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मन्नौड़ पंचायत में ज़मीनी हकीकत उजागर 90% शौचालय बेकार, ग्रामीण ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

तहसील भरतपुर जिला मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़

मन्नौड़ पंचायत में ज़मीनी हकीकत उजागर 90% शौचालय बेकार, ग्रामीण ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

स्वच्छ भारत मिशन की खुलती पोल: शौचालय बने लकड़ी रखने के गोदाम

(पढिए जिला एमसीबी ब्यूरो चीफ मनमोहन सांधे की सच्ची खबरें)

छत्तीसगढ़ राज्य भरतपुर विकासखंड में
स्वच्छ भारत मिशन जैसी महत्वाकांक्षी योजना की जमीनी हकीकत ग्राम पंचायत मन्नौड़ (विकासखंड एमसीबी) में साफ़ तौर पर देखने को मिल रही है।

शासन प्रशासन द्वारा ग्रामीण स्वच्छता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाखों रुपये की लागत से बनाए गए शौचालय आज लोगों की जरूरत नहीं, बल्कि लकड़ी और कबाड़ रखने के गोदाम बनकर रह गए हैं।

गांव के भूमक में निर्मित शौचालयों का निरीक्षण करने पर सामने आया कि अधिकांश शौचालयों का उपयोग नहीं किया जा रहा है। लगभग 90% शौचालय या तो अधूरे हैं, तालेबंद हैं या फिर उनमें सामान भरा हुआ है। केवल 10% शौचालय ही वास्तविक उपयोग में लाए जा रहे हैं।

भ्रष्टाचार के आरोप, भुगतान भी अधूरा

ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले कुछ वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण स्वीकृत किया गया, उनमें से कई का कार्य पूरा भी हुआ, लेकिन भुगतान आज तक नहीं हुआ

यही कारण है कि अनेक निर्माण अधूरे रह गए हैं और जिनका निर्माण हुआ भी, वे अब अनुपयोगी बन चुके हैं।

सूत्रों के अनुसार, पंचायत स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन में भारी अनियमितताएं पाई गई हैं।

कई मामलों में फर्जीवाड़ा और बिलिंग में गड़बड़ी के आरोप भी सामने आए हैं।

योजना की साख पर सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई यह योजना ग्रामीण भारत को खुले में शौच मुक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।

परंतु ग्राम मन्नौड़ की स्थिति यह दिखाती है कि कागज़ों पर भले ही गांव ODF (Open Defecation Free) घोषित कर दिए गए हों, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे बहुत दूर है।

प्रशासन मौन, जिम्मेदार कौन?

स्थानीय प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। न तो पंचायत स्तर पर कोई निरीक्षण हो रहा है, न ही जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई की गई है।

जनता का सवाल: कब मिलेगा जवाब?

अब समय आ गया है कि शासन-प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और शौचालय निर्माण से जुड़ी हर योजना का पुनः निरीक्षण कर जवाबदेही तय की जाए।

यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह योजना जनता का विश्वास खो देगी, और भ्रष्टाचारियों के लिए सुविधा का हथियार बन जाएगी।

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