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*चार हजार करोड़ के घोटाले में बिचौलिए ही नहीं भाजपाई भी शामिल – माकपा*

भोपाल/ अनुपपूर/ शहडोल जिला मध्य प्रदेश

फर्जी फसल घोटाला

चार हजार करोड़ के घोटाले में बिचौलिए ही नहीं भाजपाई भी शामिल – माकपा

रिपोर्टर – मध्य प्रदेश हेड राजमणि पांडे के साथ संभागीय ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट

भोपाल /शहडोल/अनूपपुर

पिछले डेढ़ दशक से भी लंबे समय से चल रहे गेहूं घोटाले में बिचौलिए ही नहीं प्रशासन और भाजपाई भी बड़े पैमाने पर शामिल हैं। इसलिए घोटाला सामने आने के बाद भी प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार कानों में रूई डाले पड़ी है, क्योंकि असली घोटालेबाज सामने आने पर केवल सत्ताधारी पार्टी के ही कई सफेदपोश बेनकाब नहीं होंगे, बल्कि सरकार की ओर से तैयार की गई कृषि विकास के फर्जी आंकड़ों की मचान भी भरभरा के गिर पड़ेगी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा है कि प्रदेश के 52 में से 47 जिलों के आधे किसानों की जमीन की जांच करने के बाद ही यह तथ्य सामने आया है कि 56 हजार 123 हेक्टेयर फर्जी भूमि पर खेती होना दर्शाई जा रही थी। इसकी पैदावार करीब 14 लाख 3 हजार 75 क्विंटल बताई जा रही थी। जिसकी कीमत 280 करोड़ रुपए है। यदि यह घोटाला डेढ़ दशक से हो रहा है तो 4200 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। यह सारा पैसा बिचौलिए की जेब में ही नहीं पहुंचा है। बल्कि नौकरशाहों और राजनेताओं की जेबें भी गर्म हुई हैं।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि यदि आधे किसानों की जांच से यह घोटाला पकड़ा गया है तो पूरे किसानों की जांच करने पर यह घोटाला दुगना या इससे भी अधिक हो सकता है। जाहिर है कि यह घोटाला 8400 करोड़ से अधिक का तो है ही।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच करने पर तीन तरह के घोटाले उजागर होंगे। एक तो गरीबों के लिए एक रुपए किलो वाला गेहूं इस फर्जीवाड़े में सरकार को ही एमएसपी की दर बेच दिया गया, जिससे गरीबों के मुंह का निवाला भी छीना और सरकार को भी चपत लगाई गई। दूसरा जब प्रदेश के बहुमत किसानों का गेहूं समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जा रहा था, तब बिचौलिए पड़ोसी राज्यों से सस्ते में गेहूं खरीद कर मध्यप्रदेश में बेच रहे थे।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि प्रदेश सरकार लगातार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त कर रही थी। इस घोटाले के सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कृषि विकास दर के यह आंकड़े भी फर्जी थे। यदि इस घोटाले के बाद प्रदेश की कृषि विकास दर नीचे आती है तो जाहिर हो जाएगा कि प्रदेश सरकार ने झूठे आंकड़े प्रस्तुत कर राष्ट्र के सामने भी झूठ बोला है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस घोटाले की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच करने और दोषियों को उचित सजा देने के साथ ही उक्त राशि वसूलने की भी मांग की है।

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