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*जिले का एक किसान सभी किसानों के लिए बना मिसाल/पढ़कर जानिए क्या है सच*

उमारिया जिला मध्य प्रदेश

*जिले का एक किसान सभी किसानों के लिए बना मिसाल/पढ़कर जानिए क्या है सच*

(पढ़िए जिला उमरिया से क्राइम ब्यूरो चीफ किशन विश्वकर्मा की रिपोर्ट)

जिला जनसंपर्क कार्यालय उमरिया
खुशियों की दास्तां
किसान राजेश शर्मा घोडे़ की सवारी से करते है अपने खेतों की देखभाल
खेती के साथ उद्यानिकी गतिविधियों का संचालन कर आसपास के किसानों के लिए बने प्रेरणा स्रोत
उमरिया – जिला मुख्यालय उमरिया से 30 किमी दूर चंदिया तहसील के ग्राम खैरभार निवासी पेशे से शिक्षक एवं अग्रणी खेती करने वाले राजेश शर्मा आस पास के किसानों के लिए प्रेरणा के स्रोत बन गये है।

शिक्षकीय दायित्व के निर्वहन के साथ साथ खेती किसानी तथा समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए गरीब परिवार के बच्चों की पढ़ाई तथा उन्हें संस्कार देने के लिए नियमित रूप से अपने परिवार जनो के सहयोग से कक्षाओं का संचालन कोरोना संक्रमण के प्रभाव के कारण जारी लॉक डाउन के दौरान से शुरू किया था जो अनवरत जारी है।

उन्नत कृषक राजेश शर्मा का कहना है कि ग्राम खैरभार मे 6.33 एकड़ भूमि थी, जो बंजर पड़ी हुई थी, वर्ष 2013 मे परिवार जनों की सलाह पर इस जमीन को हरियाली चादर पहनाकर मां भारती की सेवा का भाव मेरे मन मे जागृत हुआ। सबसे पहले विभिन्न चरणों मे जालीदार फैसिंग का कार्य किया , इसके पश्चात खेत की सिंचाई के लिए ट्यूबवेल कराया। लगातार मेहनत से बंजर भूमि उपजाऊ जमीन मे बदलने लगी ।

सफलता ने आगे प्रयास के रास्ते खोल दिए। अब बाउण्ड्री के चारो ओर दो कतार मे बारहों महीने फल देने वाले आम, आंवला, अमरूद, नीबू, सीताफल, अनार, महुआ, बेर, जामुन, कटहल , केला आदि के पौध रोपित किए गए है इसके साथ ही इमारती प्रजाति के वृक्ष यूकेलिप्टिस, खम्हेर, नीम, शीशम आदि के पौध भी रोपित किए है, जिनकी संख्या लगभग एक हजार है।

कृषक श्री शर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान जब लॉक डाउन चल रहा था तो चंदिया नगर के लोगो को सब्जी की उपलब्धता नही होने की बात उन्हे अखर रही थी , लोग कोरोना संक्रमण के डर से घरो से बाहर नही निकल पा रहे थे , तब उन्होंने हिम्मत करके अपने कदम बढ़ाएं और दो एकड़ जमीन मे आलू, बैगन, प्याज, कलिंदर, ककडी, भुट्टा आदि लगाकर बाजार मे आम जन के लिए सब्जी उपलब्ध कराई। वोकल फॉर लोकल का अनुसरण करते हुए उन्होंनें आपदा को अवसर मे बदल दिया तथा 30 से 40 हजार रूपये लागत लगातार एक लाख की आमदनी प्राप्त की। जिससे उन्होंने खेत पर ही आवास एवं शौचालय की व्यवस्था कर ली।

श्री शर्मा का खेती एवं उसकी रखवाली का अनोखा तरीका है । बचपन से ही उन्हें घुड़सवारी का शौक था जो अनवरत जारी है। इस शौक का उपयोग उन्होनें अपने खेती की सुरक्षा के लिए भी अजमाया जो सफल रहा। सुबह शाम वे अपने घोड़े चंद्रमुखी मे सवार होकर खेतो की सुरक्षा के लिए निकलते है उनके बच्चे भी उनका अनुसरण करते है।

आपने बताया कि लगातार खेती मे नये प्रयोग करना उनकी आदत है इस बार उन्होंने गेहूं एवं धान के अतिरिक्त तीन एकड़ मे सरसो की खेती प्रारंभ की है साथ ही एक एकड मे ताईबान 786 प्रजाति का पपीता भी लगाया है।
प्रस्तुतकर्ता
गजेंद्र द्विवेदी

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