*विश्व जल दिवस “जल है, तो कल है” के विषय पर प्रलेस की मासिक बैठक संम्पन्न*
अनुपपूर जिला मध्य प्रदेश

विश्व जल दिवस “जल है, तो कल है” के विषय पर प्रलेस की मासिक बैठक संम्पन्न
रिपोर्टर – चंद्रभान सिंह राठौर
अनूपपुर
जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। दैनिक जीवन के अलावा जल कृषि पीने एवं अन्य कार्यो में उपयोग होता हैं। सदियों से निर्मल जल का स्त्रोत बनी रहीं नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं, जल स्रोत बिगड़ रहे है, और भू-जल स्तर लगातार घट रहा है। इन सभी समस्याओं से दुनिया को अवगत कराने एवं सबको जागरूक करने के लिए 1993 से प्रतिवर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है।
विश्व जल दिवस पर 22 मार्च 2022 को मध्यप्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ अनूपपुर इकाई की मासिक बैठक इकाई के सचिव राम नारायण पाण्डेय के निवास वार्ड़ न. 12 में सम्पन्न हुई, जिसमें विश्व जल दिवस पर उपस्थित साथियों ने अपने-अपने विचार प्रकट किए तथा सभी साथियों द्वारा यह निर्णय लिया गया, जल संरक्षण के लिए नगर की छोटी नदी चंदास से कार्य का प्रारंभ किया जाए, जिसमें चंदास नदी के उद्धगम स्थल शिवरी चंदास से बाबा गढ़ी के पास सोन में मिलने तक का भौतिक सर्वे तथा सर्वेक्षण जल विशेषज्ञ, पर्यावरण विद, वन विशेषज्ञ एवं प्रलेस की टीम की मौजूदगी में किया जाएगा। दिनांक 2 अप्रैल 2022 को सुबह 8.30 बजे सभी साथी गिरीश पटेल अध्यक्ष प्रलेस के निवास पर एकत्र होंगे, वहाँ से फिर आगे निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यात्रा शुरू करेंगे।
बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ का राज्य स्तरीय सम्मेलज 19 -20 नवम्बर 2022 को संभावित है एवं अप्रैल के अंतिम सप्ताह में अनूपपुर इकाई का सम्मेलन तथा कोतमा इकाई का संयुक्त सम्मेलन करने का निर्णय लिया गया हैं नगर पालिका द्वारा पूर्व में संचालित पं. शंभूनाथ शुक्ल पब्लिक लाइब्रेरी के सुचारू संचालन हेतु नगर पालिका सीएमओ से चर्चा करने के लिए प्रलेस की टीम जाएगी।
बैठक में गिरीश पटेल, डॉ. असीम मुखर्जी, एडवोकेट विजेंद्र सोनी एडवोकेट सुधा शर्मा, रामनारायण पाण्डेय, उमेश सिंह, जीवेंद्र सिंह, अमरजीत पोद्दार, बाल गंगाधर सेंगर, आनंद पाण्डेय, शिवम पाठक शुभम पाठक आदि लोग मौजूद रहे।
बढ़ रहा है जल संकट
धरती के क्षेत्रफल का लगभग 70 प्रतिशत भाग जल से भरा हुआ है। परंतु, पीने योग्य जल मात्र तीन प्रतिशत है। इसमें से भी मात्र एक प्रतिशत मीठे जल का ही वास्तव में हम उपयोग कर पाते हैं। लेकिन, मानव अपने स्वास्थ्य, सुविधा, दिखावा व विलासिता में अमूल्य जल की बर्बादी करने से नहीं चूकता। पानी का इस्तेमाल करते हुए हम पानी की बचत के बारे में जरा भी नहीं सोचते तापमान में जैसे-जैसे वृद्धि हो रही है, भारत के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और बढ़ती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक जल उपयोग पिछले 100 वर्षों में छह गुणा बढ़ गया है, और बढ़ती आबादी, आर्थिक विकास तथा खपत के तरीकों में बदलाव के कारण यह प्रतिवर्ष लगभग एक प्रतिशत की दर से लगातार बढ़ रहा है। पानी की अनियमित और अनिश्चित आपूर्ति के साथ-साथ, जलवायु परिवर्तन से वर्तमान में पानी की कमी वाले इलाकों की स्थिति विकराल रूप ले चुकी है। ऐसी स्थिति में, जल- संरक्षण एकमात्र उपाय है। जल संरक्षण का अर्थ पानी की बर्बादी और उसे प्रदूषित होने से रोकना है।
कैसे करे जल संरक्षण
आज जल संरक्षण के प्रति पूरा विश्व एकजुट हो रहा है। हर देश भू-जल पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, और पृथ्वी पर जल की अधिकतर आपूर्ति भू-जल पर ही निर्भर है। वर्षा के जल का संरक्षण करके गिरते भू-जल के स्तर को रोका जा सकता है। इन सब के साथ-साथ जल का अनावश्यक दोहन भी रोकना होगा। इसके साथ-साथ, नदियों को दूषित होने से रोकना भी हम सभी का दायित्व है। यदि आज हमने जल संरक्षण के महत्व को नहीं समझा, तो वह दिन दूर नहीं, जब भविष्य की पीढ़ियों के लिए धरती पर भीषण जल-संकट खड़ा हो जाएगा। अलग-अलग मंचों पर जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करने और लोगों को इसके प्रति जागरूक बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। भारत सरकार द्वारा भी इस दिशा में योजनाबद्ध ढंग से काम किया जा रहा है। आज आवश्यकता इस बात की है कि विश्व जल दिवस की मूल भावना को अपने दैनिक जीवन में उतारकर हर व्यक्ति, हर दिन जल संरक्षण का यथा संभव प्रयास करे।