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समाज के रक्षकों पर सवाल क्यों? क्या पुलिसकर्मियों की निष्ठा का कोई मूल्य नहीं!

कटनी जिला मध्य प्रदेश

समाज के रक्षकों पर सवाल क्यों? क्या पुलिसकर्मियों की निष्ठा का कोई मूल्य नहीं!

(पढिए जिला कटनी ब्यूरो की ज्योति तिवारी की खास खबर)

मध्य प्रदेश जिला कटनी विजयराघवगढ़ से विशेष रिपोर्ट:
जब भी देश में कानून-व्यवस्था की बात होती है, सबसे पहले याद आते हैं वे प्रहरी—पुलिसकर्मी—जो दिन-रात समाज की सुरक्षा में तैनात रहते हैं।

लेकिन दुख की बात यह है कि जिनके कंधों पर कानून की जिम्मेदारी है, उन्हीं पर समाज बार-बार झूठे आरोप मढ़ देता है।

हर विवाद में एक पक्ष को गलत ठहराना, बिना सच्चाई और प्रमाण के आरोप लगाना अब आम हो गया है।

ऐसे में यह सवाल उठता है—क्या समाज कभी इन पुलिसकर्मियों की निष्ठा, त्याग और समर्पण को भी देखेगा? त्योहारों पर भी अपने परिवार से दूर रहकर जो पुलिसकर्मी आपकी सुरक्षा करते हैं, उन्हीं पर समाज शंका की नजर क्यों डालता है?

आज भी कई पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जिनके सिर पर ठीक से छत तक नहीं है। प्रशासन उनसे 24 घंटे सेवा लेता है,

लेकिन आराम के लिए ठीक से सरकारी आवास तक नहीं देता। उनके बच्चे कब बड़े हो जाते हैं, उन्हें मालूम तक नहीं होता। वे अपने परिवार की खुशियाँ कुर्बान कर समाज के हित में अपना दायित्व निभाते हैं।

क्या पुलिसकर्मी केवल वेतन के लिए नौकरी करते हैं? नहीं, वे अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए यह वर्दी पहनते हैं।

लेकिन जब समाज ही उनकी उपेक्षा करता है, और छोटी-छोटी गलतियों पर अधिकारी बिना सच्चाई जाने उन्हें दंडित करते हैं, तब उनकी वर्षों की सेवा एक झटके में दागदार कर दी जाती है।

पुलिसकर्मियों की बेबसी न समाज देखता है, न अधिकारी। न उन्हें ठीक से छुट्टी मिलती है, न सम्मान।

जैसे देश के सैनिक सीमाओं पर तैनात रहते हैं, वैसे ही पुलिसकर्मी हर गली, हर चौकी पर समाज की रक्षा करते हैं—लेकिन बिना प्रशंसा, बिना सहानुभूति।

अब समय आ गया है कि समाज, सरकार और प्रशासन इस सवाल से रुबरु हो—जो आपकी हिफाजत के लिए सब कुछ न्योछावर कर रहे हैं, क्या उन्हें बुनियादी सुविधाएं और सम्मान भी नहीं मिलना चाहिए?**

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