जिला झालावाड़ में स्कूल भवन गिरने से गई कई मासूमों बच्चों की जान ग्रामीणों में मचा हड़कंप प्रशासन मौन
जिला झालावाड़ राजस्थान

जिला झालावाड़ में स्कूल भवन गिरने से गई कई मासूमों बच्चों की जान ग्रामीणों में मचा हड़कंप प्रशासन मौन
(पढिए राजधानी एक्सप्रेस न्यूज़ हलचल आज की सच्ची खबरें)
झालावाड़ में स्कूल भवन ढहने से मचा हड़कंप, मलबे में दबे कई मासूम, कई घायल
छात्रों की आपबीती सुन दहल उठे दिल, प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप
जर्जर भवन बना जानलेवा, कई बार शिकायतों के बावजूद नहीं हुई कोई कार्यवाही
झालावाड़ (राजस्थान)
राजस्थान के झालावाड़ जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहाँ एक सरकारी स्कूल का पुराना भवन अचानक ढह गया।
हादसे में कई मासूम बच्चे मलबे में दब गए, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल है, और परिजन रो-रोकर बेहाल हैं।
मलबे में दबे बच्चों को देख कांप उठे लोग, चीख-पुकार से गूंजा गांव
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे ही भवन का एक हिस्सा गिरा, वहाँ मौजूद बच्चे जान बचाने के लिए इधर-उधर भागे, लेकिन कई बच्चे भाग नहीं पाए और मलबे के नीचे दब गए।
राहत एवं बचाव कार्य में लगे कर्मियों और ग्रामीणों ने जैसे ही बच्चों को निकाला, वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। कुछ घायल बच्चों की हालत इतनी गंभीर है कि उन्हें तत्काल नजदीकी अस्पताल रेफर किया गया है।
सूचना मिलते ही हरकत में आया प्रशासन, जेसीबी से मलबा हटाने का काम जारी
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा। जेसीबी और अन्य उपकरणों की मदद से मलबा हटाने का काम युद्धस्तर पर जारी है। घायलों को अस्पताल पहुँचाने और उनके समुचित इलाज की व्यवस्था के निर्देश प्रशासन द्वारा तत्काल दिए गए।
हम तो रोज डरते थे… स्कूल की छत से पानी टपकता था” — छात्र की आपबीती
एक घायल छात्र ने बताया, *”हम कई बार मास्टर जी से बोले थे कि छत से पानी टपकता है, दीवारें कमजोर हैं, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
आज ऐसा हो जाएगा, हमने कभी सोचा भी नहीं था। बच्चों की आपबीती ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है।
ग्रामीणों का आरोप – कई बार की शिकायत, नहीं हुई सुनवाई
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल भवन काफी पुराना था और बारिश के दौरान दीवारें सीलन से भर जाती थीं। “हमने कई बार पंचायत और शिक्षा विभाग को इस संबंध में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार वही हुआ, जिसका डर था,”— एक ग्रामीण ने आक्रोश जताते हुए कहा।
सरकारी स्कूलों की हालत पर फिर उठे सवाल
यह हादसा न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति को भी उजागर करता है। इससे पहले भी राजस्थान के कई जिलों से ऐसे हादसे सामने आ चुके हैं, जहाँ स्कूल भवनों की हालत बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी है।
राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के प्रति बढ़ा आक्रोश
घटना के बाद स्थानीय लोगों में सरकार और शिक्षा विभाग के प्रति भारी नाराज़गी देखी जा रही है। लोगों ने मांग की है कि जर्जर भवनों की तत्काल मरम्मत करवाई जाए और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही हो।
(निष्कर्ष)
इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर सरकारी स्कूलों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला है। यदि समय रहते प्रशासन जागता, तो इस हादसे से बचा जा सकता था।
यह अब केवल हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही की बड़ी मिसाल बन गया है।