*वन परिक्षेत्र में जोरो से चल रही है पेड़ कटाई वन परिक्षेत्र अधिकारी बैठे हैं मौन*
कोरिया जिला छत्तीसगढ

*वन परिक्षेत्र में जोरो से चल रही है पेड़ कटाई वन परिक्षेत्र अधिकारी बैठे हैं मौन*
(कोरिया जिला से ब्यूरो चीफ रामकृपाल प्रजापति की रिपोर्ट)
सोनहत- वनमंडल बैकुंठपुर के वनपरिक्षेत्र देवगढ़ में इन दिनों सागौन वृक्षों की अवैध कटाई जोरों पर है तस्कर आरा मशीन से पेड़ो को काट कर खुलेआम तस्करी कर रहे हैं वैसे भी पिछले दस दिनों से विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर हैं
जिससे तस्करों की चाँदी हो गई है वैसे देवगढ़ वनपरिक्षेत्र में बेशकीमती वृक्षों की कटाई कोई नई बात नहीं है इससे पहले भी बड़ी संख्या में पेड़ो को काटकर तस्करी की जाती रही है और विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कभी उन्हें पकड़ने में कामयाब नहीं हो पाते या यूँ कहें कि उनकी भी मौन स्वीकृति शामिल है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि समय समय पर मीडिया में अवैध कटाई की खबरें चलती रहती है परन्तु इसके बाद भी आला अधिकारी न तो किसी कर्मचारी पर कोई कार्यवाही करते हैं और न ही तस्कर पकड़े जाते हैं
जानकारी के मुताबिक देवगढ़ वनपरिक्षेत्र के तर्रा सर्किल में इन दिनों बड़े बड़े सागौन वृक्षों को आरा मशीन से काटकर ले जाया जा रहा है लेकिन विभाग अबतक एक भी तस्कर को पकड़ने में कामयाब नहीं हुआ शायद इसलिए तस्करों के हौसले बुलंद हैं इनके द्वारा अबतक सैकड़ों सागौन के बेशकीमती वृक्षों को काटकर बेच दिया गया है और करवाई शून्य है आपको बता दें कि तर्रा सर्किल से नेशनल हाईवे जो बैकुंठपुर से मनेंद्रगढ़ को जोड़ता है कि दूरी मात्र दस से पंद्रह किलोमीटर है और यहाँ विभाग का एक भी नाका नहीं है न ही कोई पेट्रोलिंग चौकी है
हालांकि विभाग के द्वारा ग्राम तर्रा में फारेस्ट कर्मियों के लिए कुछ मकान बनाये गए हैं लेकिन इससे तस्करों को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि ज्यादातर कर्मचारी निवास ही नहीं करते फिलहाल कर्मचारी पिछले दस दिन से हड़ताल पर हैं जिससे लकड़ी तस्करों की चांदी हो गई है
और वो अब बड़े पैमाने पर सागौन के वृक्षों की कटाई कर तस्करी कर रहे हैं आपको बता दें कि तर्रा सर्किल में काफी संख्या में सागौन के पुराने पेड़ हैं जो कि काफ़ी बड़े और मोटे हो गए हैं जिससे तस्करों को इसकी मोटी रकम मिलती है और शायद यही वजह है कि तर्रा सर्किल तस्करों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जबकि समय समय पर विभाग के सम्बंधित एसडीओ व डीएफओ को इसकी जानकारी दी जाती है लेकिन इनके द्वारा भीकभी अपने किसी कर्मचारी पर कोई कार्यवाही नहीं कि जाती है इसी कारण कर्मचारियों में भी कोई खौफ नहीं रहता जबकि इसी जंगल की रक्षा हेतु इन्हें भरपूर वेतन मिलता है।
*कोरिया जिला से ब्यूरो चीफ रामकृपाल प्रजापति की रिपोर्ट*