Breaking Newsअन्य राज्यआगराइंदौरइलाहाबादउज्जैनउत्तराखण्डगोरखपुरग्राम पंचायत बाबूपुरग्वालियरछत्तीसगढ़जबलपुरजम्मू कश्मीरझारखण्डझाँसीदेशनई दिल्लीपंजाबफिरोजाबादफैजाबादबिहारभोपालमथुरामध्यप्रदेशमहाराष्ट्रमेरठमैनपुरीयुवाराजस्थानराज्यरामपुररीवालखनऊविदिशासतनासागरहरियाणाहिमाचल प्रदेशहोम

कटनी में यातायात पुलिस की लापरवाही आई सामने बिना परमिट टेक्स वाली बसें एवं बिना टीपी के ओवरलोड खनिज वाहन पर खुली छूट

कटनी जिला मध्य प्रदेश

कटनी में यातायात पुलिस की लापरवाही आई सामने बिना परमिट टेक्स वाली बसें एवं बिना टीपी के ओवरलोड खनिज वाहन पर खुली छूट

(पढिए जिला कटनी ब्यूरो चीफ ज्योति तिवारी की खास खबर)

नई यातायात पुलिस चौकी की काबिलियत -नाक के नीचे दौड़ती रहीं बिना परमिट -टेक्स वाली बसें और बिना टीपी के ओवरलोड खनिज वाहन

पुलिस पेट्रोल पम्प में हुए गबन से आरोपमुक्त होते ही दिया गया चौकी प्रभारी का अवार्ड

मध्य प्रदेश जिला कटनी में पुलिस के फ्यूल जंक्शन पर हुई तीन लाख की हेरा फेरी के आरोपी पुलिसकर्मी को विभाग की स्पेशल इंक्वायरी में क्लीन चिट मिलनी थी मिली l इसके बाद विवादित पुलिसकर्मी की स्पेशल योग्यता को परखने वाले जौहरी अफसरों की नैतिक प्रधान नीतियों के दर्शन मिले ज़ब उसे यातायात चौकी के प्रभारी -पद के अवार्ड से नवाजा गया l फिर शुरू हो गई जुहला बाईपास पर नई यातायात चौकी प्रभारी की चेकिंग लीलाएं जो पिछले एक पख़वाड़े से सुबहो -शाम जारी हैं l

भुक्तभोगी जनता ऐसी लीलाओं से उत्पन्न पीड़ा कथाएं सुनाती तो है

लेकिन अफसरों की नीयत -सीरत को पहचानकर निराशा में साफ साफ कहती है कि -वे अपनी शिकायत ( पीड़ा )ऐसे अफसरों से इस जनम में नहीं बता सकते हैं

अफसरशाही का खौफ जनता में कूट कूट कर भर चुका है l दूसरी तरफ पुलिस के लिए सोने पर सुहागा चढ़ने का काम गुना बस दुर्घटना से हो गया है और उसने इस आपदा को अवसर के रूप में कैसे परिवर्तित किया है यह जुहला की फटाफट यातायात चौकी की करतूतों से देखा समझा जा रहा है l

जहां पुलिस से विशेष लोगों के खनिज परिवहन करने वाले वाहनों को नियम तोड़कर दौड़ने की छूट है और प्रभावहीन वाहनों को ठहरकर आर्थिक शोषण का कष्टकारी पाठ्यक्रम सीखना और पास करना अनिवार्य है l

जुहला यातायात चौकी की वसूली बदनामी के शिखर पर पहुंच रही थी तभी गुना बस दुर्घटना हो गई और आर टी ओ के कुम्भकरणों को लाचारी में जागने का कष्ट भोगना पड़ा l

कुम्भकर्ण विभाग जागा और जुहला जाकर बसों को यातायात पुलिस के साथ साझा चेकिंग करने लगा l

दो घंटे के अंदर तीन चार बसों की जाँच में सामने आ गया कि कोई बिना परमिट के महीनों से चल रही थी तो किसी बस का टेक्स ही नहीं चुकाया गया था इसके अलावा छोटी मोटी अनियमिताएं मिली l

आर टी ओ ने करीबन एक लाख रूपये के जुर्माने का टोपा पहनाते हुए यातायात पुलिस चौकी जुहला के साथ मिलकर प्रचार का भोंपू बजाना शुरू कर दिया कि ये जाँच की इतना जुर्माना लगा दिया आगे भी जुर्माना ठोंकते रहेंगे l

