डरेंगे और अपराधियों में पुलिस का कोई भय नहीं रहेगा।

(जनाक्रोश और मांग)

इस घटना को लेकर आमजन और व्यापारी वर्ग में गहरा आक्रोश है। लोग मांग कर रहे हैं कि मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
साथ ही यह भी सवाल उठ रहा है कि आखिर कब तक आम नागरिकों को अपने ही हक़ की बात कहने पर प्रताड़ना सहनी पड़ेगी।

यह घटना एक चेतावनी है कि यदि समय रहते पुलिस के रवैये में सुधार नहीं हुआ तो जनता और कानून-व्यवस्था के बीच की खाई और गहरी होती जाएगी।

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