प्रचार की चिल्ल -पों के बीच दोनों विभागों के जिम्मेदार प्रभारियों ने यह नहीं बताया कि उनकी नाक के नीचे अभी तक बिना परमिट वाली बिना टेक्स दिए ये गाड़ियां सड़कों पर उतरी कैसे l और एस पी की पारखी नजरों की काबिलमंद यातायात चौकी प्रभारी पंद्रह दिनों से यहाँ क्या खाक चेक कर रही थी l

अनुशासन की दृष्टि से तो आर टी ओ और अवार्डेड यातायात चौकी प्रभारी दोनों सवालों के कटघरे में आने चाहिए कि शासन की नाक कैसे कटती रही और प्रमोशन मिलते रहे l

एस पी सवाल करें प्रभारी से

जिस विश्वास से तीन लाख के गबन से क्लीन चिट पाने वाली पुलिसकर्मी को एस पी श्री रंजन ने भवन विहीन जुहला चौकी का प्रभारी बनाया और उन्होंने पिछले पंद्रह दिनों से यहाँ सुबह शाम वाहनों की चेकिंग की थी तो उनसे यह सवाल तो बनता ही है कि चौकी की चेकिंग कार्यवाही के दौरान बिना परमिट वाली बसें कैसे दौड़ रही थी l यह सवाल अफसर की तरफ से होना चाहिए l

क्या इसी विशेषता के साथ उनसे चौकी संचालन का कार्य कराया जाए l
सवाल तो यह भी है कि विशेष श्रेणी के नागरिकों के खनिज व्यवसाय से जुड़े वाहनों को जुहला यातायात चौकी छोड़ती क्यों है ? जबकि उसमें पटरे लगाकर ओवरलोड खनिज का परिवहन निडरता से किया जाता है l यह सब जनता को प्रत्यक्ष नजर आता है

सिर्फ पुलिस और खनिज विभाग के नुमाइंदे नहीं देख पाते हैं क्योंकि आँख उठाकर देखने लायक वे बचे ही नहीं l उन्हें उसी वाहन में अनियमितताएं दिखाई देती हैं जिनका संबंध साधारण श्रेणी संचालक नागरिक से होता है और उसी साधारण केटेगरी के उपर आर्थिक शोषण के कोड़े आसानी से सुबह शाम बरसाए जाते हैं l

याद दिलाते चलें कि जुहला यातायात पुलिस चौकी के पद पर प्रोन्नत की गई मोनिका खड़से को ज़ब पुलिस के पेट्रोल पम्प संचालन का दायित्व सौंपा गया था तो उनके कार्यकाल में तीन लाख रुपयों के गबन का सामना पुलिस विभाग को करना पड़ा था l

जिम्मेदार होने के नाते उनके ऊपर विभागीय जाँच की आंच आई l
बड़े अफसरों की जाँच गंगा -जमुनी थी जिसकी सियाही में सभी आरोप गबन धुल गए , सब कुछ स्वच्छ साफ हो गया, आरोपी पवित्र हो गया l इसके बाद उन्हें नई यातायात चौकी के प्रभार का दायित्व दिया गया

भवन बाद में बनेगा l
हालाकि यह पुलिस विभाग का विवेकाधिकार है कि वह किसे कितना लायक और किसे कम लायक मानकर दायित्वों को प्रत्यार्पण करता है l

लेकिन आरटीओ की जाँच में दोषपूर्ण वाहनों का चलाया जाना जुहला में मिला और यातायात प्रभारी को नहीं मिला l अभी तक भारी वाहनों के अनियमित परिवहन भी नहीं पाए गए lरही बात दोपहिया वाहनों के चालान की तो ये काम तो सिपाही भी पूरी काबिलियत से कर रहे हैं l

जुहला बायपास नाका अवैध एंट्री से होने वाली कमाई के अड्डे के रूप में दो सप्ताह में ही कुख्यात हो चुका है यह तो पुलिस विभाग की उपलब्धि है l

लेकिन आर टी ओ विभाग अभी तक क्या झक मार रहा था कि उसकी नाक के नीचे परमिट विहीन -बिना टेक्स वाली बसों का संचालन हो रहा था l

बड़े शर्म की बात है की ज़ब नागरिकों का झुण्ड दुर्घटना में जलकर खाक हो जाता है और अनेक परिवार बर्बाद होकर सड़क पर आ जाते हैं तक एक दो दिन के लिए जिम्मेदार कुम्भकर्ण को जागना पड़ता है l

ऐसी जुर्माना टोपा टाइप कार्यवाहियाँ करके शेखी बघारने वाले सभी शेखचिल्लियों से कठोरता से सवाल होना चाहिए प्रशासन की नाक कटवाने के लिए आप जैसे कर्मचारी अधिकारी आखिर लाचार किसलिए होते हैं

Related Articles

Back to top button